सबसे सस्ती दर पर होम लोन आपको तभी ऑफर किया जाएगा, जब आपका सिबिल स्कोर शानदार होगा। यानी आपके पेमेंट करने की हिस्ट्री अच्छी होगी। कोई डिफॉल्ट या लापरवाही का अहसास न हो रहा हो।
उधारकर्ता और सह-उधारकर्ता की संयुक्त आय लोन मिलने की संभावना को बढ़ा सकती है जिसका अर्थ है ज्यादा लोन पात्रता और परिवार के लिए उपयुक्त घर चुनने में अधिक लचीलापन।
30 सितंबर, 2024 तक बकाया व्यक्तिगत होम लोन में ईडब्ल्यूएस और एलआईजी का हिस्सा 39 प्रतिशत, एमआईजी का 44 प्रतिशत और एचआईजी का 17 प्रतिशत था।
होम लोन ट्रांसफर के लिए अप्लाई करने से पहले अपने सिबिल स्कोर की समीक्षा करना अहम है। साथ ही जब किसी वित्तीय संस्थान से लोन लेने पर विचार किया जाता है, तो इसमें शामिल अतिरिक्त शुल्कों के बारे में जानना जरूरी है।
गृह ऋण टॉप अप अधिकांश बैंकों और NBFC द्वारा दी जाने वाली एक सुविधा है जो मौजूदा ग्राहकों को मौजूदा गृह ऋण के अलावा एक निश्चित राशि उधार लेने की अनुमति देती है।
मॉर्गिज डीड फीस होम लोन का चुनाव करते समय लगती है। आमतौर पर यह होम लोन के पर्सेंटेज के रूप में होती है और लोन लेने के लिए अदा की जाने वाली कुल फीस राशि का यह एक बड़ा हिस्सा होती है।
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट में कटौती करने के बाद देश के तमाम बैंकों ने भी होम लोन की ब्याज दरें घटा दी हैं। हालांकि, होम लोन में आपके क्रेडिट स्कोर, रीपेमेंट हिस्ट्री, फाइनेंशियल स्टेटस जैसी चीजें काफी मायने रखती हैं।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने विभिन्न ऋणों पर लागू अपनी बाह्य बेंचमार्क-आधारित उधार दर (ईबीएलआर) और रेपो लिंक्ड उधार दर (आरएलएलआर) में कटौती की घोषणा की है।
लोन लेना से पहले कई तरह की परेशानी आती है। हालांकि, लोन मिलने के बाद लोगों को लगता है कि अब टेंशन से मुक्ति मिल गई है। हालांकि, ऐसा नहीं है। लोन बंद कराने के बाद भी कई काम को निपटना होता है। ऐसा नहीं करने पर बाद में परेशानी आ सकती है।
Home Loan Interest rate : आरबीआई ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती की है। इसके बाद अब बैंक्स भी जल्द ही लोन पर ब्याज दरों को घटा सकते हैं।
आईबीआई ने आखिरी बार मई 2020 में ब्याज दरों में कटौती की थी। आरबीआई ने उस समय कोविड के दौरान देश की अर्थव्यवस्था को बूस्ट देने के लिए रेपो रेट में 0.40 प्रतिशत (40 बेसिस पॉइंट्स) की कटौती की थी। जिसके बाद आज करीब 5 साल बाद रेपो रेट में किसी तरह की कटौती की गई है।
रिजर्व बैंक ने करीब 5 साल बाद रेपो रेट में किसी तरह का कोई बदलाव किया है। रेपो रेट में हुई इस 0.25 प्रतिशत की कटौती से होम लोन और कार लोन समेत तमाम लोन सस्ते हो जाएंगे और लोगों को ईएमआई में राहत मिलेगी।
अगर आप लोन पर घर लेने जा रहे हैं और आपका क्रेडिट स्कोर अच्छा है तो बैंक आपको प्रॉपर्टी की कीमत का 90 प्रतिशत लोन दे सकते हैं। लेकिन यहां आपको समझदारी से फैसला लेते हुए ज्यादा से ज्यादा डाउन पेमेंट करनी चाहिए। ताकि, आपकी जेब पर ऊंची और लंबे समय तक चलने वाली ईएमआई का ज्यादा बोझ न पड़े।
विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगर ऐसा होता है तो यह बजट में खपत को बढ़ावा देने के लिए उठाये गये कदमों को मजबूती देगा। हालांकि रुपये में गिरावट अभी भी चिंता का विषय बनी हुई है।
यानी अगर आपकी सैलरी 12.75 लाख रुपये सालाना है तो नई टैक्स रिजीम चुनना फायदे का सौदा रहेगा। वहीं, 14, 14 या 20 लाख सालाना सैलरी होने पर ओल्ड टैक्स रिजीम ही फायदे का सौदा रहेगा।
होम लोन और कार लोन जैसी परिस्थितियों में बैंक खरीदे गए और गाड़ी को सीज कर लेते हैं। बाद में इस घर और गाड़ी को बेचने के लिए नीलामी आयोजित की जाती है। नीलामी में प्रॉपर्टी बिकने के बाद बैंक अपने लोन की वसूली करते हैं। इनके अलावा, किसी अन्य लोन में बैंक कर्जदार मृतक की अन्य प्रॉपर्टी भी सीज कर उसे बेच सकते हैं।
RBI द्वारा रेपो दर में कटौती या वृद्धि के बाद उधारकर्ता के पास ब्याज लागत बचाने के लिए फिक्स्ड से फ्लोटिंग या इसके विपरित ब्याज दर व्यवस्था में स्विच करने का विकल्प होता है।
योजना के तहत सिर्फ ईडब्ल्यूएस/एलआईजी और एमआईजी के पात्र लाभार्थियों को ही सब्सिडी मिलती है। इस स्कीम के तहत डब्ल्यूएस/एलआईजी और एमआईजी के रूप में पहचान के लिए, एक व्यक्तिगत ऋण आवेदक आय का प्रमाण देना होता है।
एक्सपर्ट का कहना है कि जब कोई बैंक मृतक उधारकर्ता के बकाया लोन देने का अनुरोध किसी कानूनी उत्तराधिकारी से करता है तो उत्तराधिकारी को केवल मृतक उधारकर्ता से विरासत में मिली कुल संपत्तियों के मूल्य तक बकाया ऋण राशि चुकाने के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
कुछ वित्तीय संस्थान लोन की प्रोसेसिंग और मंजूरी हो जाने के बाद एक निर्धारित समय अवधि के अंदर लोन नहीं लेने की स्थिति में कमिटमेंट फीस वसूलते हैं।
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