आईएमएफ (IMF) ने विकास अनुमान में बढ़ोतरी के लिए अप्रैल-जून के दौरान उम्मीद से ज्यादा मजबूत खपत को कारण बताया। साथ ही महंगाई के मोर्चे पर कहा है कि इस वित्तीय वर्ष में भारत की खुदरा महंगाई 5.5 प्रतिशत रह सकती है।
अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतें 10 महीनों में पहली बार 90 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल के स्तर को पार कर गई। वर्तमान में 92 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल के आसपास हैं। कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने पहली तिमाही के आंकड़ों को देखने के बाद अपने अनुमानों में बदलाव किया है।
रिपोर्ट में अगले साल होने वाले आम चुनावों के पहले जीडीपी वृद्धि की राह में कुछ चुनौतियों को लेकर आगाह भी किया है। इनमें ग्लोबल ग्रोथ रेट में गिरावट से भारत के निर्यात में सुस्ती, ग्लेबाल इकोनॉमिक कंडीशन की वजह से पूंजी की लागत बढ़ना और मानसूनी बारिश में कमी के साथ विनिर्माण क्षेत्र की नरमी शामिल हैं।
भारत चीन प्लस वन स्ट्रैटेजी से फायदा उठा सकता है। इसकी वजह यह है कि कोई दूसरा देश ऑपरेशन के पैमाने और आकार की पेशकश नहीं कर सकता जैसा यहां उपलब्ध है।
आर्थिक वृद्धि दर (जीडीपी) चालू वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में 7.8 प्रतिशत रही है। यह पिछली चार तिमाहियों में सबसे ऊंची वृद्धि दर है।
जून तिमाही में जीएसटी राजस्व 11 प्रतिशत से अधिक बढ़ा है। इसका मतलब है कि कर-जीडीपी अनुपात 1.3 से अधिक है।
भारत की GDP वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में 7.8 प्रतिशत रही है, जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में यह 13.1 फीसदी थी।
RBI Governor India: भारत की तरक्की आने वाले समय में और तेजी से बढ़ने जा रही है। इसके पीछे का कारण भी अब पता चल गया है। आरबीआई गवर्नर ने इसको लेकर जानकारी दी है।
सरकार का राजकोषीय घाटा 2022-23 में घटकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 6.4 प्रतिशत रह गया, जो 2021-22 में 6.7 प्रतिशत था। सरकार के खर्च और राजस्व के अंतर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है।
सर्वेक्षण के अनुसार, पाकिस्तान में जुलाई, 2022 से लेकर मई, 2023 तक मुद्रास्फीति (Inflation) 29.2 प्रतिशत रही, जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह 11 प्रतिशत रही थी। चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति का लक्ष्य 11.5 प्रतिशत रखा गया था। हालांकि आर्थिक सर्वेक्षण में कर संग्रह में उच्च वृद्धि के तौर पर सकारात्म
इस साल भी भारतीय अर्थव्यवस्था बुलेट की रफ्तार से बढ़ने का अनुमान जताया है। मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी. अनंत नागेश्वरन ने कहा कि चालू वित्त वर्ष (2023-24) में भारत की जीडीपी के 6.5 फीसदी रहने का अनुमान है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के बुधवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत थी।
रिपोर्ट कहती है कि भारत एक दशक से कम समय में बदल गया है। ‘‘यह भारत 2013 से अलग है। 10 साल के छोटे से अरसे में भारत ने दुनिया की व्यवस्था में स्थान बना लिया है।
रेल मंत्रालय की भी जिम्मेदारी संभाल रहे वैष्णव ने कहा कि भारत को विश्व स्तर पर एक आकर्षक स्थान के रूप में देखा जा रहा है और दुनिया भारत में अपना भरोसा जता रही है।
रिजर्व बैंक ने लगातार छह बढ़ोतरी के बाद अप्रैल महीने में रेपो रेट में बदलाव नहीं किया। रेपो रेट 6.5 फीसदी पर स्थिर है। इससे होम और कार लोन लेने वालों को बड़ी राहत मिली।
पीआईए के कर्मचारियों की मांग है कि रमजान के महीने में सरकार उनका वेतन नहीं रोके, इसके अलावा पीआईए पायलट विमान नहीं उड़ाने पर भी विचार कर रहे हैं। इस बीच दुनिया भर से मदद मांग कर देश चलाने को मजबूर शहबाज सरकार के सामने IMF की नई रिपोर्ट ने बड़ी चुनौती ला दी है।
2022-23 की तीसरी तिमाही के लिए कल शाम जारी किए गए आंकड़ों को लेकर बहुत गलतफहमी है क्योंकि इसके साथ पिछले तीन वर्षों के आंकड़ों में संशोधन भी किया गया।
चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। इसके अलावा एनएसओ ने बीते वित्त वर्ष 2021-22 की वृद्धि दर को 8.7 प्रतिशत से संशोधित कर 9.1 प्रतिशत कर दिया है।
भारत में सिकुड़ती अर्थव्यवस्था को देखते हुए दुनिया भर की बड़ी आर्थिक संस्थाओं ने भारत को लेकर ग्रोथ के प्रोजेक्शन में बड़ी कटौती की है।
दुनिया की सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था का मुकाबला करते-करते पाकिस्तान पस्त हो गया। भारत के प्रमुख पड़ोसी और कट्टर दुश्मन पाकिस्तान ने अपनी अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए गधों का सहारा लिया था। बड़े पैमाने पर इस देश में गधों को पाला जाता था और उन्हें एक्सपोर्ट किया जाता था।
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