विश्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2019-2020 में भारत के लिए पांच प्रतिशत विकास दर का अनुमान लगाया है।
केंद्रीय बजट से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज नीति आयोग में अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों के साथ बैठक करेंगे।
कृषि, निर्माण और बिजली, गैस और जल आपूर्ति जैसे क्षेत्रों में भी गिरावट आई है। खनन, लोक प्रशासन और रक्ष्ज्ञा जैसे कुछ क्षेत्रों में मामूली सुधार देखा गया है।
सीईबीआर की रिपोर्ट में कहा गया है कि 'भारत पांच हजार अरब डॉलर की जीडीपी 2026 में हासिल कर लेगा, सरकार के तय लक्ष्य के मुकाबले दो साल बाद।'
रिपोर्ट में कहा गया है कि निदेशकों को लगता है कि मजबूत जनादेश वाली नई सरकार के सामने यह सुधारों को आगे बढ़ाने का एक बेहतर अवसर है।
आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट के बीच 2019 में रोजगार बाजार में सुस्ती रही और अगले साल भी स्थिति में सुधार की उम्मीद नहीं है।
भारतीय रिजर्व बैंक 2019-20 की जीडीपी वृद्धि के अपने अनुमान को पहले ही 6.1 प्रतिशत से कम कर पांच प्रतिशत कर चुका है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सोमवार से विभिन्न पक्षों के साथ के साथ बजट पूर्व बैठकों का सिलसिला शुरू करने जा रही हैं।
देश से सेवाओं का निर्यात अक्टूबर में 5.25 प्रतिशत बढ़कर 17.70 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इस दौरान सेवाओं का आयात का आंकड़ा 10.86 अरब डॉलर पर लगभग स्थिर रहा।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी देश की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान सात प्रतिशत से घटाकर 6.1 प्रतिशत किया है। विश्वबैंक ने भी यह अनुमान घटाकर छह प्रतिशत कर दिया है।
सिंगापुर की वित्तीय सेवा प्रदाता कंपनी डीबीएस बैंकिंग समूह ने चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 5.5 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया है।
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) का संकट लंबा खिच जाने के कारण घरेलू ऋण उपलब्धता की स्थिति गंभीर बनी हुई है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को बैंकों से कहा कि मौजूदा आर्थिक परिस्थितियां उनके समक्ष कुछ चुनौतियां खड़ी कर सकती है इसलिये बैंकों को पूरी मुस्तैदी के साथ इनका मुकाबला करने के लिये तैयार रहना चाहिये।
रोजगार वृद्धि में मंदी और कमजोर फसल उत्पादन की वजह से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में धीमेपन की वजह से उपभोग प्रभावित हुआ है।
चालू वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर पांच प्रतिशत से कुछ नीचे रह सकती है। एक रिपोर्ट में यह आशंका व्यक्त की गयी है।
आर्थिक आंकड़ों में गिरावट के बीच विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने घरेलू पूंजी बाजार में शुद्ध बिकवाल बन गए।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि सरकार सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिये अन्य उपायों पर काम कर रही है।
संसद ने गुरुवार को कराधान विधि संशोधन विधेयक 2019 को मंजूरी दे दी, जिसमें कंपनियों के लिए कॉरपोरेट कर की दर में भारी कमी की गई और विनिर्माण क्षेत्र में उतरने वाली नई कंपनियों को 15 प्रतिशत की घटी दर से कर का प्रावधान किया गया है।
ब्रोकरेज कंपनी गोल्डमैन सैश ने भी भारत की आर्थिक वृद्धि के अनुमान को घटा दिया है। हालांकि कंपनी ने अगले साल इक्विटी सूचकांक में 8.5 प्रतिशत वृद्धि की संभावना जतायी है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा नीतिगत दरों में कटौती के बाद घटी ब्याज दरें और कॉरपोरेट कर में कटौती से अगले साल देश की अर्थव्यवस्था में सुधार शुरू होगा।
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