अगले कुछ महीनों में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले मध्य प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें वह अपने आसपास खड़े लोगों को कथित तौर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ध्यान रखने के लिए कह रही हैं।
मिजोरम के राज्यपाल कुम्मानम राजशेखरन ने 70वें गणतंत्र दिवस के दिन यहां लगभग खाली पड़े मैदान में अपना संबोधन दिया।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को कहा कि बैंकों के फंसे कर्जों (एनपीए) में अब कमी आ रही है तथा सरकारी बैंकों की हालत सुधर रही है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर में राज्य विधानसभा भंग करने के राज्यपाल के फैसले पर सवाल उठाते हुए शुक्रवार को लोकसभा में सुझाव दिया कि कश्मीर के विषय के समाधान के लिये पड़ोसी देश से बात करना चाहिए।
जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने देश के धनाढ्य वर्ग के एक तबके को सड़े आलू जैसा बताया और कहा कि उनमें समाज के प्रति कोई संवेदनशीलता नहीं है
राज्यपाल को छह महीने पूरे होने के बाद विधानसभा को भंग करना होता है और फिर राज्य अगले छह महीने के लिए राष्ट्रपति शासन के अधीन आता है जिस दौरान राज्य में चुनाव की घोषणा करनी होती है। यदि चुनाव की घोषणा नहीं की जाती है तो राष्ट्रपति शासन को अगले छह महीने के लिए बढ़ाया जा सकता है।
तवांग में बुधवार को आधिकारिक कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल ने मुख्यमंत्री पेमा खांडू और स्थानीय विधायक के बीच बातचीत सुनी।
सत्यपाल मलिक ने 24 नवंबर को ग्वालियर में सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया था कि अगर वह जम्मू एवं कश्मीर के राजनीतिक संकट के लिए दिल्ली के दिशा-निर्देशों की ओर देखते तो उन्हें भाजपा समर्थित सज्जाद लोन को मुख्यमंत्री बनाना पड़ता।
जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा है कि अगर मैंने दिल्ली की तरफ देखा होता तो मुझे सज्जाद लोन को मुख्यमंत्री बनाना पड़ता और इसके लिए मैं इतिहास में एक ‘बेईमान आदमी’ के रूप में याद किया जाता।
बयान में कहा गया है कि राज्यपाल ने चार अहम कारणों से तत्काल प्रभाव से विधानसभा भंग करने का निर्णय लिया जिनमें ‘‘व्यापक खरीद फरोख्त’’ की आशंका और ‘‘विरोधी राजनीतिक विचारधाराओं वाली पार्टियों के साथ आने से स्थिर सरकार बनना असंभव’’ जैसी बातें शामिल हैं।
पीडीपी की तरफ से महबूबा मुफ्ती की तरफ से चिट्ठी भेजकर सरकार बनाने का दावा पेश किया था इसके कुछ देर बाद ही सज्जाद लोन ने भी राज्यपाल को एक चिट्ठी भेजकर सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया।
राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा को भंग कर दिया है। इससे पहले महबूबा मुफ्ती की तरफ से नेशनल कांफ्रेस और कांग्रेस की मदद से सरकार बनाने के लिए राज्यपाल को चिट्ठी भेजी गई थी।
सरकार गिरने के बाद से राज्य में राज्यपाल शासन लागू है। 19 दिसंबर को राज्यपाल शासन के छह महीने पूरे हो जाएंगे और नियमों के मुताबिक, इसे दोबारा बढ़ाया नहीं जा सकता है।
राम माधव ने पूछा कि एक तरफ तो दोनो दल विधानसभा भंग कर चुनाव कराने की मांग करते हैं और दूसरी तरफ कहते हैं कि जबतक आर्टिकल 35A का मुद्दा हल नहीं होता तबतक चुनाव नहीं लड़ेंगे
गौरतलब है कि कोलोरेडो को उस वक्त ‘‘नफरती राज्य’’ करार दिया गया था जब 1992 में वोटरों ने समलैंगिकों को भेदभाव से बचाने वाले कानून पर पाबंदी को मंजूरी दे दी थी।
राज्यपाल ने संतोष प्रकट करते हुए कहा, यह बहुत अच्छा रहा। चार चरणों में मतदान संपन्न हुआ और एक चिड़िया तक को नुकसान नहीं पहुंचा। यह शांतिपूर्ण मतदान रहा।
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प्रवक्ता का कहना है कि राज्यपाल के प्रशासन ने एक स्वर में यह स्पष्ट कर दिया है कि राज्य में चल रहे शहरी तथा ग्रामीण स्थानीय निकाय चुनाव स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से हो रहे हैं और उनका परिणाम जनता के हाथों में है।
वोहरा कश्मीर के संबंध में कई प्रधानमंत्रियों- अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह और फिर नरेंद्र मोदी के लिए भरोसेमंद रहे।
सत्य पाल मलिक ने आज जम्मू-कश्मीर के 13वें राज्यपाल के तौर पर शपथ ली। यहां राज भवन में एक कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल ने मलिक को पद की शपथ दिलाई।
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