ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा 25 फीसदी बढ़कर 20 लाख रुपये से 25 लाख कर दी गई है। ग्रेच्युटी एक लाभ योजना है जो नियोक्ता द्वारा कर्मचारी को लगातार पांच साल या उससे अधिक समय तक सेवा प्रदान करने के लिए दी जाती है।
वर्तमान समय में ग्रेच्युटी पाने के लिए एक इंसान को किसी निजी कंपनी या प्राइवेट संस्था में कम से कम पांच वर्ष काम करना पड़ता है।
वर्तमान समय में ग्रेच्युटी पाने के लिए एक इंसान को किसी निजी कंपनी या प्राइवेट संस्था में कम से कम पांच वर्ष काम करना पड़ता है। यह अवधि पूरी हो जाने के बाद कर्मचारी को निश्चित राशि प्राप्त होती है। आइए ग्रेच्युटी का फॉर्मूला यानी ग्रेच्युटी के बारे में विस्तार से जानते हैं।
प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों को PF की तरह ग्रैच्युटी ट्रांसफर का भी विकल्प मिलेगा। ग्रैच्युटी पोर्टेबिलिटी पर इंडस्ट्री-यूनियन में सहमति बनने के बाद नौकरी बदलने पर PF की तरह ग्रैच्युटी भी ट्रांसफर होगी।
यदि एक कर्मचारी निर्धारित समय के बाद भी सरकारी या कंपनी के क्वार्टर में रहता है, तब उससे दंडात्मक किराये की वसूली बकाया भुगतान या ग्रेच्यूटी में से की जा सकती है।
मोदी सरकार ने देश के नौकरी करने वाले लोगों को बहुत बड़ी राहत देते हुए ग्रेच्युटी पर बड़ा विधेयक पास कर दिया है। सरकार ने श्रम कानून में बदलाव के लिए संसद से इस विधेयक को पास किया है।
ग्रेच्युटी का कैलकुलेशन करने का फॉर्मूला n*b*15/26 है। इसमें एन कंपनी में सेवा का कार्यकाल और बी अंतिम बेसिक सैलरी व महंगाई भत्ता है।
नौकरीपेशा लोगों को केंद्र सरकार की तरफ से जल्द ही बड़ी खुशखबरी मिल सकती है। दरअसल, मोदी सरकार सोशल सिक्योरिटी एंड ग्रैच्युटी नियम में बदलाव करने जा रही है।
पिछले गुरुवार को लोकसभा में हंगामें के बीच पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एमेंडमेंट बिल पारित हो गया था और गुरुवार को यह विधेयक राज्यसभा में भी पास कर दिया गया है।
ग्रेच्युटी के तहत किसी संगठित क्षेत्र के कर्मचरियों को अधिकतम 10 लाख रुपए मिला करते थे। श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार ने कहा कि प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए सरकार टैक्स फ्री ग्रेच्युटी की राशि बढ़ा कर 20 लाख रुपए तक कर सकती है।
नौकरीपेशा व्यक्ति जिन्होंने अभी तक इनकम टैक्स बचाने के पर्याप्त उपाय नहीं किए हैं, वे किसी अच्छे माध्यम की तलाश कर रहे होंगे। आज हम आपको बताने जा रहे हैं ऐसे पांच स्मार्ट तरीके से जिनके जरिए आप आसानी से अपना इनकम टैक्स बचा सकते हैं।
अभी तक 2.50 लाख रुपए की सालाना कमाई पर किसी तरह का टैक्स नहीं लगता है और 10 लाख रुपए से ऊपर की ग्रेच्युटी पर भी इनकम टैक्स चुकाना पड़ता है
संगठित क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को फिलहाल पांच साल या अधिक की सेवा के बाद नौकरी छोड़ने या सेवानिवृत्ति के बाद 10 लाख रुपये तक की ग्रेच्युटी पर कोई कर नहीं देना होता है।
सरकारी कर्मचारियों की ग्रेच्युटी सीमा को 7वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के साथ ही 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख रुपये किया जा चुका है।
यह हर नौकरी करने वाले उस आदमी के लिए अच्छी खबर है, जो प्राइवेट सेक्टर या सरकारी कंपनियों (PSU) में नौकरी करते हैं।
अब रिटायरमेंट के बाद आपको अपने ईपीएफ(इंप्लॉई प्रोविडेंट फंड) खाते का पैसा प्राप्त करने के लिए दफ्तरों के चक्कर लगाने की कोई जरूरत नहीं है।
श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा है कि टैक्स–फ्री ग्रैच्युटी की सीमा दोगुनी कर 20 लाख किए जाने का बिल संसद के मानसून सत्र में पेश किया जाएगा।
संसद की एक समिति ने सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में संशोधन का सुझाव दिया है और कहा है कि EPFO को बेरोजगारी बीमा तथा ग्रैच्युटी लाभ उपलब्ध कराना चाहिए।
ग्रैच्युटी के नियम बदल सकते हैं। संभव है कि अब नए नियमों के तहत PF (भविष्य निधि) की तर्ज पर ग्रैच्युटी के पैसे भी आपकी सैलरी की राशि से काटी जाए।
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