मासूमा ने लिखा है कि मैं बताती हूं कि मेरे समुदाय में आज भी छोटी बच्चियों के साथ क्या होता है। जैसे ही कोई बच्ची 7 साल की हो जाती है, उसकी मां या दादीमां उसे एक दाई या लोकल डॉक्टर के पास ले जाती हैं। बच्ची को ये नहीं बताया जाता कि उसे कहां ले जाया जा
महिलाओं या बच्चियों का खतना धार्मिक कारणों से होता है और वो भी सुन्न किए बिना। अंग्रेजी में इसे एफ़जीएम यानी फीमेल जेनाइटल म्यूटिलेशन कहते हैं।
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