बीजेपी विधायकों ने सदन में ही रात भर धरना दिया। पार्टी के विधायक तकिया और चादर लेकर पहुंचे और जहां जगह मिली वहीं तनकर सो गए।
मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली 14 महीने पुरानी गठबंधन सरकार का भविष्य तय करने वाले विश्वास प्रस्ताव पर गुरुवार को कर्नाटक विधानसभा में मतदान नहीं हो सका।
गठबंधन सरकार के 16 विधायकों के विधानसभा से इस्तीफा देने और दो निर्दलीय विधायकों के सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद सभी की निगाहें विश्वास मत पर टिकी हैं। बहरहाल, एक असंतुष्ट विधायक रामलिंगा रेड्डी ने बृहस्पतिवार को कहा कि उन्होंने पार्टी के साथ रहने का फैसला कर लिया है
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अगर फ्लोर टेस्ट से पहले स्पीकर रमेश कुमार 15 बागी विधायकों के इस्तीफे मंजूर कर लेते हैं तो कर्नाटक विधानसभा में सदस्यों की संख्या 225 से घटकर 210 रह जाएगी क्योंकि स्पीकर वोटिंग में हिस्सा नहीं लेते हैं। ऐसे में केवल 209 विधायक ही विश्वास मत पर वोटिंग कर सकेंगे।
कर्नाटक में जारी सियासी ड्रामे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब कांग्रेस ने अपने बागी विधायकों को मनाने की आखिरी कोशिश की है।
कर्नाटक में जारी सियासी संकट के बीच भारतीय जनता पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा सरकार बनाने को लेकर निश्चिंत नजर आ रहे हैं।
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कर्नाटक के सियासी संकट पर सुप्रीम कोर्ट ने बहुत बड़ा फैसला दिया है। चीफ जस्टिस ने फैसले में कहा कि 15 बागी विधायकों को सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिए दबाव नहीं डाला जा सकता है।
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रोहतगी ने यह भी कहा कि बागी विधायकों ने भाजपा के साथ मिलकर षड्यंत्र रचा है इसे साबित करने के लिए कोई साक्ष्य नहीं है और अयोग्य घोषित करना संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत संक्षिप्त-सुनवाई है, जबकि इस्तीफ अलग है, उसे स्वीकार किया जाना सिर्फ एक मानक पर आधारित है कि वह स्वैच्छिक है या नहीं।
बता दें कि 2006 में मोहम्मद मंसूर खान ने आईएमए के नाम से कंपनी खोली थी। मंसूर ने कंपनी को इस्लामिक कानून के मुताबिक हलाल इनवेस्टमेंट के मोड में रखा। हलाल निवेश के लिए उसने शुरुआत में कई मौलानाओं से संपर्क किया और उनके जरिए धनी मुस्लिम परिवारों तक पहुंचा।
खबरों के अनुसार, उपमुख्यमंत्री जी परमेश्वर भी नागराज को इस्तीफा वापस लेने के लिए मनाने के वास्ते उनके घर गए। नागराज ने बुधवार को विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था। इसी तरह विधायक रामलिंगा रेड्डी, मणिरत्न और आर रोशन बेग को मनाने की कोशिश की गई।
सियासी ड्रामे के बीच शुक्रवार से कर्नाटक विधानसभा का मॉनसून सेशन शुरू हुआ है। कांग्रेस और जेडीएस ने अपने-अपने विधायकों को विधानसभा में मौजूद रहने के लिए व्हिप जारी कर रखा है। अब कुमारस्वामी के ट्रस्ट वोट साबित करने के ऐलान के बाद बागी विधायकों को व्हिप का पालन करना पड़ेगा।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय में आरोप लगाया कि बागी विधायकों के इस्तीफे के मामले में शीर्ष अदालत ने विधानसभा अध्यक्ष को नोटिस दिये बगैर ही आदेश पारित किया था।
कर्नाटक का नाटक मंगलवार तक चलता रहेगा क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में अब मामले की सुनवाई मंगलवार को होगी तब तक विधानसभा अध्यक्ष कोई फैसला नहीं ले पाएंगे। सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने पूछा कि क्या विधानसभा अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के पावर को चुनौती दे रहे हैं?
विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार ने संकट का सामना कर रहे सत्तारूढ़ कांग्रेस-JDS गठबंधन के बागी विधायकों के इस्तीफे पर फौरन कोई फैसला करने से इनकार कर दिया।
इन सबके बीच कर्नाटक में एक मुलाकात ने खलबची मचा दी है। जेडीएस नेता और पर्यटन मंत्री सारा महेश ने बीजेपी के सीनियर नेता मुरलीधर राव और केएस ईश्वरप्पा से मुलाकात की। ये मुलाकात पर्यटन मंत्रालय के गेस्टहाउस में हुई। जेडीएस और बीजेपी नेताओं को गेस्ट हाउस से निकलते हुए देखा गया।
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अब तक कांग्रेस और जेडीएस के 16 विधायक बागी हो चुके हैं। दो निर्दलीयों को मिलाकर कुल 18 विधायक सरकार से दूर जा चुके हैं लेकिन कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर रमेश कुमार ने इस्तीफों को अटका दिया है।
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