भारत का जीडीपी जनवरी-मार्च 2021 तिमाही में 1.6 प्रतिशत की दर से बढ़ी है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी में 7.3 प्रतिशत की गिरावट, 2019-20 में चार प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गयी थी।
सर्वेक्षण के मुताबिक ज्यादातर लोगों का यही मानना है कि विभिन्न राज्य सरकारों ने जो लॉकडाउन लगाया है वह मई अंत तक बना रहेगा।
ब्रोकरेज कंपनी ने कहा कि जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान में कमी का कारण लॉकडाउन की वजह से जून तिमाही में होने वाला नुकसान है।
एजेंसी ने कहा है कि उसके ताजा अनुमान में गिरावट का जोखिम बना हुआ है, क्योंकि कोविड-19 मामलों से लॉकडाउन का और विसतार होगा।
महामारी के मामले रिकॉर्ड पर पहुंचने तथा कई प्रमुख राज्यों द्वारा सख्त लॉकडाउन लगाए जाने से वृद्धि को लेकर चिंता पैदा हुई है।
मूडीज ने उम्मीद जताई कि संक्रमण की मौजूदा लहर से निपटने के लिए एक देशव्यापी लॉकडाउन के विपरीत छोटे-छोटे कटेंटमेंट जोन पर जोर दिया जाएगा
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि 2020 की दूसरी छमाही में पुनरुद्धार से सकल घरेलू उत्पाद (GDP) अपने महामारी पूर्व के स्तर पर पहुंच गया है।
मूडीज ने कहा है कि यदि कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर तेज होती है, तो इससे 2021 में सुधार के लिए जोखिम पैदा हो सकता है।
चालू वित्त वर्ष की दिसंबर में समाप्त तिमाही के दौरान भारत की जीडीपी सकारात्मक होकर 0.4 प्रतिशत पर पहुंच गई है।
उद्योग संगठन पीएचडीसीसीआई ने शनिवार को कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 की तीसरी और चौथी तिमाही में देश की जीडीपी में रिकार्ड वृद्धि होने की उम्मीद है और पिछले 10 महीनों के दौरान सरकार द्वारा किए गए विभिन्न सुधारों के चलते अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है।
पहली तिमाही में वृद्धि दर औसतन शून्य से 14.2 प्रतिशत नीचे संभव
पूरे वित्त वर्ष के दौरान अर्थव्यवस्था में गिरावट आएगी ही, प्रत्येक तिमाही के दौरान भी अर्थव्यवस्था नीचे आएगी।
अन्य रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने भी भारत की आर्थिक वृद्धि के अनुमान को स्थिर परिदृश्य के साथ घटाकर बीबीबी नकारात्मक कर दिया है।
मंत्रालय ने कहा कि वित्त वर्ष 2019-20 में आर्थिक वृद्धि दर के 4.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो वित्त वर्ष 2018-19 में 6.1 प्रतिशत थी।
एजेंसी ने कहा कि अप्रैल मध्य से कोरोना वायरस संक्रमण में तेजी आने और इसे रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन की वजह से अर्थव्यवस्था की वृद्धि पर विपरीत असर पड़ा है।
रिजर्व बैंक ने माना है कि अर्थव्यवस्था के हालात ठीक नहीं है और चालू वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान देश की GDP ग्रोथ शून्य के भी नीचे गिर सकती है
रेटिंग एजेंसी का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में लगातार दो तिमाहियों के दौरान नकारात्मक वृद्धि रहेगी।
फिच सॉल्युशन ने सोमवार को वित्त वर्ष 2020-21 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के पूर्वानुमानों में कटौती करते हुए इसे 1.8 प्रतिशत कर दिया।
चीन की अर्थव्यवस्था में 2019 में 6.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी। अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध के कारण यह वृद्धि दर पिछले 29 वर्षों में सबसे कम थी
उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस संकट ने देश की अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ाया है। इसके प्रसार को सीमित करने के लिए देशभर में 21 दिन का लॉकडाउन लागू किया गया है।
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