पीएम ने हल्दिया में आयोजित एक जनसभा को संबोधित करते हुए सबसे पहले उत्तराखंड में हुई त्रासदी का जिक्र करते हुए वहां की जानकारी साझा की। पीएम मोदी ने कहा कि मां गंगा का उद्गम स्थल उत्तराखंड इस समय आपदा का सामना कर रहा है। ग्लेशियर टूटने से वहां नदी का जलस्तर बढ़ गया है। मैं उत्तारखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, केंद्र सरकार के गृह मंत्री से लगातार संपर्क में हूं। राहत व बचाव का कार्य चल रहा है। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। मेडिकल सुविधाओं में कमी न हो, इस पर जोर दिया जा रहा है। पीएम मोदी ने कहा कि बंगाल के साथ पूरा देश उत्तराखंड के साथ है। उत्तराखंड के लोगों के हौसले से त्रासदी हारेगी।
एनडीआरएफ की 3 टीमें वहां पहुंच गई हैं। अधिक टीमें दिल्ली से उत्तराखंड के लिए रवाना होने के लिए तैयार हैं। आईटीबीपी के जवान भी हैं। मैं उत्तराखंड के लोगों को विश्वास दिलाता हूं कि मोदी सरकार इस कठिन समय में उनके साथ खड़ी है: गृहमंत्री अमित शाह
उत्तराखंड के चमोली में कुदरत की जो तबाही है उससे हर कोई सन्न है। रात 9 बजे तक बाढ़ का पानी हरिद्वार पहुंचने की आशंका है जिसके चलते प्रशासन ने तटों को खाली कराने का आदेश दिया है।
इंडिया टीवी के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में उत्तराखंड के सीएम टीएस रावत ने कहा कि वह स्थिति का आकलन करने के लिए जल्द ही चमोली पहुंचेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऋषिगंगा परियोजना और एनटीपीसी परियोजना को भारी क्षति हुई है।
उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने को लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। सीएम रावत ने कहा कि चमोली के रेणी गांव में ऋषिगंगा प्रोजेक्ट को भारी बारिश व अचानक पानी आने से क्षति की संभावना है।
उत्तराखंड के चमोली पर कुदरत का बहुत बड़ा कहर टूटा है। एक ग्लेशियर फटने के बाद ऐसी भीषण तबाही हुई है जिसका मंज़र बेहद खौफनाक है। बताया जा रहा है कि ग्लेशियर की चपेट में आने से ऋषि गंगा प्रोजेक्ट पूरी तरह से तबाह हो चुका है।
उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने की वजह से भारी तबाही का अनुमान है। इस घटना के बाद गंगा नदी में जल स्तर बढ़ना तय है, जिसके बाद यूपी के सीएम योगी भी हरकत में आ गए हैं, उन्होंने अअधिकारियों को अलर्टकरते हुए कहा कि है कि गंगा नदी और आसपास इलाके पर पूरी नजर रखी जाए।
लगातार बढ़ रही गर्मी से एक ग्लेशियर बेमौत मारा गया। भावुक लोगों ने उसका अंतिम संस्कार भी किया।
17,800 फुट की ऊंचाई पर बन रही यह सड़क सासोमा से सासेर ला के बीच संपर्क का एक अहम माध्यम बनेगी। अधिकतर सर्दियों के महीने में इनका संपर्क बाकी हिस्सों से कट जाता है।
हमारी पूर्व पीढ़ियों ने तो हमारे भविष्य की चिंता की और प्रकृति की धरोहर को संजोकर रखा जबकि वर्तमान पीढ़ी प्राकृतिक संसाधनों का भरपूर दोहन करने में लगी है...
अंटार्कटिका में तैर रहे फ्रांस से भी बड़े आकार के ग्लेशियर के जलवायु के गर्म होने के साथ जल्दी पिघलने की आशंका है और इससे समुद्र के जलस्तर में भारी वृद्धि हो सकती है।
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