न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की पीठ ने कहा कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने विभिन्न जिला अधिकारियों को अनाथ बच्चों और उनके परिवार के सदस्यों को विभिन्न योजनाओं से जोड़ने के लिए विभिन्न सिफारिशें करते हुए 19,825 पत्र लिखे हैं, लेकिन केवल 920 मामलों में कार्रवाई की रिपोर्ट मिली हैं।
ये लोग सरकारी योजनाओं के बारे में कुछ नहीं जानते हैं। ऐसे में सरकार की ज़िम्मावारी होनी चाहिए कि अपने कर्मचारियों को ऐसे लोगों के बीच भेज कर, इनलोगों से बात करे। ऐसे लोगों को शिक्षा,स्वास्थ्य और आवास उपलब्ध कराये।
लॉस एंजिल्स के सिख-अमेरिकी दंपति एक फूड ट्रक सेवा चलाता है, जो शहर के बेघर लोगों को खाना खिलाने के लिए रोजाना 200 बर्रिटोस (एक तरह का मेक्सिकन भोजन) बांटते हैं।
शहरी बेघरों के मुद्दे पर सरकार को आड़े हाथ लेते हुये सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि आश्रय विहीन लोगों को अपनी देखभाल खुद ही करने के लिये नहीं छोड़ा जा सकता क्योंकि बड़ी बड़ी योजनायें तो हैं लेकिन उन पर अमल नहीं किया गया है।
Jammu and Kashmir: Many left homeless in Rajouri after demolition of illegal buildings
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