गोल्डमैन सैक्स ने एक रिपोर्ट में कहा कि लॉकडाउन की तीव्रता पिछले साल के मुकाबले कम है। फिर भी, भारत के प्रमुख शहरों में सख्त प्रतिबंधों का असर साफ दिखाई दे रहा है।
मानवीय चिंताओं के अलावा एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स का मानना है कि इससे जीडीपी वृद्धि के लिए जोखिम पैदा हो गया है और व्यापार बाधित होने की आशंका है।
लॉकडाउन से आवाजाही पर उल्लेखनीय असर पड़ा है और इस बात के संकेत है कि इसका प्रभाव बिजली मांग, रेल माल ढुलाई जैसे कारकों के रूप में अर्थव्यवस्था के वृहत भाग पर है।
कोविड-19 के बढ़ते नए मामलों तथा उसकी रोकथाम के लिए स्थानीय स्तर पर लगाए जा रहे लॉकडाउन से चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 10 प्रतिशत से नीचे जा सकती है।
हाल में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों तेजी से 2021-22 के परिदृश्य के कमजोर होने का जोखिम है।
बोफा की रिपोर्ट में कहा गया है कि वृद्धि अभी सुस्त है और महत्वपूर्ण आर्थिक संकेतकों में गिरावट आई है। ऋण की वृद्धि काफी कमजोर है।
महामारी के मामले रिकॉर्ड पर पहुंचने तथा कई प्रमुख राज्यों द्वारा सख्त लॉकडाउन लगाए जाने से वृद्धि को लेकर चिंता पैदा हुई है।
मूडीज ने उम्मीद जताई कि संक्रमण की मौजूदा लहर से निपटने के लिए एक देशव्यापी लॉकडाउन के विपरीत छोटे-छोटे कटेंटमेंट जोन पर जोर दिया जाएगा
आईएमएफ की हालिया रिपोर्ट मे भारत के लिए 12.5 प्रतिशत वृद्धि दर का अनुमान लगाया गया है। अनुमान के मुताबिक साल 2021 में भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था होगा।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि 2020 की दूसरी छमाही में पुनरुद्धार से सकल घरेलू उत्पाद (GDP) अपने महामारी पूर्व के स्तर पर पहुंच गया है।
इस संकट के चलते देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पिछले साल के मुकाबले 15.7 प्रतिशत पहले ही घट चुका है। भारत इस समय दुनिया में पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
खनन क्षेत्र के सुधार रोजगार और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में क्षेत्र के योगदान को बढ़ाने में प्रमुख भूमिका अदा कर सकते हैं। उद्योग मंडल फिक्की ने यह राय जतायी है।
मूडीज ने कहा है कि यदि कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर तेज होती है, तो इससे 2021 में सुधार के लिए जोखिम पैदा हो सकता है।
चीनी राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो द्वारा 28 फरवरी को जारी 2020 राष्ट्रीय आर्थिक और सामाजिक विकास सांख्यिकी विज्ञप्ति के अनुसार, पूरे साल में औसत प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के 72,447 युआन तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 2 प्रतिशत बढ़ा।
चालू वित्त वर्ष की दिसंबर में समाप्त तिमाही के दौरान भारत की जीडीपी सकारात्मक होकर 0.4 प्रतिशत पर पहुंच गई है।
भारत की जीडीपी में पहली तिमाही के दौरान 24 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 7.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
उद्योग संगठन पीएचडीसीसीआई ने शनिवार को कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 की तीसरी और चौथी तिमाही में देश की जीडीपी में रिकार्ड वृद्धि होने की उम्मीद है और पिछले 10 महीनों के दौरान सरकार द्वारा किए गए विभिन्न सुधारों के चलते अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है।
रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को मुख्य पॉलिसी दरों में किसी तरह का बदलाव नहीं किया है, रेपो रेट की दर को 4 प्रतिशत पर स्थिर रखा गया है, जिस वजह से आने वाले दिनों में होम और कार लोन की दरों में कमी आने की उम्मीद कम है।
केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा दिसंबर 2020 के अंत में 11.58 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया। यह बजट अनुमान का 145.5 प्रतिशत है।
अनुमान के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष में कृषि क्षेत्र में 3.4 फीसदी की बढ़त देखने को मिल सकती है। वहीं खनन क्षेत्र में वित्त वर्ष के दौरान 12.4 फीसदी की गिरावट संभव है। पिछले वित्त वर्ष में खनन क्षेत्र में 3.1 फीसदी की बढ़त दर्ज हुई थी। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में इस दौरान 9.4 फीसदी की गिरावट संभव है।
संपादक की पसंद
लेटेस्ट न्यूज़