चालू वित्त वर्ष की दिसंबर में समाप्त तिमाही के दौरान भारत की जीडीपी सकारात्मक होकर 0.4 प्रतिशत पर पहुंच गई है।
भारत की जीडीपी में पहली तिमाही के दौरान 24 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 7.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
उद्योग संगठन पीएचडीसीसीआई ने शनिवार को कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 की तीसरी और चौथी तिमाही में देश की जीडीपी में रिकार्ड वृद्धि होने की उम्मीद है और पिछले 10 महीनों के दौरान सरकार द्वारा किए गए विभिन्न सुधारों के चलते अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है।
रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को मुख्य पॉलिसी दरों में किसी तरह का बदलाव नहीं किया है, रेपो रेट की दर को 4 प्रतिशत पर स्थिर रखा गया है, जिस वजह से आने वाले दिनों में होम और कार लोन की दरों में कमी आने की उम्मीद कम है।
केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा दिसंबर 2020 के अंत में 11.58 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया। यह बजट अनुमान का 145.5 प्रतिशत है।
अनुमान के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष में कृषि क्षेत्र में 3.4 फीसदी की बढ़त देखने को मिल सकती है। वहीं खनन क्षेत्र में वित्त वर्ष के दौरान 12.4 फीसदी की गिरावट संभव है। पिछले वित्त वर्ष में खनन क्षेत्र में 3.1 फीसदी की बढ़त दर्ज हुई थी। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में इस दौरान 9.4 फीसदी की गिरावट संभव है।
रिपोर्ट के मुताबिक रबी सत्र के लिए बेहतर खरीद तथा अनुकूल परिदृश्य के साथ कोविड-19 टीके को लेकर अच्छी खबरों से चौथी यानि जनवरी-मार्च की तिमाही में मांग में मजबूती दर्ज होगी और आर्थिक गतिविधियों में सुधार देखने को मिलेगा।
क्रेडिट सुइस ने कहा कि उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाएं वित्त वर्ष 2026-27 तक जीडीपी में 1.7 प्रतिशत का इजाफा कर सकती हैं। सालाना यह औसतन 0.3 से 0.5 प्रतिशत हो सकती है। पिछले साल सितंबर में कंपनी कर की दरों में कटौती और श्रम कानून में सुधारों से भी वृद्धि को गति मिलने की उम्मीद है।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि सितंबर तिमाही में उम्मीद से अधिक तेजी से सुधार होने के कारण पूर्वानुमान में बदलाव किया गया है। रेटिंग एजेंसी ने अगले वित्त वर्ष में वृद्धि दर के 10 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है।
रिजर्व बैंक ने 2020-21 के लिये आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट के अनुमान को संशोधित कर 7.5 प्रतिशत कर दिया है जबकि पहले रिजर्व बैंक ने 9.5 प्रतिशत गिरावट की आशंका जतायी थी।
एमएसएमई का देश की जीडीपी में 30 प्रतिशत का योगदान है। कुल निर्यात में से 48 प्रतिशत योगदान एमएसएमई करता है। साथ ही 11 करोड़ रोजगार भी सृजित करता है। सरकार निर्यात में एमएसएमई की हिस्सेदारी बढ़ाकर 60 फीसदी करना चाहती है।
फिच ने मंगलवार को जारी अपने वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में कहा कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से पैदा हुई मंदी ने देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के सेंसेक्स ने 45000 का स्तर पार कर लिया है, पॉलिसी को लेकर RBI के फैसले के बाद सेंसेक्स ने 45023 की रिकॉर्ड ऊंचाई को छुआ है।
अप्रैल-जून की तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में 23.9 प्रतिशत की गिरावट आई थी। वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक सालाना आधार पर 7.5 प्रतिशत की गिरावट आई है, लेकिन तिमाही-दर-तिमाही आधार पर इसमें 23 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्रभाई ने कोविड-19 महामारी के दौरान के समय का इस्तेमाल नीति तैयार करने के लिए किया है।
दूसरी तिमाही में घरेलू अर्थव्यवस्था में 7.5 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है, वहीं पहली तिमाही में घरेलू अर्थव्यवस्था में 23 फीसदी से ज्यादा की गिरावट रही थी। इससे पहले 4 बार भारतीय अर्थव्यवस्था में मंदी देखने को मिल चुकी है।
घरेलू अर्थव्यवस्था में रिकवरी उम्मीद से तेज हो रही है। दूसरी तिमाही में घरेलू अर्थव्यवस्था में 7.5 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है, हालांकि शुरुआत अनुमानों में अर्थव्यवस्था में इससे तेज गिरावट का अनुमान दिया गया था।
आज GDP के आंकड़े जारी होंगे और अगर दूसरी तिमाही में भी GDP ग्रोथ निगेटिव रहती है तो देश आर्थिक मंदी में फंस जाएगा
कोविड 19 से जंग के बीच राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (NSO) आज वित्त वर्ष 2020-21 के जीडीपी के आंकड़े जारी करने जा रहा है।
चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में उद्योग में 9.3 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है जो पहली तिमाही मे 38.1 प्रतिशत थी। सेवा क्षेत्रों में 10.2 प्रतिशत गिरावट अनुमानित है जबकि पहली तिमाही में इसमें 20.6 प्रतिशत की गिरावट आयी थी।
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