जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ दिनों में सियासी तस्वीर कुछ इस कदर बदली है कि कभी चुनाव को ‘हराम’ करार देकर इसका बहिष्कार करने वाले अलगाववादी नेता अब सूबे के असेंबली इलेक्शन में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
जम्मू एंव कश्मीर प्रशासन को आशंका है कि अगर जामिया मस्जिद में जुमे की नमाज की इजाजत दी गई तो गाजा के नाम पर पूरे इलाके में भारी विरोध प्रदर्शन हो सकता है।
Jammu kashmir : पुलिस महानिदेशक (DGP) दिलबाग सिंह ने सोमवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी संगठन हुर्रियत कॉन्फ्रेंस खत्म हो चुका है, लेकिन पाकिस्तान से इसे जिंदा रखने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में आतंकवाद अब ‘‘बैसाखी पर’’ है।
सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों के हवाले से टाइम्स ऑफ इंडिया ने बताया कि गृह मंत्रालय आने वाले दिनों में UAPA की धारा 3(1) के तहत हुर्रियत कांफ्रेंस के सभी गुटों को गैरकानूनी घोषित करने पर अंतिम फैसला लेगा।
हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के कट्टरपंथी धड़े ने मंगलवार को मीडिया को जारी एक बयान में कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को संगठन के नेतृत्व से बड़ी उम्मीदें हैं।
अपने भारत विरोधी बयानों के लिए जाने वाले हुर्रियत के पुराने नेता सैयद अली शाह गिलानी को पाकिस्तान ने अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-पाकिस्तान से सम्मानित करने का फैसला किया है।
जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी ताकतों का बिखराव शुरू हो गया है।
जम्मू कश्मीर में इस समय राष्ट्रपति शासन लागू है, सेना आतंकियों पर नकेल कसने के लिए लगातार ऑपरेशन जारी रखे हुए है। इसी बीच जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बड़ा बयान दिया है।
नरमपंथी हुर्रियत कांफ्रेंस चाहता है कि भारत और पाकिस्तान को अपने रिश्तों में आयी कड़वाहट को दूर कर, फिर से एक दूसरे के साथ वार्ता की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए।
हुर्रियत कॉन्फ्रेंस पर कानूनी शिकंजे के साथ अब इनकम टैक्स विभाग ने भी शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।
एक तरफ सुरक्षा बल आतंकवादियों का सफाया कर रहे है तो दूसरी तरफ सरकार उन संगठनों पर नकेल कस रही है जो दहशतगर्दों को सपोर्ट करते हैं।
जम्मू-कश्मीर सरकार ने घाटी के 18 हुर्रियत नेताओं और 160 राजनीतिज्ञों को दी गई सुरक्षा वापस ली है। इसके साथ ही 160 से ज्यादा राजनीतिज्ञों का सुरक्षा कवच भी छीन लिया गया है।
सरकारी अधिकारियों ने कहा है कि जमात-ए-इस्लामी (जेईएल) ही जम्मू कश्मीर राज्य के सबसे बड़े आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन और हुर्रियत कांफ्रेंस के गठन के लिए जिम्मेदार है।
जम्मू कश्मीर सरकार ने पाकिस्तान परस्त हुर्रियत नेताओं को एक और बड़ा झटका दिया है। हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के पांच प्रमुख नेताओं की सुरक्षा वापस लेने के बाद अब सरकार ने सभी 18 हुर्रियत नेताओं की सुरक्षा को वापस ले लिया है।
पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने जम्मू कश्मीर में अलगाववादी नेताओं को दी गई सुरक्षा को हटाए जाने का फैसला किया था।
सत्यपाल मलिक ने वहां की अलगाववादी पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस पर निशाना साधते हुए कहा कि वह पाकिस्तान से पूछे बिना टॉयलट भी नहीं जाते
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रिपोर्ट में दावा किया है कि उसके पास मौजूद एनआईए की लिस्ट में शामिल इन संपत्तियों को हवाला और बेनामी संपत्ति मामले में जांच की जा रही है। इन संपत्तियों में शैक्षणिक संस्थान, आवासीय इमारतें, कश्मीर में खेती की जमीन और दिल्ली स्थिति फ्लैट शामिल हैं। ये
हुर्रियत नेतृत्व ने सोमवार को अपने सात नेताओं की गिरफ्तारी को प्रतिशोधपूर्ण और मनमाना कार्रवाई करार देते हुए कश्मीर घाटी में मंगलवार को बंद का आह्वान किया।
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