दक्षिण एशियाई पुरुषों (8.8 फीसदी) में अपनी महिला समकक्षों (3.6 फीसदी) की तुलना में कैल्शियम के जमा (कैल्शिफिकेशन) होने की उच्च दर पाई गई है।
बुजुर्ग लोग जिनकी उम्र 65 साल से ज्यादा है और हाल ही में उन्हें दिल की बीमारी का पता चला हो, वे अपने दिल की चिन्ता किए बिना थोड़ी बहुत शराब पी सकते हैं। एक नए शोध में यह जानकारी दी गई है।
सर्दियों के इस प्रभाव की जानकारी से मरीजों और उनके परिवारवालों को लक्षणों के प्रति ज्यादा ध्यान देने के लिये प्रेरित करती है।
साल 2018 में कई बॉलीवुड सितारों के रास्ते जुदा हुए, कई सितारों के दिल टूटे, देखिए लिस्ट..
यह शोध रिपोर्ट साइकोसोमेटिक मेडिसिल नामक जर्नल में प्रकाशित हुई है।
भारतीय महिलाओं में हृदय रोग तेजी से बढ़ रहा है और इसके पीछे उनकी सुस्त जीवनशैली, तनाव, प्रदूषण कारण हो सकते हैं। ऐसे में महिलाओं को हृदय रोग को समझने और उसके प्रति जागरूक करने की जरूरत है।
गंभीर हृदय रोगों के मरीज, जिन्हें हार्ट ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है, लेकिन अधिक उम्र होने के कारण इस प्रक्रिया में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। उनके लिए 'हार्टमैट-3' थेरेपी एक वरदान साबित हुआ है।
पर्यावरण में मौजूद आर्सेनिक, सीसा, तांबा और कैडमियम जैसी जहरीली धातुओं के संपर्क में आने से कार्डियोवैस्कुलर बीमारी और कोरोनरी हृदय रोग होने का जोखिम बढ़ सकता है।
हार्वर्ड टी एच चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की एपिडेमोलॉजिस्ट कैरिन माइकल्स की मानें तो नारियल तेल पूरी तरह से जहर है और इसे खाने में बिलकुल शामिल नहीं करना चाहिए। कैरिन के अनुसार दुनिया की सबसे खराब खाने की चीजों में से एक है नारियल का तेल।
नाड़ी विज्ञान का अपना खासा महत्व है और इसके संबंध में आम आदमी भी बहुत कुछ जानना चाहता है। आज भी कई वैद नाड़ी देखर रोगों के बारें में पता करते है। आज भी इससे जुड़ी कुछ रोचक बातें आपको बताने जा रहे हैं।
हार्ट फेल्योर ( हृदय गति का रुकना) वाले लोगों में दिल की गति को बहाल करने के लिए स्टेम सेल का संभावित तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है
बुजुर्गो का रोजाना चार कप कॉफी पीना एक स्वस्थ आदत बन सकती है। काफी दिल की कोशिकाओं के कार्य करने की क्षमता को बढ़ा सकती है, साथ ही यह दिल के दौरे से बचाने में कारगर हो सकती है।
शोध के निष्कर्षो से पता चलता है कि 10 फीसदी वजन घटाने के साथ जोखिम कारकों से जुड़े प्रबंधन से एट्रियल फाइब्रिलेशन (एएफ) के प्रभाव में कमी आ सकती है। यह स्ट्रोक के प्रमुख कारक में से है, जिससे मोटापाग्रस्त लोगों में हर्ट फेल्योर हो सकता है।
रेड मीट में पाये जाने वाले एलर्जी पैदा करने वाले तत्व ‘एलर्जन’ से धमनियों में परत जम सकती है जिससे दिल की बीमारी का खतरा बढ़ता है। यह बात एक अध्ययन में कही गई है।
संस्थान में अक्सर लोग सांस लेने में तकलीफ, थकान, उल्टी, टखनों में सूजन की शिकायतों नजरंदाज कर देते हैं, मगर ये दिल की बीमारी के भी लक्षण हो सकते हैं। यह कहना है हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर संदीप सेठ का।
जो लोग धूम्रपान करते हैं, उनमें दिल से ब्लड पहुंचाने वाली नर्व्स ब्लॉक हो जाने की वजह से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।जिनका वजन उनकी हाइट से अधिक होता है, उन्हें डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्राल होने की आशंका अधिक होती है। इसलिए हार्ट अटैक का ज्यादा खतरा रहता है।
हाल में हुए एक अध्ययन में ये बात सामने आई कि कार से चलने वाले लोगों की बजाय साइकिल चलाने वालों और पैदल चलने वाले व्यक्तियों को हृदय रोग का खतरा कम होता है।
तरबूज में भरपूर मात्रा में थैमाइन, रिबोफ़्लिविन, नियासिन, विटामिन बी -6, फोलेट, पैंटोथेनिक एसिड, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटेशियम, जस्ता, तांबे, मैंगनीज, सेलेनियम, कोलीन, लाइकोपीन और बीटेन पाया जाता हैं। जो कि स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।
स्वाद में मीठी मुलेठी कैल्शियम, ग्लिसराइजिक एसिड, एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटीबायोटिक, प्रोटीन और वसा के गुणों से भरपूर होती है। इसका इस्तेमाल नेत्र रोग, मुख रोग, कंठ रोग, उदर रोग, सांस विकार, हृदय रोग, घाव के उपचार के लिए सदियों से किया जा रहा है।
आपके चलने की गति आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकती है, क्योंकि एक नए शोध में पता चला है कि हृदय रोगी अगर तेज चलते हैं तो उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति के जोखिम का कम सामना करना पड़ता है।
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