Climate Change-Virus Spillover: जलवायु परिवर्तन के कारण जो बर्फ पिघल रही है, उससे उसमें जमे वायरस और बैक्टीरिया बाहर निकल सकते हैं। इससे कोरोना वायरस जैसी बीमारी फैल सकती है।
Global Temperature:कीड़े अगर संघर्ष करेंगे तो मानवों का जीवन खतरे में पड़ सकता है। मगर यह कैसे?...आपको सोचकर हैरानी हो रही होगी।
Global Warming: शहरों या प्रकृति के रास्तों पर दोस्तों के साथ साइकिल चलाना ज्यादा से ज्यादा लोगों की पसंद बनता जा रहा है। साइकिल चलाने को गोल्डन एरोबिक व्यायाम के रूप में जाना जाता है।
Floods Crisis in pakistan: पाकिस्तान में बाढ़ का कहर ऐसा टूटा है कि कई देशों द्वारा दी गई अंतरराष्ट्रीय मदद भी अब नाकाफी होने लगी है। इसकी वजह ये है कि अपने लोगों को बचाने के लिए पाकिस्तान सिर्फ दूसरे देशों पर ही निर्भर हो गया है। स्वयं से कुछ भी नहीं कर रहा।
The Earth will End: पृथ्वी का जन्म लगभग 4.5 करोड़ों वर्ष पूर्व में हुआ था। जीवाश्म के मुताबिक, अब तक हम सभी पृथ्वी पर 3.5 करोड़ वर्ष बिता चुके हैं। पृथ्वी के निर्माण होने के बाद कई प्राकृतिक आपदा और मानवीय महामारियों का सामना किया गया
Global Warming: एक समय दुनिया में ऐसे जीव होते थे जिनके बार हम आज सिर्फ किताबों में पढ़ा करते हैं। ऐसे कई जीव समय के साथ गायब हो गए। इसके पीछ की सबसे बड़ी कारण हम तेजी से जंगलों को काटते जा रहे हैं जिसके कारण अन्य जीवों पर काफी प्रभाव पड़ा है।
Global Warming: ग्लोबल वार्मिंग को लेकर भले ही दुनिया सतर्क होने का दावा करती हो, लेकिन अब तक इसे रोकने के दिशा में उठाए गए कदम नाकाफी ही साबित हुए हैं। यही वजह है कि धरती का तापमान लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इससे प्रतिवर्ष लोगों को भीषण गर्मी का दंश झेलने को मजबूर होना पड़ रहा है।
Arctic Warming: आर्कटिक प्रवर्धन के परिमाण को मापने के लिए संख्यात्मक जलवायु मॉडल का उपयोग किया गया है। वे आमतौर पर अनुमान लगाते हैं कि प्रवर्धन अनुपात लगभग 2.5 है, जिसका अर्थ है कि आर्कटिक वैश्विक औसत से 2.5 गुना तेजी से गर्म हो रहा है।
एक टी-शर्ट को बनाने में तकरीबन 2,700 लीटर पानी लगता है, जिसे हम कुछ महीने पहले के बाद कचरे में डाल देते हैं। हर साल उत्पादित 100 अरब कपड़ों में से 92 मिलियन टन कचरों में फेंक दिया जाता है। यानी कपड़ों से भरा एक कचरा ट्रक हर सेकेंड कचरों का पहाड़ बनाने के लिए तैयार होता है।
Future Image: बढ़ते ग्लोबल वार्मिंग (Global warming) और लगातार पिघल रहे ग्लेशियर मानव के लिए खतरे की घंटी बजा रहा है। इसी बीच एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) इमेज जेनरेटर ने मानव की आखिरी सेल्फी जारी की है। जो खुब तेजी से वायरल हो रहे हैं।
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नास ने अंतरिक्ष यात्री के लिए इस प्रोडक्ट को सबसे पहले डेवलप किया था।
World Environment Day: इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) की रिपोर्ट बताती है कि पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अब शायद बस एक आखिरी मौका ही बचा है और इस मौके का फायदा अगले आठ सालों में ही उठाया जा सकता है।
Extreme heat in India: जलवायु संबंधी एक अध्ययन में दावा किया गया है कि भारत और पाकिस्तान में लंबे समय से जारी भीषण गर्मी ने व्यापक मानवीय पीड़ा और वैश्विक स्तर पर गेहूं की आपूर्ति को प्रभावित किया, तथा मानव जनित गतिविधियों के कारण इसके और अधिक तेज होने की संभावना 30 गुना अधिक है।
इस साल प्री-मानसून सीजन में 16 मई तक 18 राज्यों में सामान्य से 90 फीसदी तक कम बारिश हुई है। ढाई महीने में देश में 92.2 मिमी बारिश होनी चाहिए, लेकिन 88 मिमी ही हुई। प्री-मॉनसून के समय में बारिश की कमी आने वाले समय के लिए बड़ी चेतावनी है।
आज विश्व पृथ्वी दिवस मनाया जा रहा है। ये हम सब जानते हैं कि मानवीय क्रियाकलापों की वजह से ग्लोबल वार्मिंग किस हद तक बढ़ गई है। कई वैश्विक रिपोर्ट्स में बढ़ते तापमान पर चिंता और इसके दुष्परिणामों के बारे में बताया गाय है।
इस साल तो केदारनाथ धाम में भी परिसर से बर्फ हटाने की जरूरत ही नहीं पड़ी, क्योंकि यहां जमी बर्फ पिघल चुकी है। इसके अलावा गंगोत्री और यमुनोत्री में नाममात्र की बर्फ रह गई है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर बारिश नहीं हुई और इसी तरह गर्मी पड़ती रही तो ऊंची चोटियां भी बर्फविहीन हो जाएंगी।
गर्मी अपने शुरुआती दौर में ही डराने लगी है। दुनिया की कई रिपोर्ट्स बताती हैं कि हर नए साल के साथ दुनिया का तापमान बढ़ रहा है। साल 2022 का फरवरी माह अब तक का पांचवा सबसे गर्म फरवरी का महीना रहा। वहीं 2021 रिकॉर्ड 5वां सबसे गर्म साल था।
विश्लेषणों में पूर्व औद्योगिक काल के बाद से 2.1 डिग्री सेल्सियस वार्मिंग के बजाय 1.8 या 1.9 डिग्री सेल्सियस वार्मिंग का अनुमान जताया गया है।
एलेसमेरे द्वीप के उत्तर-पश्चिम कोने पर मौजूद कनाडा की 4,000 वर्ष पुरानी मिलने हिमचट्टान जुलाई अंत तक देश की अंतिम ऐसी हिमचट्टान थी जिसमें कोई टूट नहीं हुई थी।
लगातार बढ़ रही गर्मी से एक ग्लेशियर बेमौत मारा गया। भावुक लोगों ने उसका अंतिम संस्कार भी किया।
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