ग्लोबल साउथ में भारत की लगातार बढ़ती सक्रियता से अमेरिका और चीन जैसे देशों को गहरी चिंता होने लगी है। अब भारत ग्लोबल साउथ की आवाज बन चुका है। इसके बाद वह इन देशों का "ऊर्जा" सप्लायर बनने की राह पर है।
अजरबैजान की राजधानी बाकू में विश्व मंच पर भारत ने जलवायु परिवर्तन के मामले में ग्लोबल साउथ के लिए निर्धारित किए गए केवल 300 अरब अमेरिकी डॉलर के जलवायु वित्त परिवर्तन को बहुत कम राशि बताते हुए सिरे से खारिज कर दिया। दुनिया के अन्य देश भी भारत के समर्थन में आ गए।
ग्लोबल साउथ पर पीएम मोदी की कूटनीति से पूरी दुनिया हैरान रह गई है। नवंबर 2023 में भारत में हुए जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी ने ग्लोबल साउथ को जी-20 शामिल कराकर चीन को बड़ा झटका दिया था। अब ग्लोबल साउथ सबसे ज्यादा भरोसा भारत पर कर रहा है।
भारत ने ग्लोबल साउथ की आवाज बनने के बाद अब उसके हितों की चिंता करनी भी शुरू कर दी है। भारत का लक्ष्य अब ग्लोबल साउथ के देशों को नए ऋण के जाल में फंसने से बचाना है।
भारत ने जी-20 में अफ्रीकी संघ को शामिल कराकर खुद को ग्लोबल साउथ के बड़े पैरोकार के रूप में पेश करने का जो प्रयास किया था, अब उस पर संयुक्त राष्ट्र की भी मुहर लग गई है। यूएन ने कहा कि आज ग्लोबल साउथ को केवल भारत के दृष्टिकोण पर भरोसा है।
पीएम मोदी ने कहा कि भारत ने विकासोन्मुखी दृष्टिकोण से जी20 को आगे बढ़ाया है। ‘‘ग्लोबल साउथ की ताकत उसकी एकता में है। इसी एकता के बल पर हम नयी दिशा की ओर बढ़ेंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ सम्मेलन एक ऐसा मंच है, जहां हम उन लोगों की जरूरतों, आकांक्षाओं को आवाज देते हैं, जिन्हें अभी तक अनसुना किया गया है।
पीएम मोदी ने पूरे देश को एक बार फिर गर्व का मौका दिया है। प्रधानमंत्री ने भारत को ग्लोबल साउथ की आवाज बनाकर पूरी दुनिया को बड़ा संदेश दिया है। यही वजह है कि अब ग्लोबल साउथ के देश भारत की तारीफ करते नहीं थक रहे।
जी7 में पीएम मोदी ने कहा कि ऊर्जा के क्षेत्र में भारत का दृष्टिकोण भी चार सिद्धांतों पर आधारित है - उपलब्धता, पहुंच, सामर्थ्य और स्वीकार्यता। हम 2070 तक नेट ज़ीरो के लक्ष्य को हासिल करने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। हमें मिलकर आने वाले समय को हरित युग बनाने का प्रयास करना चाहिए।
जापान में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ग्लोबल साउथ के देशों की फिर जोरदार वकालत की है। उन्होंने कहा कि ग्लोबल साउथ के देशों को भारत में यकीन है। क्योंकि भारत ही उनकी आवाज उठाता है। उनकी समस्याओं को दुनिया के सामने रखता है। विदेश मंत्री ने कहा कि चीन तो ग्लोबल साउथ की चिंताओं से कोई मतलब ही नहीं रखता।
पूरी दुनिया पर एआइ का खुमार छाने लगा है। अमेरिका, ब्रिटेन, चीन जैसे देशों ने एआइ में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। लिहाजा भारत भी किसी देश से पीछे नहीं रहना चाहता। पीएम मोदी ने हाल ही में भारत को एआइ में विश्व में बड़ा मुकाम दिलाने का ऐलान किया है। यूएन भी मानता है कि इस दिशा में भारत ग्लोबल साउथ का लीडर हो सकता है।
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