गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) का संकट लंबा खिच जाने के कारण घरेलू ऋण उपलब्धता की स्थिति गंभीर बनी हुई है।
चालू वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर पांच प्रतिशत से कुछ नीचे रह सकती है। एक रिपोर्ट में यह आशंका व्यक्त की गयी है।
ब्रोकरेज कंपनी गोल्डमैन सैश ने भी भारत की आर्थिक वृद्धि के अनुमान को घटा दिया है। हालांकि कंपनी ने अगले साल इक्विटी सूचकांक में 8.5 प्रतिशत वृद्धि की संभावना जतायी है।
निशिकांत दुबे ने संसद में कहा कि आज की नई थ्योरी है कि सस्टेनेबल इकोनोमिक वेलफेयर आम आदमी का हो रहा है या नहीं हो रहा। GDP से ज्यादा जरूरी है कि सस्टेनेबल डेवलपमेंट, हैपिनेस हो रहा है की नहीं।
वित्तीय साख निर्धारित करने वाली एजेंसी क्रिसिल ने चालू वित्त वर्ष में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अपने अनुमान को काफी कम कर 5.1 प्रतिशत कर दिया है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) आर्थिक वृद्धि को रफ्तार देने के लिए नीतिगत दर में लगातार छठवीं बार कटौती कर सकता है।
विनिर्माण क्षेत्र में गिरावट और कृषि क्षेत्र में पिछले साल के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन से चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत पर रह गयी।
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जुलाई-सितंबर के लिए त्रैमासिक वृद्धि के आंकड़े शुक्रवार को जारी किए जाने हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को राज्यसभा में अर्थव्यवस्था के प्रबंधन और स्थिति को लेकर विपक्ष की आलोचनाओं का बचाव किया।
समस्या गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों से शुरू हुई और धीरे-धीरे खुदरा कंपनियों, वाहन कंपनियों, मकान बिक्री और भारी उद्योग इससे प्रभावित हुई।
भारत की आर्थिक वृद्धि दर में आने वाले महीनों में खपत क्षेत्र की कमजोरी के चलते दूसरी छमाही के दौरान आर्थिक सुस्ती और गहरा सकती है। सिंगापुर के डीबीएस बैंक ने सोमवार को यह अनुमान व्यक्त किया।
भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर सी रंगराजन के मुताबिक अर्थवव्यस्था की स्थिति ठीक नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मौजूदा विकास दर से 2025 में 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का सवाल ही नहीं है।
एसबीआई ने कहा है कि ऑटो सेक्टर में कमजोर मांग, एयर ट्रैफिक घटने, कोर सेक्टर की कमजोर वृद्धि दर और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में निवेश घटने से चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में देश की जेडीपी वृद्धि दर घटकर 4.2 प्रतिशत रह सकती है।
भारत की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में घटकर 5 प्रतिशत पर आ गई, जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में यह 8 प्रतिशत थी।
आईएमएफ ने मोदी सरकार के कॉरपोरेट टैक्स में कटौती के फैसले की सराहना की है, साथ ही कहा है कि कॉरपोरेट टैक्स में कटौती की वजह से देश में निवेश बढ़ेगा।
यह नोटबंदी या 2008 की वित्तीय संकट जैसी उन चुनौतियों से अलग है, जिसकी प्रकृति अस्थायी थी।
आईएमएफ ने अप्रैल में भारत की आर्थिक वृद्धि दर के 2019 में 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया था।
वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में सुस्ती के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर पड़ा है। इसके बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था अब भी व्यापक संभावनाओं के साथ तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनी हुई है।
आईएमएफ के बाद अब विश्व बैंक ने रविवार को चालू वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारत का ग्रोथ रेट अनुमान घटा दिया है। विश्व बैंक के मुताबिक, भारत की विकास दर 6 फीसदी रह सकती है।
मूडीज इंवेस्टर्स सर्विस ने 2019-20 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर का अनुमान 6.20 प्रतिशत से घटाकर बृहस्पतिवार को 5.80 प्रतिशत कर दिया।
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