वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर एक गैर-सरकारी संगठन है, जो वन संपदा संरक्षण और पर्यावरण पर मानव प्रभाव को कम करने के लिए काम करता है। इसकी रिपोर्ट में भारतीय खान-पान को सर्वेश्रेष्ठ बताया गया है।
वर्ष के दौरान दलहनों का उत्पादन बढ़ा है। तुअर का उत्पादन 33.85 लाख टन अनुमानित है, जो 2022-23 में 33.12 लाख टन की तुलना में 0.73 लाख टन अधिक है।
उत्तर प्रदेश के किसान इस समय खास तरह के काले गेहूं की पैदावार कर रहे हैं, इसकी कीमत उन्हें आम गेहूं से 5 गुनी मिल रही है, वहीं लोग भी इसके गुणों के चलते खूब अपना रहे हैं।
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने शुक्रवार को कहा कि अगर पश्चिमी देश रूस के अनाज निर्यात की बाधाओं को दूर करने में नाकाम रहते हैं तो मास्को उस समझौते से बाहर निकल सकता है जो यूक्रेनी अनाज को वैश्विक बाजारों में भेजने की अनुमति देता है।
चालू वित्त वर्ष में भी, पहले दस महीनों में अनाज की कीमतें सालाना आधार पर काफी बढ़ी हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां गेहूं और धान की कीमतें 8-11 फीसदी बढ़ी हैं, वहीं मक्का, ज्वार और बाजरा की कीमतें 27-31 फीसदी बढ़ी हैं।
India on Ukraine Grain Corridor: यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई के लिए रूस को दोषी ठहराने वाले पश्चिमी देशों के दबाव को दरकिनार कर जब भारत ने कहा था कि वह जहां से मर्जी वहां से तेल की खरीददारी करेगा तो यह बात पुतिन को बहुत अच्छी लगी थी।
Bone Health: सर्दियों के मौसम में अक्सर लोगों को हड्डियों से जुड़ी समस्याएं होने लगती है, अगर आप भी इन सबसे परेशान हैं तो इस मौसम में इस आटे की रोटी करें खाना शुरू फिर देखें कमाल।
UN Grain Deal: यूक्रेन से निर्यात होने वाले अनाज पर रूस ने जो रोक लगाई थी, वह यूएन की इस डील के बाद हट गई थी। लेकिन रूस ने कहा है कि वह एक बार फिर इस डील को निलंबित कर रहा है।
Russia Ukraine War: राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा, “युद्ध की शुरुआत के बाद से पहली बार जहाज के जरिए अनाज का एक्सपोर्ट फिर से शुरू हो गया।” उन्होंने कहा कि अनाज का एक्सपोर्ट कई जहाजों के डिपार्चर के साथ शुरू होगा।
Russia-Ukraine War: रूस ने हालिया हफ्तों में यूक्रेन के ओडेसा और दक्षिण यूक्रेन के कई हिस्सों को निशाना बनाया है जहां उसके सैनिकों ने युद्ध के शुरुआती दिनों में कंट्रोल बनाया था।
यह मशीन एक बार में पांच से सात मिनट के भीतर 70 किलो तक अनाज निकाल सकती है।
केंद्र ने चालू खरीफ विपणन सत्र में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर लगभग 1.23 लाख करोड़ रुपये का 651.07 लाख टन धान की खरीद की है जो पिछले सत्र में इसी दौरान की खरीद से करीब 16 प्रतिशत अधिक है।
योजना में अप्रैल, मई और जून के लिए हर महीने प्रत्येक राशन कार्डधारक को पांच किलो अनाज (गेहूं/चावल) और प्रत्येक राशन कार्डधारक परिवार को एक किलो दाल मुफ्त देने का प्रावधान किया गया था। बाद में योजना को पांच महीने और बढ़ाकर 30 नवंबर तक कर दिया गया।
नेशनल बल्क हैंडलिंग कॉरपोरेशन (एनबीएचसी) ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इस बार 84 प्रतिशत इलाकों में मानसून सामान्य या सामान्य से अधिक रहा है।
देशभर में खरीफ फसलों की बुवाई चालू सीजन में पिछले साल से तकरीबन 9 फीसदी पिछड़ी हुई है।
सरकार ने खाद्य कानून के तहत राशन की दुकानों के जरिये बेचे जाने वाले अनाज का मूल्य एक साल और नहीं बढ़ाने का फैसला किया है। पूर्व संप्रग शासन के दौरान वर्ष 2013 में पारित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (NFSA) के तहत अनाज के दाम में हर तीन साल बाद समीक्ष
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