गांधी अपने इन सवालों के लिए “22 साल का हिसाब, गुजरात मांगे जवाब” टैगलाइन का इस्तेमाल कर रहे हैं। राहुल गुजरात में भाजपा के पिछले 22 सालों के शासन पर हर दिन ट्विटर पर एक सवाल पूछ रहे हैं। कल गुजरात में पहले चरण के मतदान होने वाले हैं और दूसरे चरण के म
मणिशंकर अय्यर जब जब सार्वजनिक रूप से व्यक्तिगत हमले करते हैं ,अपने ही पाँव पर कुल्हाड़ी मारते हैं।एक राजनयिक से नेता बने अय्यर भूल गए २०१४ में मोदी पर उनकी ‘चायवाला’ टिप्पणी ने कमज़ोर और सामान्य वर्ग की जनसंख्या को आहत करने वाली थी।
बराड ने सोमनाथ विधानसभा चुनाव 2012 में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन जीतने के बाद पार्टी से इस्तीफा देकर 2014 में भाजपा में शामिल हो गए। उन्होंने दोबारा से सीट पर जीत हासिल की और विजय रूपाणी के मंत्रिमंडल में राज्य के पर्यटन मंत्री बने। भा
कल गुजरात में पहले चरण के लिए 89 सीटों पर वोटिंग होगी। 'खुश रहे गुजरात, खुशहाल गुजरात' का नारा देकर कांग्रेस अपना चुनावी घोषणा-पत्र पहले ही जारी कर चुकी है और भाजपा के घोषणा पत्र जारी न करने पर मन ही मन खुश भी हो रही है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि गुजरा
इन संस्थाओं ने हार्दिक से यह कहकर किनारा कर लिया कि हार्दिक का आंदोलन अब सामाजिक न रहते हुए राजनीतिक और निजी बन गया है। यहां तक कि इशारों ही इशारों में उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि कुछ समय के लिए भाजपा से नाराजगी जरूर थी लेकिन अब सब ठीक है। अब यह
सात घंटे के अंदर मणिशंकर अय्यर पर कार्रवाई करके पार्टी का प्राथमिक सदस्यता से निलंबित करते हुए उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया। लेकिन इस बीच राजनीति की गंगा में बहुत पानी बह चुका था। अपने बयानों से कांग्रेस के लिए मुसीबत खड़ी करते रहने वाले म
पटेल ने ट्वीट कर कहा, मुख्य मुद्दा यह है कि भाजपा विभाजक एजेंडे के तहत राज्य में पिछले 22 वर्षो के कार्यकाल के दौरान अपने प्रदर्शन से ध्यान भटकाने के लिए काफी मेहनत कर रही है। इसलिए वे लोग झूठ और भ्रामक प्रचार पर निर्भर हैं। लेकिन, गुजरात के लोगों ने
गुजरात में अहमद पटेल को मुख्यमंत्री बनाने के लिए मुसलमानों से कांग्रेस को वोट देने की अपील वाले पोस्टरों को लेकर विवाद खड़ा हो गया है...
इस चुनाव को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व के लिए एक परीक्षा के रूप में देखा जा रहा है...
राहुल गांधी ने मणिशंकर अय्यर के बयान की निंदा की है। उन्होंने कहा कि वो मणिशंकर के बयान का समर्थन नहीं करते हैं...
पीएम मोदी ने कहा कि मणिशंकर का बयान गुजरात का अपमान है। गुजरात के बेटे के लिए उन्होंने नीच शब्द का इस्तेमाल किया। उनमें मुगल संस्कार है...
लालू ने कहा, बिहार चुनाव में ई लोग गाय और पाकिस्तान को खोज कर लाए थे और अब गुजरात में 800-900 साल पहले गड़े मुर्दो को। मतलब हालात वही है और हाल भी वही होने वाला है...
कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला वर्ष 1985 से 2012 तक भाजपा के लिए सात बार इस सीट को जीत चुके हैं। वर्ष 1985 में उन्होंने हर्षदबा चूड़ासमा को हराया था। नरेंद्र मोदी को मुख्यमंत्री के तौर पर नामांकित किए जाने के बाद वाला ने वर्ष 2002 में मोदी के लिए यह
पाटीदारों एवं कारोबारियों की ‘नाराजगी’ को देखते हुए कांग्रेस को इस बार भाजपा से कुछ सीटें छीनने की उम्मीद है, जबकि दूसरी ओर भाजपा को विश्वास है कि वह लंबे समय से उसका गढ़ रहे सूरत में अपनी पकड़ बनाये रखेगी क्योंकि उसके नेताओं का दावा है कि कांग्रेस ज
कांग्रेस नेता ने पूछा, "गब्बर सिंह टैक्स (वस्तु एवं सेवा कर) भी किसानों पर मार है। उनकी भूमि छीनकर आपने किसानों को बेरोजगार कर दिया है। प्रधानमंत्री साहब कृपया बताईए कि आप किसानों के साथ सौतेला व्यवहार क्यों कर रहे हैं?"
नौ दिसंबर को पहले चरण में गुजरात के सौराष्ट्र और दक्षिणी गुजरात में वोट डाले जाएंगे। इस चरण में 182 सीटों में से 89 सीटों पर मतदान होगा। यहां मुख्यमंत्री विजय रुपाणी समेत 977 उम्मीदवार चुनाव मैदान में है। 2012 के चुनाव में सौराष्ट्र और कच्छ की 58 सीट
बाबरिया ने दागियों को मतदान की ड्यूटी से हटाने का अनुरोध किया है। उन्होंने आरोप लगाया गया कि एक आईएएस अधिकारी महेंद्र पटेल को सूरत के कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) के रूप में पदोन्नत किया गया, जबकि उनकी बतौर अधिकारी 'संदिग्ध' भूमिका रही है। पटेल
राहुल के कांग्रेस अध्यक्ष बनने की तैयारी को ‘औरंगजेब राज’ करार दिए जाने संबंधी प्रधानमंत्री मोदी के बयान को लेकर शिवसेना ने कटाक्ष किया और कहा कि ‘इस बयान का मतलब यह है कि मोदी मानते हैं कि राहुल उनके प्रतिस्पर्धी हैं और नेतृत्व करने में सक्षम हो गए
गहलोत ने कहा, "हम चाहते हैं कि वह हम पर और हमले करें। हम चाहते हैं कि वह हमारे सम्मानित नेताओं की भर्त्सना करें। वह हम पर जितने प्रहार करेंगे, हमें...
गुजरात के सौराष्ट्र इलाके को चुनाव के रणनीतिकार सबसे ज्यादा अहमियत देते हैं और गुजरात की सत्ता का फैसला इसी इलाके के वोटरों का रूख तय करता है...
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