रिपोर्ट में कहा गया है कि बीते पूरे वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में करीब 7.3 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है।
घरेलू रेटिंग एजेंसी इक्रा का अनुमान है कि बीते वित्त वर्ष यानी 2020-21 की चौथी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में दो प्रतिशत वृद्धि हासिल होगी
सर्वेक्षण के मुताबिक ज्यादातर लोगों का यही मानना है कि विभिन्न राज्य सरकारों ने जो लॉकडाउन लगाया है वह मई अंत तक बना रहेगा।
ब्रोकरेज कंपनी ने कहा कि जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान में कमी का कारण लॉकडाउन की वजह से जून तिमाही में होने वाला नुकसान है।
एजेंसी ने कहा है कि उसके ताजा अनुमान में गिरावट का जोखिम बना हुआ है, क्योंकि कोविड-19 मामलों से लॉकडाउन का और विसतार होगा।
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने कहा कि भारत की दूसरी लहर ने हमें इस वित्त वर्ष के लिए अपने जीडीपी वृद्धि के पूर्वानुमान को संशोधित करने के लिए मजबूर किया है।
गोल्डमैन सैक्स ने एक रिपोर्ट में कहा कि लॉकडाउन की तीव्रता पिछले साल के मुकाबले कम है। फिर भी, भारत के प्रमुख शहरों में सख्त प्रतिबंधों का असर साफ दिखाई दे रहा है।
मानवीय चिंताओं के अलावा एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स का मानना है कि इससे जीडीपी वृद्धि के लिए जोखिम पैदा हो गया है और व्यापार बाधित होने की आशंका है।
लॉकडाउन से आवाजाही पर उल्लेखनीय असर पड़ा है और इस बात के संकेत है कि इसका प्रभाव बिजली मांग, रेल माल ढुलाई जैसे कारकों के रूप में अर्थव्यवस्था के वृहत भाग पर है।
कोविड-19 के बढ़ते नए मामलों तथा उसकी रोकथाम के लिए स्थानीय स्तर पर लगाए जा रहे लॉकडाउन से चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 10 प्रतिशत से नीचे जा सकती है।
हाल में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों तेजी से 2021-22 के परिदृश्य के कमजोर होने का जोखिम है।
बोफा की रिपोर्ट में कहा गया है कि वृद्धि अभी सुस्त है और महत्वपूर्ण आर्थिक संकेतकों में गिरावट आई है। ऋण की वृद्धि काफी कमजोर है।
महामारी के मामले रिकॉर्ड पर पहुंचने तथा कई प्रमुख राज्यों द्वारा सख्त लॉकडाउन लगाए जाने से वृद्धि को लेकर चिंता पैदा हुई है।
मूडीज ने उम्मीद जताई कि संक्रमण की मौजूदा लहर से निपटने के लिए एक देशव्यापी लॉकडाउन के विपरीत छोटे-छोटे कटेंटमेंट जोन पर जोर दिया जाएगा
आईएमएफ की हालिया रिपोर्ट मे भारत के लिए 12.5 प्रतिशत वृद्धि दर का अनुमान लगाया गया है। अनुमान के मुताबिक साल 2021 में भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था होगा।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि 2020 की दूसरी छमाही में पुनरुद्धार से सकल घरेलू उत्पाद (GDP) अपने महामारी पूर्व के स्तर पर पहुंच गया है।
इस संकट के चलते देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पिछले साल के मुकाबले 15.7 प्रतिशत पहले ही घट चुका है। भारत इस समय दुनिया में पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
खनन क्षेत्र के सुधार रोजगार और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में क्षेत्र के योगदान को बढ़ाने में प्रमुख भूमिका अदा कर सकते हैं। उद्योग मंडल फिक्की ने यह राय जतायी है।
मूडीज ने कहा है कि यदि कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर तेज होती है, तो इससे 2021 में सुधार के लिए जोखिम पैदा हो सकता है।
चीनी राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो द्वारा 28 फरवरी को जारी 2020 राष्ट्रीय आर्थिक और सामाजिक विकास सांख्यिकी विज्ञप्ति के अनुसार, पूरे साल में औसत प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के 72,447 युआन तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 2 प्रतिशत बढ़ा।
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