रिजर्व बैंक ने भी चालू वित्त वर्ष के लिये आर्थिक वृद्धि के अनुमान को एक प्रतिशत अंक कम करके 9.5 प्रतिशत कर दिया है।
राज्यों को वित्तीय संकट से बचाने के लिये उनकी उधार लेने की सीमा को बिना किसी शर्त के पांच प्रतिशत तक बढ़ा दिया जाना चाहिये।
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने सरकार द्वारा हाल ही में जारी किए GDP के आंकड़ों पर सवाल उठाएं थे इसे लेकर वित्त राज्य मंत्री ठाकुर ने पूर्व वित्त मंत्री से सवाल करते हुए पूछा, 'क्या भारतीय अर्थव्यवस्था अलग-थलग द्वीप है?
वृद्धि दर में आया बड़ा उछाल तुलनात्मक वार्षिक आधार निम्न होने तथा प्राकृतिक गैस उत्पादन बढ़ने, रिफाइनरी उत्पाद, इस्पात और बिजली क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन का नतीजा है।
भारत का जीडीपी जनवरी-मार्च 2021 तिमाही में 1.6 प्रतिशत की दर से बढ़ी है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी में 7.3 प्रतिशत की गिरावट, 2019-20 में चार प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गयी थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बीते पूरे वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में करीब 7.3 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है।
घरेलू रेटिंग एजेंसी इक्रा का अनुमान है कि बीते वित्त वर्ष यानी 2020-21 की चौथी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में दो प्रतिशत वृद्धि हासिल होगी
मानवीय चिंताओं के अलावा एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स का मानना है कि इससे जीडीपी वृद्धि के लिए जोखिम पैदा हो गया है और व्यापार बाधित होने की आशंका है।
लॉकडाउन से आवाजाही पर उल्लेखनीय असर पड़ा है और इस बात के संकेत है कि इसका प्रभाव बिजली मांग, रेल माल ढुलाई जैसे कारकों के रूप में अर्थव्यवस्था के वृहत भाग पर है।
कोविड-19 के बढ़ते नए मामलों तथा उसकी रोकथाम के लिए स्थानीय स्तर पर लगाए जा रहे लॉकडाउन से चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 10 प्रतिशत से नीचे जा सकती है।
हाल में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों तेजी से 2021-22 के परिदृश्य के कमजोर होने का जोखिम है।
बोफा की रिपोर्ट में कहा गया है कि वृद्धि अभी सुस्त है और महत्वपूर्ण आर्थिक संकेतकों में गिरावट आई है। ऋण की वृद्धि काफी कमजोर है।
आईएमएफ की हालिया रिपोर्ट मे भारत के लिए 12.5 प्रतिशत वृद्धि दर का अनुमान लगाया गया है। अनुमान के मुताबिक साल 2021 में भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था होगा।
इस संकट के चलते देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पिछले साल के मुकाबले 15.7 प्रतिशत पहले ही घट चुका है। भारत इस समय दुनिया में पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
खनन क्षेत्र के सुधार रोजगार और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में क्षेत्र के योगदान को बढ़ाने में प्रमुख भूमिका अदा कर सकते हैं। उद्योग मंडल फिक्की ने यह राय जतायी है।
चीनी राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो द्वारा 28 फरवरी को जारी 2020 राष्ट्रीय आर्थिक और सामाजिक विकास सांख्यिकी विज्ञप्ति के अनुसार, पूरे साल में औसत प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के 72,447 युआन तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 2 प्रतिशत बढ़ा।
भारत की जीडीपी में पहली तिमाही के दौरान 24 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 7.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
उद्योग संगठन पीएचडीसीसीआई ने शनिवार को कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 की तीसरी और चौथी तिमाही में देश की जीडीपी में रिकार्ड वृद्धि होने की उम्मीद है और पिछले 10 महीनों के दौरान सरकार द्वारा किए गए विभिन्न सुधारों के चलते अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है।
केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा दिसंबर 2020 के अंत में 11.58 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया। यह बजट अनुमान का 145.5 प्रतिशत है।
अनुमान के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष में कृषि क्षेत्र में 3.4 फीसदी की बढ़त देखने को मिल सकती है। वहीं खनन क्षेत्र में वित्त वर्ष के दौरान 12.4 फीसदी की गिरावट संभव है। पिछले वित्त वर्ष में खनन क्षेत्र में 3.1 फीसदी की बढ़त दर्ज हुई थी। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में इस दौरान 9.4 फीसदी की गिरावट संभव है।
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