अन्य रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने भी भारत की आर्थिक वृद्धि के अनुमान को स्थिर परिदृश्य के साथ घटाकर बीबीबी नकारात्मक कर दिया है।
मंत्रालय ने कहा कि वित्त वर्ष 2019-20 में आर्थिक वृद्धि दर के 4.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो वित्त वर्ष 2018-19 में 6.1 प्रतिशत थी।
एजेंसी ने कहा कि अप्रैल मध्य से कोरोना वायरस संक्रमण में तेजी आने और इसे रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन की वजह से अर्थव्यवस्था की वृद्धि पर विपरीत असर पड़ा है।
रिजर्व बैंक ने माना है कि अर्थव्यवस्था के हालात ठीक नहीं है और चालू वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान देश की GDP ग्रोथ शून्य के भी नीचे गिर सकती है
चीन की अर्थव्यवस्था में 2019 में 6.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी। अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध के कारण यह वृद्धि दर पिछले 29 वर्षों में सबसे कम थी
उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस संकट ने देश की अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ाया है। इसके प्रसार को सीमित करने के लिए देशभर में 21 दिन का लॉकडाउन लागू किया गया है।
वित्त वर्ष 2021-22 के लिए वृद्धि दर 5.1 प्रतिशत रह सकती है
वर्ष 2019 में वृद्धि 5 प्रतिशत रहने का आकलन है। मूडीज ने कहा है कि अनुमानित वृद्धि दर के हिसाब से भारत में 2020 में आय में तेज गिरावट हो सकती है।
इससे पहले दक्षिण अफ्रीका वर्ष 2008-09 तथा उसके बाद 2018 में मंदी की चपेट में आया था।
इन 11 क्षेत्रों में रीयल एस्टेट, बिजली, वाहन एवं वाहन अनुषंगी, दूरसंचार तथा बुनियादी ढांचा समेत अन्य शामिल हैं।
वैश्विक व्यवसायों पर प्रभाव की मात्रा इस बात पर निर्भर करेगी कि वायरस पर कितनी जल्दी नियंत्रण पा लिया जाता है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में चीन की भूमिका कई गुना बढ़ चुकी है।
आईएमएफ ने भारत के साथ ही वैश्विक अर्थव्यवस्था के अपने वृद्धि परिदृश्य के बारे में मामूली संशोधन करते हुए इसे थोड़ा कम किया है।
कृषि, निर्माण और बिजली, गैस और जल आपूर्ति जैसे क्षेत्रों में भी गिरावट आई है। खनन, लोक प्रशासन और रक्ष्ज्ञा जैसे कुछ क्षेत्रों में मामूली सुधार देखा गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि निदेशकों को लगता है कि मजबूत जनादेश वाली नई सरकार के सामने यह सुधारों को आगे बढ़ाने का एक बेहतर अवसर है।
भारतीय रिजर्व बैंक 2019-20 की जीडीपी वृद्धि के अपने अनुमान को पहले ही 6.1 प्रतिशत से कम कर पांच प्रतिशत कर चुका है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सोमवार से विभिन्न पक्षों के साथ के साथ बजट पूर्व बैठकों का सिलसिला शुरू करने जा रही हैं।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी देश की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान सात प्रतिशत से घटाकर 6.1 प्रतिशत किया है। विश्वबैंक ने भी यह अनुमान घटाकर छह प्रतिशत कर दिया है।
सिंगापुर की वित्तीय सेवा प्रदाता कंपनी डीबीएस बैंकिंग समूह ने चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 5.5 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया है।
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) का संकट लंबा खिच जाने के कारण घरेलू ऋण उपलब्धता की स्थिति गंभीर बनी हुई है।
चालू वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर पांच प्रतिशत से कुछ नीचे रह सकती है। एक रिपोर्ट में यह आशंका व्यक्त की गयी है।
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