खपत मांग में नरमी, मानसून में देरी, विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि में गिरावट से चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर वैश्विक व्यापार तनाव बढ़ने से भी निर्यात प्रभावित होगा।
उद्योग मंडल भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) के हालिया इकॉनोमिक आउटलुक सर्वे में चालू वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर छह फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है। सर्वे के अनुसार, पूरे वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक विकास दर 6.9 फीसदी रह सकती है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए कई बड़े ऐलान किए। उन्होंने बताया कि पूरी दुनिया के मुकाबले भारतीय अर्थव्यवस्था बेहतर है। उन्होंने कहा कि आज अमेरिका और चीन जैसे देशों के मुकाबले भारतीय अर्थव्यवस्था कहीं ज्यादा बेहतर है।
सरकार ने सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिय्रे शुक्रवार को कई उपायों की घोषणा की। सरकार ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों और घरेलू निवेशकों की शेयरों की खरीद - फरोख्त से होने वाली आय पर ऊंचे कर - अधिभार को वापस ले लिया
कमजोर वैश्विक अर्थव्यवस्था से एशियाई निर्यात प्रभावित हुआ है। इसके अलावा अनिश्चित वातावरण की वजह से भी निवेश पर असर पड़ा है।
सेवा क्षेत्र में सुस्ती , कम निवेश और खपत में गिरावट के बीच देश की आर्थिक वृद्धि इस साल जून तिमाही में 5.7 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है। जापान की ब्रोकरेज कंपनी नोमुरा ने अपनी रपट में यह कहा है।
आर्थिक वृद्धि तथा मुद्रास्फीति के मोर्चों पर सकारात्मक उपलब्धियों के बावजूद भारत के समक्ष कमजोर निवेश, नीतिगत फैसलों का लाभ लक्ष्य तक पहुंचने में सुस्ती तथा माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का कम संग्रह समेत कुछ बड़ी चुनौतियां हैं। वैश्विक वित्तीय सेवा प्रदाता गोल्डमैन सैक्स ने एक रिपोर्ट में यह बात कही है।
आर्थिक वृद्धि तथा मुद्रास्फीति के मोर्चों पर सकारात्मक उपलब्धियों के बावजूद भारत के समक्ष कमजोर निवेश, नीतिगत फैसलों का लाभ लक्ष्य तक पहुंचने में सुस्ती तथा माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का कम संग्रह समेत कुछ बड़ी चुनौतियां हैं। वैश्विक वित्तीय सेवा प्रदाता गोल्डमैन सैक्स ने एक रिपोर्ट में यह बात कही है।
अमेरिका के साथ जारी व्यापार युद्ध के कारण चीन की अर्थव्यवस्था सुस्त हो रही है। यदि अमेरिका ने आगे शुल्क में और वृद्धि की तो चीन की आर्थिक वृद्धि दर में इसकी वजह से तेज गिरावट आ सकती है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने शुक्रवार को यह चेतावनी दी।
जीडीपी को लेकर विश्व बैंक की रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब चर्चा चल रही है कि 2025 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। यही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है।
क्रिसिल ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारत के जीडीपी ग्रोथ अनुमान को पूर्व के 7.1 प्रतिशत से घटाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया है।
धीमी वैश्विक वृद्धि और देश में कमजोर मानसून के बीच आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 7.1 प्रतिशत से घटाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया है।
आईएमएफ ने चीन के लिए आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 2019 के लिए 6.2 प्रतिशत और 2020 के लिए 6 प्रतिशत किया है।
एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने रुपये में मजबूती तथा जीडीपी के पूर्वानुमान में कटौती के कारण चालू वित्त वर्ष में भारत की मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान घटाकर 4.10 प्रतिशत कर दिया है।
एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) ने गुरुवार को राजकोषीय कमी की चिंताओं के कारण चालू वित्तीय वर्ष के लिए भारत की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) ग्रोथ को 7 फीसदी रहने का अनुमान जताया है।
चीन की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार इस साल की दूसरी तिमाही में करीब तीन दशक के सबसे निम्न स्तर 6.2 प्रतिशत पर रही।
यदि हम 29 प्रतिशत से 30 प्रतिशत के मध्य स्तर तक पहुंच जाते हैं तो हम वास्तव में आर्थिक सुधार में तेजी के दौर में पहुंच जाएंगे और फिर हमें इस स्तर पर टिके रहने की जरूरत है।
देश में विदेशी मुद्रा का पर्याप्त भंडार बना रहेगा। 14 जून तक विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign exchange reserves) 42,220 करोड़ डॉलर था। विदेशी निवेशकों का भारत पर भरोसा बढ़ा है। 2018-19 में शुद्ध एफडीआई 14.2 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है।
रिजर्व बैंक ने इस महीने की शुरुआत में लगातार तीसरी बार रेपो दर में कटौती की है।
डीबीएस ने चुनौतीपूर्ण व्यापार परिदृश्य में निर्यात के मोर्चे पर दिक्कतों की वजह से वृद्धि दर के अनुमान को कम किया है।
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