Global Leader India: इन दिनों पूरी दुनिया में तीसरे विश्व युद्ध की आहट महसूस होने लगी है। रूस-यूक्रेन युद्ध, आर्मीनिया-अजर बैजान युद्ध, चीन-ताइवान का तनाव, अमेरिका-चीन के बीच तनाव, भारत-चीन में तनाव, रूस-अमेरिका का तनाव, भारत पाकिस्तान का तनाव, ईरान-ईराक का तनाव, उत्तर कोरिया-अमेरिका का तनाव इत्यादि तमाम उदाहरण हैं।
Netherlands: दुनिया का एक ऐसा देश जहां 90 फ़ीसदी लोग मांसाहारी है फिर भी हैरान कर देने वाली बात है कि यहां आप लोग मांस से दूरी बना रहे हैं। हम बात कर रहे हैं नीदरलैंड की।
Global Warming: शहरों या प्रकृति के रास्तों पर दोस्तों के साथ साइकिल चलाना ज्यादा से ज्यादा लोगों की पसंद बनता जा रहा है। साइकिल चलाने को गोल्डन एरोबिक व्यायाम के रूप में जाना जाता है।
Floods Crisis in pakistan: पाकिस्तान में बाढ़ का कहर ऐसा टूटा है कि कई देशों द्वारा दी गई अंतरराष्ट्रीय मदद भी अब नाकाफी होने लगी है। इसकी वजह ये है कि अपने लोगों को बचाने के लिए पाकिस्तान सिर्फ दूसरे देशों पर ही निर्भर हो गया है। स्वयं से कुछ भी नहीं कर रहा।
World News: चीन को भारत की उपलब्धियों से हमेशा जलन होती है। इस बार चीन को विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत और भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था से मिर्ची लगी है।
INS Vikrant China: ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि भारत के पहले स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत के शुक्रवार को तैनात होने को लेकर पश्चिमी मीडिया की तरफ से काफी तारीफ की गई है। सीएनएन की रिपोर्ट में दावा किया है कि विमानवाहक पोत ने भारत को दुनिया की नौसैनिक शक्तियों की एक विशिष्ट श्रेणी में पहुंचाया है।
The Earth will End: पृथ्वी का जन्म लगभग 4.5 करोड़ों वर्ष पूर्व में हुआ था। जीवाश्म के मुताबिक, अब तक हम सभी पृथ्वी पर 3.5 करोड़ वर्ष बिता चुके हैं। पृथ्वी के निर्माण होने के बाद कई प्राकृतिक आपदा और मानवीय महामारियों का सामना किया गया
Global Warming: एक समय दुनिया में ऐसे जीव होते थे जिनके बार हम आज सिर्फ किताबों में पढ़ा करते हैं। ऐसे कई जीव समय के साथ गायब हो गए। इसके पीछ की सबसे बड़ी कारण हम तेजी से जंगलों को काटते जा रहे हैं जिसके कारण अन्य जीवों पर काफी प्रभाव पड़ा है।
China's economy in danger: श्रीलंका में छाई मंदी और डवांडोल हुए आर्थिक हालात का असर धीरे-धीरे पूरी दुनिया पर हो रहा है। भारत का जानी दुश्मन चीन भी इससे अछूता नहीं है। कहा जा रहा है कि अब चीन की हालत भी अगले कुछ माह में श्रीलंका जैसी होने वाली है।
Global Warming: ग्लोबल वार्मिंग को लेकर भले ही दुनिया सतर्क होने का दावा करती हो, लेकिन अब तक इसे रोकने के दिशा में उठाए गए कदम नाकाफी ही साबित हुए हैं। यही वजह है कि धरती का तापमान लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इससे प्रतिवर्ष लोगों को भीषण गर्मी का दंश झेलने को मजबूर होना पड़ रहा है।
Arctic Warming: आर्कटिक प्रवर्धन के परिमाण को मापने के लिए संख्यात्मक जलवायु मॉडल का उपयोग किया गया है। वे आमतौर पर अनुमान लगाते हैं कि प्रवर्धन अनुपात लगभग 2.5 है, जिसका अर्थ है कि आर्कटिक वैश्विक औसत से 2.5 गुना तेजी से गर्म हो रहा है।
एक टी-शर्ट को बनाने में तकरीबन 2,700 लीटर पानी लगता है, जिसे हम कुछ महीने पहले के बाद कचरे में डाल देते हैं। हर साल उत्पादित 100 अरब कपड़ों में से 92 मिलियन टन कचरों में फेंक दिया जाता है। यानी कपड़ों से भरा एक कचरा ट्रक हर सेकेंड कचरों का पहाड़ बनाने के लिए तैयार होता है।
Future Image: बढ़ते ग्लोबल वार्मिंग (Global warming) और लगातार पिघल रहे ग्लेशियर मानव के लिए खतरे की घंटी बजा रहा है। इसी बीच एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) इमेज जेनरेटर ने मानव की आखिरी सेल्फी जारी की है। जो खुब तेजी से वायरल हो रहे हैं।
Global Hunger: संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में यह सामने आया कि वर्ष 2021 में खाद्य संकट गहराया है। तेजी से होने वाली और भीषण जलवायु से जुड़ी घटनाएं भी आपूर्ति श्रृंखला को बाधित कर रही हैं, खासकर कम आय वाले देशों में यह देखने को मिला है।
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नास ने अंतरिक्ष यात्री के लिए इस प्रोडक्ट को सबसे पहले डेवलप किया था।
Global Peace Index 2022: दुनिया के 163 स्वतंत्र देशों और क्षेत्रों की रैंक जारी की गई है। इस रैंकिंग में भारत 3 स्टेप चढ़कर अब 135वें स्थान पर पहुंच गया है। पिछले साल इसका नंबर 138वां था।
कृषि मंत्रालय से जारी एक बयान में यह कहा गया कि इस साल किसानों ने अधिक दर पर निजी व्यापारियों को गेंहू की बिक्री कर लगभग 5,994 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया है।
World Environment Day: इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) की रिपोर्ट बताती है कि पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अब शायद बस एक आखिरी मौका ही बचा है और इस मौके का फायदा अगले आठ सालों में ही उठाया जा सकता है।
Extreme heat in India: जलवायु संबंधी एक अध्ययन में दावा किया गया है कि भारत और पाकिस्तान में लंबे समय से जारी भीषण गर्मी ने व्यापक मानवीय पीड़ा और वैश्विक स्तर पर गेहूं की आपूर्ति को प्रभावित किया, तथा मानव जनित गतिविधियों के कारण इसके और अधिक तेज होने की संभावना 30 गुना अधिक है।
इस साल प्री-मानसून सीजन में 16 मई तक 18 राज्यों में सामान्य से 90 फीसदी तक कम बारिश हुई है। ढाई महीने में देश में 92.2 मिमी बारिश होनी चाहिए, लेकिन 88 मिमी ही हुई। प्री-मॉनसून के समय में बारिश की कमी आने वाले समय के लिए बड़ी चेतावनी है।
संपादक की पसंद
लेटेस्ट न्यूज़