रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना की दूसरी लहर से रिकवरी पर जो असर पड़ा था वो छोटी अवधि का था, और पिछले साल के मुकाबले काफी सीमित भी था।
RBI के पूर्व गवर्नर के अनुसार 2,700 अरब डॉलर से 5,000 अरब डॉलर पर पहुंचने के लिए अर्थव्यवस्था को लगातार पांच साल तक नौ प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करनी होगी
भारतीय अर्थव्यवस्था ने चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून की तिमाही में रिकॉर्ड 20.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। अनुमानों के अनुसार भारत इस साल दुनिया में सबसे तेज वृद्धि हासिल करने की राह पर है।
इस साल जनवरी में जारी आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 में मार्च 2022 में समाप्त होने वाले चालू वित्त वर्ष के दौरान 11 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया गया था।
इससे पहले रिजर्व बैंक ने अनुमान दिया था कि इस वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था 9.5 प्रतिशत की बढ़त दर्ज कर सकती है।
वित्त मंत्रालय ने कहा कि धान की रिकॉर्ड खरीद और ट्रैक्टर की बिक्री में बढ़ोतरी से आने वाले महीनों में मजबूत ग्रामीण मांग के लिए अच्छे संकेत मिलते है।
राजकोषीय घाटा अगले दो साल तक ऊंचा बना रहेगा लेकिन कर्ज/जीडीपी अनुपात स्थिर होने का अनुमान है।
सरकारी खपत को छोड़कर, ईएआई-जीवीए जुलाई 2021 में सालाना आधार पर 7.1 फीसदी की रफ्तार से बढ़ी, जो जून 2021 में सालाना आधार पर 3.2 फीसदी से तेज थी, लेकिन मार्च-मई 2021 में धीमी रही है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि विश्व स्तर पर यह देखा गया है कि कम गतिशीलता से जीडीपी कम होती है और उच्च गतिशीलता उच्च जीडीपी की ओर ले जाती है, लेकिन यहां प्रतिक्रिया विषम है।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान अर्थव्यवस्था में 9.5 प्रतिशत की वृद्धि के अपने अनुमान को बनाए रखा है जबकि अन्य विश्लेषकों का अनुमान 7.9 प्रतिशत या उससे ज्यादा का है।
आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 21.4 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 7.3 प्रतिशत ग्रोथ का अनुमान दिया है।
प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार विजेता एरिक मास्किन ने शनिवार को कहा कि वैश्वीकरण ने एक पीढ़ी में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को तीन गुना कर दिया है, लेकिन देश में श्रमिकों को इसका लाभ नहीं मिला है।
रेटिंग एजेंसी इक्रा की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के बाद राज्यों द्वारा स्थानीय प्रतिबंधों को हटाने के चलते आर्थिक सुधार ने गति पकड़ी है, लेकिन यह अभी भी 2019 के स्तर से पीछे है
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने शुक्रवार को कहा कि वित्त वर्ष 2022 में भारत की जीडीपी 9.6 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है, जो पहले के 10.1 प्रतिशत के अनुमान से कम है।
देश में बैंक ऋण वृद्धि दर बेशक 2020- 21 में 5.56 प्रतिशत पर 59 साल के सबसे निचले स्तर तक गिर गई है लेकिन 2020 में बैंक ऋण का स्तर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 56 प्रतिशत पर पहुंच गया।
एसएंडपी ने कहा कि हमने मार्च में घोषित चालू वित्त वर्ष में वृद्धि के लिए 11 फीसदी के पूर्वानुमान को घटाकर 9.5 फीसदी कर दिया है।
CEA ने कहा कि कई राहत ऐलान किये जा चुके हैं। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के विस्तार की लागत 70,000 करोड़ रुपये बैठेगी। वहीं मुफ्त टीका एक और महत्वपूर्ण आर्थिक उपाय है।
वित्त वर्ष 2022 में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 8.7 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज (एमओएफएसएल) ने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में यह दावा किया है।
रेटिंग एजेंसी इक्रा ने कहा है कि कोविड-19 संक्रमण के घटते मामले तथा पाबंदियों में ढील से वित्त वर्ष 2021-22 में देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 8.5 प्रतिशत रह सकती है।
कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के चलते घरेलू खपत और निवेश प्रभावित होने के कारण क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने सोमवार को वित्त वर्ष 2021-22 के लिए भारत की वृद्धि दर के अनुमान को 11 प्रतिशत से घटाकर 9.5 प्रतिशत कर दिया।
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