डब्ल्यूएचओ ने कहा कि यह फैसला उन मरीजों पर संभावित परीक्षण को प्रभावित नहीं करेगा, जो अस्पताल में भर्ती नहीं हैं
वैज्ञानिकों ने पाया है कि कोविड-19 रोगियों के इलाज के दौरान एंटीबायोटिक एजिथ्रोमाइसिन के साथ और इसके बिना हाईड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा के इस्तेमाल से न तो उन्हें वेंटिलेटर पर भेजने का खतरा कम हुआ और न ही जान के खतरे में कमी आई।
कोरोना वायरस के इलाज में कई देशों में कारगर मानी गई दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को लेकर भारत की मुहिम कारगर साबित हुई है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सोमवार को कहा कि कोविड-19 के संभावित इलाज के चल रहे एक वैश्विक औषधि परीक्षण से वह अस्थायी रूप से हाइड्रोक्सीक्लोक्वीन को हटाएगा।
लार्ज ऑब्जरवेशनल स्टडी के मुताबिक, कोविड-19 के लिए मलेरिया रोधी दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के साथ उपचार, एंटीबायोटिक एजीथ्रोमाइसिन के साथ या बगैर, से कोविड-19 मरीजों को कोई फायदा नहीं होता है।
इससे पहले जारी परामर्श में किए उल्लेख के अनुसार, कोविड-19 को फैलने से रोकने एवं इसका इलाज करने में शामिल बिना लक्षण वाले सभी स्वास्थ्यसेवा कर्मियों और संक्रमित लोगों के घरों में संपर्क में आए लोगों में संक्रमण के खिलाफ इस दवा का इस्तेमाल करने की भी सिफारिश की गई है।
ट्रंप ने मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन लेने के लिए हो रही आलोचना पर अपने जवाब में इसे कोरोना वायरस के ‘बचाव का एक तरीका’ बताया है।
कोविड-19 से निपटने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों के बीच एक निवारक दवा के रूप में मलेरिया रोधी दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के प्रभाव का आकलन करने के वास्ते आईसीएमआर द्वारा किये जा रहे एक अध्ययन के लिए अब तक पांच अस्पतालों का नामांकन किया गया है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को कहा कि वह कोरोना वायरस से बचने के लिए मलेरिया की दवाई ‘हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन’ ले रहे हैं। ट्रंप ने व्हाइट हाउस में पत्रकारों से कहा, ‘‘मैं करीब डेढ़ सप्ताह से यह (हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन) ले रहा हूं।’’
अमेरिका में कई अस्पताल कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज में मलेरिया के उपचार में काम आने वाली दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन का इस्तेमाल कर रहे हैं। मीडिया में आई एक रिपोर्ट में यह जानकारी मिली है।
अमेरिका के एक प्रभावशाली सांसद ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन दवाओं जैसी अहम चिकित्सा सामग्री को बड़ी मात्रा में अमेरिका को मुहैया कराने के लिए भारत की प्रशंसा करते हुए कहा कि भारत कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में अगुवा के तौर पर सामने आया है।
हैन ने कहा कि हम स्वास्थ्य पेशेवरों को व्यक्तिगत मरीज के हिसाब से निर्णय लेने को प्रोत्साहित करते हैं। एफडीए इन संभावित जोखिमों की निगरानी और जांच करना जारी रखेगा और अधिक जानकारी उपलब्ध होने पर उन्हें सार्वजनिक रूप से बताएगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भले ही मलेरिया-रोधी दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन को 'गेम चेंजर' करार दिया हो, लेकिन एक शोध में पता चला है कि कोरोनावायरस के मरीजों के इलाज में यह दवा फायदेमंद साबित नहीं हई है।
गंगाखेड़कर ने कहा, “ऐसे स्वास्थ्य कर्मियों की औसत आयु 35 साल है। एचसीक्यू लेने वाले कर्मियों में सबसे ज्यादा देखा गया दुष्प्रभाव पेट में दर्द था जबकि छह प्रतिशत कर्मियों में मितली की शिकायत देखी गयी।”
भारत 55 देशों को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (HCQ) की आपूर्ति कर रहा है। इनमें संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, रूस आदि देश शामिल है।
गुजरात में लोग कोरोना वायरस संक्रमण से बचने में महत्त्वपूर्ण मानी जा रही हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का सेवन करने के ही साथ इसे जमा करके भी रखने लगे हैं। इसे देखते हुए सरकार को दवा के स्वास्थ्य दुष्प्रभावों के खिलाफ चेतावनी जारी करनी पड़ी।
भारत मलेरिया की दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन, जिसकी इस समय दुनिया भर में बहुत अधिक मांग है, का निर्यात सिर्फ विदेशी सरकारों को करेगा और निजी कंपनियों को इसे नहीं बेचा जाएगा।
भारत की तरफ से हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा का निर्यात खोले जाने को लेकर इन दोनो नेताओं से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद किया था
कोरोना वायरस महामारी के इलाज में इस्तेमाल हो रही मलेरिया की दवाई हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात को भारत सरकार ने मंजूरी दे दी है।
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