कांग्रेस ने रविवार को कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने अपनी अनौपचारिक और अदूरदर्शी आर्थिक नीतियों से उन्नतिशील अर्थव्यवस्था को बिगाड़कर घोर तंगहाली में धकेल दिया है।
देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की पहली अप्रैल-जून तिमाही में 7.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा प्रदान करने वाली कंपनी डीबीएस ने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए देश की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि के अनुमान को बढ़ाकर 7.4 प्रतिशत कर दिया है। पिछले साल जीडीपी वृद्धि 6.7 प्रतिशत रही थी।
देश का चालू खाते का घाटा (कैड) चालू वित्त वर्ष में बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 2.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। नोमूरा की एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है।
केंद्रीय पर्यटन राज्यमंत्री महेश शर्मा ने इंडिया टीवी के कार्यक्रम Jai Hind with India Tv में बयान दिया कि पिछले 4 साल के दौरान देश की GDP में 31 प्रतिशत की ग्रोथ हुई है
देश का बजटीय राजकोषीय घाटा जून में बढ़कर 4.29 लाख करोड़ रुपये रहा, जो चालू वित्त वर्ष के लक्ष्य का 68.7 फीसदी है। आधिकारिक आंकड़ों से यह जानकारी मिली है।
वैश्विक वित्तीय सेवा क्षेत्र की अग्रणी कंपनी नोमूरा ने अपनी एक ताजा रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था बेशक अप्रैल-जून तिमाही में मजबूत आर्थिक वृद्धि दर हासिल करेगी, लेकिन आगामी महीनों में यह रफ्तार सुस्त पड़ सकती है।
हाल में विश्व बैंक ने बताया है कि फ़्रांस को पछाड़ते हुए भारत दुनिया की छठी बड़ी अर्थव्यस्था बन गई है। वित्त वर्ष- 2017 में भारत का जीडीपी यानि सकल घरेलू उत्पाद 2.59 लाख करोड़ डॉलर था,जबकि फ़्रांस की जीडीपी 2.58 लाख करोड़ डॉलर था।
आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था नई ऊंचाइयां छूने के लिए तैयार है। साथ ही 2030 तक 10,000 अरब डॉलर की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के साथ इसके दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की उम्मीद है।
कई तिमाहियों की सुस्ती के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था ने जुलाई 2017 से ऐसी उड़ान भरी कि अब फ्रांस को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है। वर्ल्ड बैंक के 2017 के अपडेडेट आंकड़ों में इस बात का खुलासा किया गया है।
सरकार सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और रिटेल मुद्रास्फीति की गणना के लिए आधार वर्ष को बदलकर क्रमश: 2017-18 और 2018 करेगी। यह व्यवस्था 2019-20 से प्रभाव में आएगी।
भारत उन पांच देशों में शुमार है जो डॉलर के मजबूत होने से सबसे कम जोखिम की स्थिति में हैं। मूडीज इन्वेस्टर सर्विस ने गुरुवार एक रिपोर्ट में कहा कि डॉलर के मजबूत होने से अन्य मुद्राओं पर दबाव बढ़ रहा है, लेकिन भारत सबसे कम जोखिम वाले देशों में है।
सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 2.5 प्रतिशत का चालू खाते का घाटा (CAD) चिंता की बात नहीं है और सरकार के पास विदेशी कोष की निकासी की वजह से पैदा हुए असंतुलन से निपटने को जरूरी ‘उपकरण’ हैं। आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने मंगलवार को यह बात कही।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में हासिल हुई 7.7 प्रतिशत की वृद्धि दर से एक बार फिर से यह स्थापित हो गया है कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है। उन्होंने कहा कि अभी यह रुख कई और साल तक बना रहेगा।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने आज कहा कि नोटबंदी के बाद उन्होंने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर में डेढ़ फीसदी कमी आने का जो अनुमान जताया था , वह सही साबित हुआ है।
उद्योग जगत को अगले दो वर्षों में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर बढ़कर 8 प्रतिशत के करीब रहने की उम्मीद है। भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) ने अपनी एक ताजा रिपोर्ट में कहा है कि मजबूत सुधार प्रक्रिया और राजकोषीय सूझबूझ ने तेजी की नीव रखी है।
भारतीय अर्थव्यवस्था को क्रय शक्ति क्षमता (PPP) के संदर्भ में हिंसा के कारण पिछले साल 1,190 अरब डॉलर यानी 80 लाख करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा है। यह नुकसान प्रति व्यक्ति के हिसाब से करीब 595.40 डॉलर यानी 40 हजार रुपए से अधिक है।
भारत की आर्थिक वृद्धि दर जनवरी-मार्च की तिमाही में 7.7 प्रतिशत रही जो एक साल पहले इसी तिमाही में 6.1 प्रतिशत थी। सरकार द्वारा जारी आंकड़ों से साबित होता है कि भारत विश्व की सबसे तेज गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। आपको बता दें कि मार्च में समाप्त हुई तिमाही में चीन की ग्रोथ रेट 6.8 फीसदी थी। वर्ष 2017-18 में आर्थिक वृद्धि दर धीमी पड़कर 6.7 प्रतिशत रही।
उद्योग एवं कृषि क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन से देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में बढ़कर 7.5 प्रतिशत रह सकती है। जीडीपी वृद्धि दर पिछले वित्त वर्ष में 6.6 प्रतिशत थी।
कच्चे तेल (क्रूड ऑयल) की कीमतों में हाल में हुई बढ़ोतरी से देश के निर्यात पर असर पड़ेगा और चालू खाता घाटा (CAD) बढ़कर GDP (सकल घरेलू उत्पाद) का 2.5 फीसदी तक पहुंच सकता है। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने सोमवार को यह बात कही है।
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