आयोग की 2020-21 के लिये रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद उसकी सलाहकार परिषद की यह पहली बैठक होगी।
सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2019-20 के लिए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को बढ़ाकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.8 प्रतिशत कर दिया है। पहले इसके 3.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था।
जनवरी 2019 में जारी पहले संशोधित अनुमान में 2017-18 के लिए वास्तविक जीडीपी या स्थिर (2011-12) कीमत पर जीडीपी 131.80 लाख करोड़ रुपए बताई गई थी, जो 7.2 प्रतिशत वृद्धि को दिखाती है।
सरकार ने संसद में शुक्रवार को पेश आर्थिक समीक्षा के जरिए देश की जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान के तौर तरीके और इसके आंकड़ों की विश्वसनीयता को लेकर चल रही बहस को विराम देने का प्रयास किया है।
कोविंद ने कहा कि वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत है। हमारा विदेशी मुद्रा भंडार 450 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है।
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री का 2019-20 में 5 फीसदी विकास दर का अनुमान
आईएमएफ के बाद अब वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच ने भी भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को लेकर अपना अनुमान घटाते हुए बड़ा बयान दिया है।
आईएमएफ ने भारत के साथ ही वैश्विक अर्थव्यवस्था के अपने वृद्धि परिदृश्य के बारे में मामूली संशोधन करते हुए इसे थोड़ा कम किया है।
आम बजट 2020-2021 के दस्तावेजों की छपाई आज यानी सोमवार को हलवा रस्म के साथ शुरू हो जाएगी।
रिजर्व बैंक निदेशक मंडल की अगली बैठक में अंतरिम लाभांश के मुद्दे पर चर्चा हो सकती है, सूत्रों ने यह उम्मीद जताई है।
सामाजिक-आर्थिक और वाणिज्यक क्षेत्र की रियल एस्टेट गतिविधियों के लिहाज से हैदराबाद दुनिया का सबसे ऊर्जावान शहर बनकर उभरा है।
पिछले साल चीन की जीडीपी वृद्धि की रफ्तार 6.1 प्रतिशत रही, जो कि पिछले तीन दशक में सबसे धीमी है।
संयुक्त राष्ट्र ने गुरुवार को कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में 5.7 प्रतिशत रह सकती है। यह वैश्विक निकाय के पूर्व के अनुमान से कम है।
आईजीआईडीआर के प्रोफेसर आर. नागराज का मानना है कि 2024 तक 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य अत्यंत महत्वाकांक्षीय है।
विश्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2019-2020 में भारत के लिए पांच प्रतिशत विकास दर का अनुमान लगाया है।
केंद्रीय बजट से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज नीति आयोग में अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों के साथ बैठक करेंगे।
कृषि, निर्माण और बिजली, गैस और जल आपूर्ति जैसे क्षेत्रों में भी गिरावट आई है। खनन, लोक प्रशासन और रक्ष्ज्ञा जैसे कुछ क्षेत्रों में मामूली सुधार देखा गया है।
सीईबीआर की रिपोर्ट में कहा गया है कि 'भारत पांच हजार अरब डॉलर की जीडीपी 2026 में हासिल कर लेगा, सरकार के तय लक्ष्य के मुकाबले दो साल बाद।'
रिपोर्ट में कहा गया है कि निदेशकों को लगता है कि मजबूत जनादेश वाली नई सरकार के सामने यह सुधारों को आगे बढ़ाने का एक बेहतर अवसर है।
आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट के बीच 2019 में रोजगार बाजार में सुस्ती रही और अगले साल भी स्थिति में सुधार की उम्मीद नहीं है।
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