चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के जवान उत्तर में गालवान घाटी और डेपसांग के बल पर भारी मात्रा में मौजूद हैं, यह पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर स्थित फिंगर क्षेत्र हैं जो भारत के लिए सबसे बड़ी मुसीबतें खड़ी कर रहे हैं |
पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच जारी तनाव के बीच चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिसरी ने कहा है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव खत्म करने का एकमात्र रास्ता है कि चीन वहां नए निर्माण को रोके।
भारतीय वायु सेना (IAF) ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर अपने लड़ाकू जेट और हेलीकॉप्टर तैनात कर दिए हैं। पूरी जानकारी के लिए देखिए वीडियो।
कांग्रेस अध्यक्ष ने सवाल किया, ‘‘आज जब हम शहीदों को नमन कर रहे हैं तो देश जानना चाहता है कि अगर चीन ने लद्दाख में हमारी सरमजमीं पर कब्जा नहीं किया तो फिर हमारे 20 सैनिकों की शहादत क्यों और कैसे हुई?’’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर शिवसेना ने आरोप लगाया कि वह आगामी बिहार विधानसभा चुनाव के लिए गलवान घाटी संघर्ष में भारतीय सैनिकों द्वारा दिखाई गई वीरता का इस्तेमाल कर रहे हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने एक ऑनलाइन ब्रीफिंग में पूर्वी लद्दाख क्षेत्र वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास हुए घटनाक्रमों का क्रमिक ब्योरा दिया और 15 जून को गलवान घाटी में हुए हिंसक संघर्ष के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया।
चीन के राजदूत सुन वेइडोंग ने एक सवाल के जवाब में कहा कि मौजूदा सीमा विवाद के समाधान की जिम्मेदारी चीन पर नहीं है। भारत द्वारा उठाए गए कदम विभिन्न द्विपक्षीय समझौतों की भावनाओं के अनुरुप नहीं हैं।
ग्लोबल टाइम्स ने स्वीकार किया है लद्दाख में हिंसक झड़प में 20 से कम चीनी सैनिक मारे गए हैं मगर शी जिनपिंग सरकार ने इस बारे में अभी तक चुप्पी नहीं तोड़ी है।
गलवान में हुए हिंसक झड़प और एलएसी पर जारी तनाव के बीच दिल्ली के होटल और गेस्ट हाउस संगठन ने चीनी नागरिकों को न ठहराने का फ़ैसला किया है।
लद्दाख के गलवान घाटी में खूनी संघर्ष के बाद भारत-चीन में तनातनी जारी है। इस बीच एलएसी पर चीन को सबक सिखाने के लिए भारतीय सेना ने फुलप्रुफ प्लान बना लिया है।
चीन पर चुटकी लेते हुए, पूर्व भारतीय डिवीजन कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन ने कहा कि अगर चीन किसी भी कागज पर हस्ताक्षर करता है, इसका मतलब यह नहीं है कि वह इसका पालन करेगा। चीन अपने ही नियम का पालन करता है।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने पूर्वी लद्दाख में तनातनी को ‘बेहद गंभीर और चिंताजनक स्थिति’ बताते हुए भारत और चीन से अपने सीमा मुद्दों को हल करने के लिए बातचीत करने का आह्वान किया।
गलवान वैली की सैटेलाइट तस्वीरों पर सबसे बड़ा खुलासा हुआ है। तस्वीरों में दिख रहे स्ट्रक्चर्स चीन के नहीं बल्कि भारत के हैं। पहले तस्वीरों में दिख रहे स्ट्रक्चर्स को चीन का बताया जा रहा था लेकिन इंडिया टीवी की जानकारी के मुताबिक ये स्ट्रक्चर भारत के हैं।
कुरैशी ने दावा किया कि पाकिस्तान के खिलाफ भारत 'फॉल्स फ्लैग आपरेशन’ (ऐसी शत्रुतापूर्ण कार्रवाई, जिसमें कार्रवाई करने वाले की पहचान अस्पष्ट हो) शुरू करने का बहाना ढूंढ रहा है लेकिन उन्होंने इसका कोई ब्यौरा नहीं दिया और न ही कोई सबूत दिया।
एक ओर शांति के लिए अफसरों के बीच बैठकें हो रही है और दूसरी ओर खबर ये है कि गलवान घाटी में हिंसा वाली जगह पर चीन ने टेंट लगा दिए हैं। गलवान घाटी के पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 पर ये टेंट लगाए गए हैं।
वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर अगले 48 घंटे बेहद महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं, क्योंकि सैटेलाइट तस्वीरों में चाइनीज कैंप साफ नजर आ रहे हैं।
पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में चीन की घुसपैठ को लेकर कई तरह के दावे किए जा रहे हैं और कई सवाल उठ रहे हैं, लेकिन पहली बार गलवान घाटी की तस्वीरें सामने आई हैं। इन सैटेलाइट तस्वीरों से पहली बार गलवान वैली का सच सामने आया है।
चीन को साफ-साफ कहा गया कि वह अपने सैनिकों को अप्रैल 2020 की पोजिशन में वापस ले, जिसे चीनी सेना ने मान लिया। जो लोग चीनी सेना के बारे में अच्छी तरह से जानते हैं, उनका मानना है कि चीन को सख्त तेवर दिखाने की जरूरत है।
एलएसी पर भारतीय सेना पूरी मुस्तैदी से देश की एक-एक इंच ज़मीन की हिफाजत कर रही है और जब तक चीन का आखिरी सैनिक, आखिरी पोस्ट, आखिरी तंबू, आखिरी हथियार बहुत पीछे नहीं चला जाता तब तक भारतीय सेना पीछे नहीं हटेगी।
सीमा पर भले ही भारत और चीन के बीच समझौता हो गया लेकिन चीन इस हार को बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है। लद्दाख में चीन शांति स्थापित करने की दुहाई दे रहा है, वहीं भारत को जब दूसरे देशों का समर्थन मिल रहा है तो उसे देखकर परेशान भी हो रहा है।
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