बीमा विशेषज्ञों का कहना है कि को-पे उन लोगों के लिए आदर्श विकल्प है जो कम दावे करते हैं। वह इस विकल्प को चुनकर आसानी से पॉलिसी प्रीमियम को काफी कम कर सकते हैं।
निवा बूपा हेल्थ इंश्योरेंस आईपीओ ₹800 करोड़ मूल्य के 10.81 करोड़ इक्विटी शेयरों के नए निर्गम और ₹1,400 करोड़ मूल्य के 18.92 करोड़ शेयरों की बिक्री पेशकश (ओएफएस) का कॉम्बिनेशन था।
1 सितंबर, 2024 तक प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के साथ कुल 29,648 अस्पताल जुड़े हुए हैं, जिनमें 12,696 प्राइवेट अस्पताल हैं, जहां PMJAY के तहत कवर व्यक्ति कैशलेस इलाज करा सकता है।
बीमा कंपनियां हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी की प्रीमियम में लगातार बढ़ोतरी करती जा रही है। अगर आप भी प्रीमियम के बोझ से परेशान हैं तो कुछ बातों का ख्याल रखकर अच्छी खासी बचत कर सकते हैं।
आयुष्मान भारत पीएम-जेएवाई दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना है। इसका उद्देश्य 12 करोड़ से अधिक गरीब परिवारों (लगभग 55 करोड़ लाभार्थी) को प्रति वर्ष पांच लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा प्रदान करना है।
इलाज और दवाइयों के बढ़ते खर्च को देखते हुए आज के समय में हेल्थ इंश्योरेंस होना बहुत जरूरी हो गया है। हेल्थ इंश्योरेंस आपको न सिर्फ इलाज और दवाइयों के ऊंचे खर्च से सुरक्षा देता है बल्कि टैक्स बेनिफिट्स भी देता है।
केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी जुलाई में इस मुद्दे पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर कहा था कि जीवन बीमा प्रीमियम पर जीएसटी लगाना जीवन की अनिश्चितताओं पर कर लगाने के समान है।
टियर 1 और टियर 2 शहरों से 20 से 50 साल की उम्र के 800 लोगों पर किए गए सर्वे में सामने आया कि 64% को इस बात का पछतावा था कि उन्होंने टर्म इंश्योरेंस लेने में देरी कर दी।
सरकार की कोशिश है कि एक महीने के अंदर 70 साल से ज्यादा उम्र के वरिष्ठ नागरिकों के लिए इस योजना को शुरू कर दिया जाए। एक हफ्ते में इस पर आर्डर आ जाएगा। सरकार इस योजना के प्रचार-प्रकार के लिए एक कैम्पेन भी लॉन्च करने जा रही है।
कैबिनेट की एक अहम मीटिंग के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, "हमारे 70 साल से ज्यादा उम्र के वरिष्ठ नागरिकों को सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज, आयुष्मान भारत पीएम जन आरोग्य योजना के तहत कवर करने का फैसला लिया गया है। ये बहुत बड़ा निर्णय है।''
ज्यादातर पॉलिसी में पहले से चली आ रही बीमारियों की कवरेज के लिए कुछ सालों का वेटिंग पीरियड होता है। नियमों के अनुसार पुरानी बीमारियों को ज्यादा से ज्यादा 3 साल के लिए वेटिंग पीरियड में रखा जा सकता है।
कई लोग 25 की उम्र में हेल्थ इंश्योरेंस लेते हैं तो कई लोग 30 और 35 की उम्र में हेल्थ इंश्योरेंस खरीदते हैं। ऐसे में जिन लोगों ने अभी तक हेल्थ इंश्योरेंस नहीं लिया है, उनके मन में एक सवाल उठता रहता है कि हेल्थ इंश्योरेंस लेने का सही समय क्या है?
वित्त वर्ष 2023-24 में केंद्र और राज्यों ने स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर जीएसटी के जरिये 8,262.94 करोड़ रुपये एकत्र किए, जबकि स्वास्थ्य पुनर्बीमा प्रीमियम पर जीएसटी के रूप में 1,484.36 करोड़ रुपये वसूले गए।
इंश्योरेंस सेक्टर के जानकारों का कहना है कि इलाज खर्च में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। वहीं, बीमा कंपनियां पहले से मौजूद बीमारियों के लिए प्रतीक्षा अवधि को इस साल अप्रैल से चार साल से घटाकर तीन साल की है।
सीनियर सिटीजन के लिए हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि इंश्योरेंस कंपनियां वरिष्ठ नागरिकों की उम्र और मौजूदा हेल्थ कंडीशन के हिसाब से उनका प्रीमियम तय करती हैं।
ममता बनर्जी ने कहा कि लाइफ इंश्योरेंस और हेल्थ इंश्योरेंस पर लगाया जाने वाला जीएसटी जनविरोधी है और इससे आम लोगों पर वित्तीय बोझ बढ़ता है।
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में यह समझने की कोशिश करें कि क्या वह पॉलिसी गंभीर बीमारी को कवर कर रही है? स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियां संचयी बोनस प्रदान कर सकती हैं, जिसमें हर क्लेम फ्री साल के लिए, रिन्युअल के समय बीमा राशि में एक निश्चित प्रतिशत की बढ़ोतरी की जाती है
बीमा नियामक आईआरडीएआई ने ने कहा है कि सभी तरह के अस्पतालों में बीमा कवरेज उपलब्ध होना चाहिए, जिसमें किफायती अस्पताल भी शामिल हैं। कवरेज में आपातकालीन स्थितियों में कवरेज से इनकार नहीं किया जाना चाहिए।
भारत में स्वास्थ्य बीमा को हमेशा किसी के वित्तीय हितों की रक्षा के लिए सुरक्षा जाल के बजाय, आर्थिक भार के रूप में देखा जाता है। भारत में प्रति व्यक्ति औसत आय लगभग 16 हजार रुपये प्रति माह है।
कोरोना महामारी के बाद हेल्थ इंश्योरेंस की मांग तेजी से बढ़ी है। वहीं दूसरी ओर कंपनियों द्वारा क्लेम देने में अनाकानी के मामले भी बढ़े हैं।
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