मंत्रालय ने 15 जुलाई और सात अक्टूबर को क्रमश: 75,000 करोड़ रुपये और 40,000 करोड़ रुपये जारी किये थे। अब तक कुल 1.59 लाख करोड़ रुपये दिये जा चुके हैं
मौजूदा राशि के साथ चालू वित्त वर्ष में जीएसटी मुआवजे के बदले ऋण के रूप में जारी की गई कुल राशि 1.15 लाख करोड़ रुपये हो चुकी है, जो कुल अनुमानित कमी का 72 प्रतिशत से अघिक है।
वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को जीएसटी संग्रह के आंकड़े जारी किए। गौरतलब है कि जीएसटी संग्रह लगातार तीसरे महीने एक लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद ने गत 17 सितंबर को हुई बैठक में इन दो मंत्री समूहों का गठन करने का फैसला किया था।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद ने गत 17 सितंबर को इन दो मंत्री समूहों का गठन करने का फैसला किया था
अधिसूचना में यह भी कहा गया कि एक जनवरी, 2022 से जिन व्यवसायों ने संक्षिप्त रिटर्न दाखिल करने और मासिक जीएसटी का भुगतान करने में चूक की है, वे अगले महीने की जीएसटीआर-1 बिक्री रिटर्न दाखिल नहीं कर पाएंगे।
सकल कंपनी कर संग्रह 3.58 लाख करोड़ रुपये तथा व्यक्तिगत आयकर संग्रह 2.86 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा। चालू वित्त वर्ष में अब तक 75,111 करोड़ रुपये करदाताओं को रिफंड किया गया।
जीएसटी व्यवस्था एक जुलाई, 2017 को लागू हुई थी। जीएसटी परिषद ने एक जनवरी, 2022 से केंद्रीय जीएसटी नियम के नियम 59 (6) में संशोधन करने का फैसला किया है।
सीतारमण ने जीएसटी परिषद की बैठक में किये गये फैसलों की जानकारी देते हुए कहा, ‘‘जीएसटी परिषद का मानना है कि यह समय पेट्रोलियम पदार्थों को माल एवं सेवा कर के दायरे में लाने का नहीं है।’’
वित्त मंत्री ने बैठक के बाद कहा कि ज़ोल्गेन्स्मा और विल्टेप्सो यह दोनों दवाएं बेहद जरूरी दवाएं है जिनकी कीमत करीब 16 करोड़ रुपए है। इसलिए परिषद ने इन 2 के लिए जीएसटी से छूट देने का फैसला किया है।
देश में जीएसटी व्यवस्था एक जुलाई, 2017 से लागू हुई थी। जीएसटी में केंद्रीय कर मसलन उत्पाद शुल्क और राज्यों के शुल्क मसलन वैट को समाहित किया गया था।
अगर काउंसिल में इस बारे में सहमति बनती है तो इससे देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भारी कमी देखने को मिल सकती है।
अनुमान के मुताबिक फूड डिलीवरी एग्रीग्रेटर द्वारा पिछले दो सालों में तथाकथित अंडर-रिपोर्टिंग के कारण सरकार को 2000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है।
ई्रंधन पर एक समान कर लगाने से पेट्रोल-डीजल की कीमतों को नरम बनाने में मदद मिलेगी, जिनकी कीमत हाल ही में केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा उच्च कर लगाने की वजह से अपने सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई हैं।
इस संदर्भ में पूर्व के फैसलों का जिक्र करते हुए न्यायालय ने कहा कि कराधान के क्षेत्र में शीर्ष अदालत ने फार्मूले की व्याख्या के लिये तभी हस्तक्षेप किया है, जब उसका विश्लेषण सहीं नहीं जान पड़ता है या अव्यवहारिक है।
चपाती, रोटियां (फुल्का) और पराठे एक दूसरे से काफी मिलते-जुलते हैं इनको बनाने या पकाने की विधि के अलावा उपयोग और उपभोग का तरीका भी एक समान है।
प्राकृतिक गैस पर जीएसटी लगाने से ओएनजीसी, आईओसीएल, बीपीसीएल और एचपीसीएल जैसी सरकारी तेल कंपनियों को 25,000 करोड़ रुपये के कर बोझ से बचाने में मदद मिलेगी
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था लागू होने के बाद उत्पाद शुल्क केवल पेट्रोल, डीजल, एटीएफ और प्राकृतिक गैस पर लगाया जाता है। इन उत्पादों को छोड़कर अन्य सभी वस्तुएं और सेवाएं जीएसटी के तहत हैं।
जीएसटी परिषद की इससे पिछली बैठक 12 जून को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हुई थी। इसमें कोविड-19 से संबंधित सामग्री पर कर की दरों को 30 सितंबर तक के लिए घटाया गया था।
वित्त मंत्रालय ने कहा कि लगातार आठ माह तक जीएसटी संग्रह का आंकड़ा एक लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा था। उसके बाद जून, 2021 में यह घटकर इससे नीचे आ गया।
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