हनुमान मंदिर को तोड़े जाने को लेकर नोटिस जारी किया गया था। स्थानीय लोग इसको लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे आज शाम इस मंदिर में महाआरती करने वाले हैं।
हर साल की तरह इस साल भी अमृतसर के बड़ा हनुमान मंदिर में लंगूरों का मेला बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। जिनकी मुरादें पूरी होती है, वे यहां पर माथा टेकने के लिए जरूर पहुंचते हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर में जो हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित है, वह अपने आप ही यहां पर प्रकट हुई थी।
कुछ चोरों ने हनुमान मंदिर को ही निशाना बना लिया। चोरी के इरादे से घुसे चोरों ने बजरंग बली की मूर्ति पर लगे सभी गहने और जेवर चुरा लिए। जिसका वीडियो मंदिर में लगे CCTV में कैद हो गया।
पटना के महावीर मंदिर में हनुमान जी के दोनों विग्रह ने स्वर्ण जड़ित मुकुट और हार धारण किया। सोने की कीमत 10.99 लाख रुपये है। मुकुट और हार बनवाने पर 1.24 लाख रुपये खर्च हुए हैं।
अयोध्या नगरी में भगवान राम के परम भक्त हनुमान जी का एक प्राचीन सिद्धपीठ मंदिर है जिसके बारे में हम आज आपको बताने जा रहे हैं। राम मंदिर के दर्शन से पहले हनुमान जी के दरबार आना होता है। यहां दर्शन करने वाले भक्तों का बजरंगबली बेड़ा पार कर देते हैं, आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी और भी विशेष बातें।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लखनऊ के एक हनुमान मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए पहुंचे हैं। इसका वीडियो भी सामने आया है। जिसमें वह हनुमान सेतु में पूजा करते हुए दिखाई दे रहे हैं। गौरतलब है कि अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में कुछ ही समय रह गया है।
हनुमान जी की महिमा तो आप सब जानते हैं। मगंलवार का दिन उनकी पूजा के लिए विशेष माना जाता है। उनके कई सारे मंदिर हैं जहां भक्तजन उनके दर्शन के लिए जाते हैं। लेकिन आज हम आपको उनके 5 प्रसिद्ध सिद्धपीठ मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। जहां दर्शन मात्र से हनुमान जी की असीम कृपा प्राप्त होती है।
प्रतिमा बिजली से क्षतिग्रस्त नहीं होने पर लोग उसे हनुमान जी का चमत्कार मान रहे हैं। बिजली गिरने से प्रतिमा पर कोई आंच नहीं आना गांव में चर्चा का विषय बना हुआ है।
हनुमान जी को भोग लगाने के बाद इस रोट का चूरमा बनाकर बतौर प्रसाद भक्तजनों को वितरित किया गया है। देवीपुरा बालाजी मंदिर में रोट बनाने की इस प्रक्रिया की शुरुआत शुक्रवार की सुबह ही शुरू कर दी गई थी।
मेंहदीपुर बालाजी मंदिर राजस्थान के दौसा जिले की सिकराय तहसील में स्थित है। यहां मुख्य रूप से बालाजी (हनुमानजी), भैरव और प्रेतराज सरकार की पूजा की जाती है।
Patna Mahavir Mandir: आज हम आपको कराने जा रहे हैं देश के प्राचीन मंदिरों में से एक हनुमान जी के एक प्रसिद्ध मंदिर के दर्शन। ऐसा कहा जाता है कि यह मंदिर हनुमानगढ़ी के बाद दूसरा ऐसा हनुमान जी का मंदिर है जहां भक्तों की सबसे अधिक भीड़ देखने को मिलती है।
Kastbhanjan Hanuman Mandir: गुजरात के सारंगपुर में स्थित श्री हनुमान मंदिर, कष्टभंजन के रूप में भगवान हनुमान को समर्पित है। इम मंदिर में पूजा अर्चना करने से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
फैज और फजल अहमद के पिता जेड अहमद ने मुहल्लेवासियों को मंदिर निर्माण के लिए जमीन दान में देने की बात कही थी। लेकिन, असमय उनका निधन हो गया। इसके बाद मुहल्लेवासियों ने जब इस बात की जानकारी उनकी पत्नी और बेटों को दी तो वे भी उनके वादे से पीछे नहीं हटे।
Mangalwar Upay: हिंदू धर्म में हनुमान जी को भगवान शिव का अवतार माना गया है। इन्हें कई और नामों से जाना जाता है। जैसे कि रामभक्त हनुमान, बजरंगबली, पवनपुत्र, अंजनी पुत्र। मंगलवार को विशेष पूजा करने से पवनपुत्र भक्तों के सभी संकट को हर लेते हैं।
रांची मेन रोड स्थित हनुमान जी की मंदिर में स्थापित मूर्ती को क्षतिग्रस्त करने के आरोपी रमीज अहमद को रांची पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। यह घटना मंगलवार रात की है, जिसकी खबर बुधवार को शहर में फैलते ही सनसनी फैल गयी। लोग बड़ी संख्या में मंदिर के पास इकट्ठा हो गए।
UP News: पुलिस के मुताबिक, नशे के आदी तौफीक अहमद ने मंदिर की मूर्तियों को तोड़ा है और ध्वज भी फाड़ दिया है।
मंगलवार और शनिवार की दिन हनुमान जी का दिन होता है। वहीं सुंदरकांड का पाठ बहुत ही फलदाई और लाभकारी होता है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि सुंदरकांड का पाठ करने से व्यक्ति को सभी कष्ट और दुखों से मुक्ति मिलती है।
Bada Mangal 2022: भगवान हनुमान शिव जी के 11वें अवतार हैं, कहा जाता है कि हनुमान आज भी कलयुग में शरीर के साथ धरती पर विचरण करते हैं।
Bada Mangal 2022: बड़ा मंगल खास तौर पर हनुमान जी को समर्पित होता है। इन दिन खास पूजा अर्चना की जाती है।
हनुमान मंदिर एक प्राचीन मंदिर है। यह दिल्ली में पांडवों द्वारा स्थापित पांच मंदिरों में से एक माना जाता है। सन् 1724 में तत्कालीन जयपुर रियासत के महाराज जयसिंह ने इसका फिर से जीर्णोद्धार करवाया। कहा जाता है कि गोस्वामी तुलसीदास 16वीं सदी में जब दिल्ली आए तब वे इस मंदिर में भी दर्शन को आए थे।
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