यह मान लेना कि हेल्थ इंश्योरेंस ही पर्याप्त है तो ऐसा नहीं होना चाहिए, क्योंकि वह हर तरह की बीमारी को कवर करने में सक्षम नहीं है।
एक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी न केवल आपके अस्पताल में भर्ती होने के खर्च (परामर्श, जांच और दवाओं पर) को कवर करती है, बल्कि अस्पताल में भर्ती होने से कुछ दिन पहले और बाद तक के संबंधित खर्चों को भी कवर करती है।
अभी कैशलेस क्लेम (नकदी-रहित दावा) प्रक्रिया लंबी है और बीमा कंपनियां इलाज और अन्य मदों के नाम पर कुल बिल से 10 प्रतिशत या उससे अधिक की कटौती करती हैं।
इंश्योरेंस एक्सपर्ट का कहना है कि कॉम्बो पॉलिसी पेश करने पर बीमा कंपनियों का खर्च कम होगा। इंश्योरेंस कंपनियों को पॉलिसी मैनेज में आने वाली लागत में कमी आएगी।
हेल्थ इंश्योरेंस में अलग से क्रिटिकल इलनेस प्लान जोड़ते हैं। इनमें किडनी और स्ट्रोक की तरह लगभग 50 बीमारी शामिल हैं।
आमतौर पर हम सब हेल्थ इंश्योरेंस लेने के बारे में सोचते हैं, लेकिन इससे जुड़ी बातों न जानने पर हम इसे लेने पर हाथ खींच लेते हैं। इसके साथ ही प्रतिस्पर्धा के इस युग में सही हेल्थ इंश्योरेंस का चुनाव करना भी जरूरी है, जिससे आगे आप परेशानी में न आये।
जो लोग पुराने समय से हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी ले चुके हैं उन्हें समय रहते इसे स्विच करने की जरूरत है। लेकिन हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को स्विच करते समय पोर्ट और माइग्रेशन को नहीं करें नजरअंदाज। हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को कब और क्यों करें स्विच। यहां जानिए इन दोनों के फायदे और नुकसान।
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेते समय अधिकतर लोग नियम और शर्तें पढ़ना भूल जाते हैं। अगर आप भी अपने परिवार में किसी के लिए हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने वाले हैं तो इसमें सब लिमिट को चेक करना ना भूलें। यहां जानिए हेल्थ इंश्योरेंस में सब लिमिट क्या होता है और इसे चेक करना क्यों है जरूरी।
यूपी की योगी सरकार ने नई खेल नीति 2023 को मंजूरी दे दी है। इसके लागू होने के बाद खिलाड़ियों को काफी फायदा होगा। सभी रजिस्टर्ड खिलाड़ियों को सरकार 5 लाख का हेल्थ इंश्योरेंस देगी। जानिए पूरी डिटेल्स...
अगर पॉलिसी होल्डर के पास एक से ज्यादा पॉलिसी हैं तो सभी इंश्योरर पॉलिसी के तहत क्लेम को समान रूप से साझा कर सकते हैं।
पहले से हेल्थ इंश्योरेंस होने के बावजूद भी कुछ बीमारियां ऐसी है जिसके लिए अलग से पैसे देने होते हैं। इस से बचने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस में अलग से क्रिटिकल इलनेस प्लान जोड़ते हैं। इसमें कई तरह की गंभीर बीमारियां कवर हो जाती को क्रिटिक हो। इनमें किडनी और स्ट्रोक की तरह लगभग 50 बीमारी शामिल हैं।
स्वास्थ्य बीमा को उन पहली पॉलिसी की लिस्ट आता है, जिसे एक कमाई करने वाले व्यक्ति को निवेश यात्रा शुरू करने से पहले ही खरीदना चाहिए। जीवन अनिश्चित है और अचानक स्वास्थ्य संकट आर्थिक और भावनात्मक दोनों रूप से व्यक्ति को कमजोर कर देता है।
Medical Insurance: किसी भी व्यक्ति का जीवन तब खुशहाल होता है जब उसके पास हेल्थ और वेल्थ दोनों होते हैं। आमतौर पर 25 वर्ष या उससे एक-दो साल आगे-पीछे लोग नौकरी करना शुरु कर देते हैं, लेकिन कई बार वो मेडिकल एंश्योरेंस नहीं खरीद पाते हैं। चलिए 35 वर्ष की आयु से पहले Medical Insurance खरीदने के पांच बड़े फायदे जानते हैं।
अगर आप किसी प्राइवेट कंपनी (Private Company) में काम करते हैं तो आपको कंपनी के तरफ से हो सकता है Health Insurance मिला हो। हालांकि ये जरूरी नहीं होता है।
Health Insurance: हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम आपकी उम्र, परिवार के इतिहास, जॉब में रिस्क, बीमारी आदि को देखते हुए तय किया जाता है।
सरकार ने ग्राहकों को अपनी पॉलिसी किसी दूसरी कंपनी में पोर्ट करवाने या बदलने की सहूलियत भी दी है।
Health Insurance : ज्यादातर बीमा कंपनियां ग्राहकों की स्वास्थ्य सेवाओं की बढ़ती जरूरतों को देखते हुए बीमा कंपनियां ओपीडी कवर को भी इंश्योरेंस पॉलिसी में शामिल करने लगी हैं।
उद्योग सूत्रों का कहना है कि अगले महीने से हेल्थ इंश्योरेंस मुहैया कराने वाली कंपनियों ने प्रीमियम में 15% से 20 फीसदी की बढ़ोतरी का फैसला किया है।
बीमा विशेषज्ञों का कहना है कि अक्सर कम उम्र के लोगों को लगता है कि वे बिल्कुल स्वस्थ हैं और वे बाद में हेल्थ इंश्योरेंस खरीद सकते हैं, लेकिन यह एक बड़ी गलती है।
एक ताजा रिपोर्ट में सामने आया है कि स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों के तहत मरीज के इलाज पर खर्च की गई राशि को वापस पाने में भारत में औसतन 20 से 46 दिन का समय लगता है।
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