गुलाम नबी आजाद ने कहा, "मैंने उनके साथ जो किया, उसके लिए मुझे मोदी को श्रेय देना चाहिए। वह बहुत उदार हैं। विपक्ष के नेता के रूप में मैंने उन्हें किसी भी मुद्दे पर नहीं बख्शा, चाहे वह धारा 370 हो या सीएए या हिजाब।"
पांच राज्यों में हुए हालिया विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार और उसके बाद जी-23 के वरिष्ठ नेताओं द्वारा दोषारोपण के बाद सोनिया गांधी फिर सक्रिय हो गई हैं। बैठकों का दौर शुरू हो गया है।
ये बैठकें ऐसे समय हो रही हैं, जब इस तरह के संकेत मिल रहे हैं कि ‘जी 23’ के कुछ नेताओं को कांग्रेस कार्य समिति में जगह दी जा सकती है। यह भी हो सकता है कि आलाकमान पार्टी संसदीय बोर्ड जैसी कोई इकाई गठित करे, जिसमें इस समूह के कुछ नेताओं को जगह दी जा सकती है।
‘जी 23’ समूह पार्टी में संगठनात्मक बदलाव और सामूहिक नेतृत्व की मांग कर रहा है।
माना जा रहा है कि राहुल गांधी और भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हरियाणा में पार्टी को मजबूत बनाने के संदर्भ में भी बातचीत की है।
पांच राज्यों के चुनाव परिणामों में कांग्रेस की हार हुई इसके बाद आनन—फानन में जी-23 ग्रुप के नेताओं ने मीटिंग की और हार पर असंतोष जाहिर किया। पार्टी में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर सवाल उठाए। जानिए क्या है जी-23 ग्रुप की अहमियत, क्यों कर रहा है गांधी परिवार का विरोध।
कांग्रेस के ‘जी 23’ समूह के नेताओं को अपनी ही पार्टी यानी कांग्रेस के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। मल्लिकार्जुन खड़गे ने इन नेताओं पर पार्टी तोड़ने का आरोप लगा डाला। वहीं जी 23 के इन नेताओं ने आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर एक बड़ी बात कह डाली।
सीडब्ल्यूसी द्वारा सोनिया गांधी के नेतृत्व का समर्थन किए जाने के बाद आगे की रणनीति तैयार करने के लिए जी23 समूह कहे जाने वाले कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं ने बैठक की। यह समूह पहले ही कांग्रेस पार्टी के भीतर समान विचारधारा वाले नेताओं तक अपनी पहुंच बना चुका है।
खड़गे ने कहा, ‘‘उन्हें 100 बैठकें करने दीजिए। सोनिया गांधी जी को कोई कमजोर नहीं कर सकता। कांग्रेस पार्टी पूरी तरह उनके साथ है। ये लोग बैठकें करते रहेंगे और भाषण देते रहेंगे।’’
शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में उन्होने गांधी परिवार का बचाव करते हुए G-23 नेताओं पर कड़ा हमला बोला है। संपादकीय में G-23 नेताओं की तुलना सड़े हुए आम से की है ।
‘जी 23’ गुट के नेताओं के बगावती सुर और राज्यों में कांग्रेस में हो रही लड़ाई का समाधान निकालने के लिए भी ये बैठक हो रही है। इस बैठक में पार्टी अध्यक्ष और संगठन चुनाव के मुद्दे पर मंथन किया जा सकता है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री खुर्शीद ने सिब्बल के आवास के बाहर कांग्रेस कार्यकर्ताओं के विरोध प्रदर्शन को लेकर अपनी राय जाहिर की।
सिब्बल ने भी पार्टी की पंजाब इकाई में मचे घमासान और कांग्रेस की मौजूदा स्थिति को लेकर बुधवार को पार्टी नेतृत्व पर सवाल खड़े किए थे और कहा था कि सीडब्ल्यूसी की बैठक बुलाकर इस स्थिति पर चर्चा होनी चाहिए तथा संगठनात्मक चुनाव कराये जाने चाहिए।
दिल्ली में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि एक सीमावर्ती राज्य (पंजाब) जहां कांग्रेस पार्टी के साथ ऐसा हो रहा है, इसका क्या मतलब है? इससे ISI और पाकिस्तान को फायदा है। कांग्रेस को सुनिश्चित करना चाहिए कि वे एकजुट रहें। अगर किसी को दिक्कत है तो वो पार्टी के वरिष्ठ नेता से चर्चा करें।
गुलाम नबी आजाद ने खुलकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सच्चाई की तारीफ की। गुलाम नबी आजाद ने कहा, पीएम कहते हैं कि उन्होंने बर्तन मांजे...चाय बेची। यही होना भी चाहिए।
जम्मू में कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं के जमावड़े को लेकर दिल्ली में भी हलचल तेज है। सूत्रों के मुताबिक, सीनियर नेताओं की मोर्चाबंदी से टीम राहुल गांधी नाखुश है। राहुल गांधी की टीम को शिकायत है कि विधानसभा चुनावों में प्रचार की बजाय सीनियर नेता अपनी शिकायतों को तरजीह दे रहे हैं जबकि राहुल गांधी पार्टी को मजबूत करने के लिए जमीन पर मेहनत कर रहे हैं।
कांग्रेस के G-23 गुट के नेताओं ने गांधी परिवार के खिलाफ खुली मोर्चाबंदी कर दी है। जम्मू में G-23 के नेता एक मंच पर भगवा पगड़ी पहनकर जुटे। इस मंच से कांग्रेस के दिग्गजों ने अपने नेतृत्व पर सवाल उठाया है। इन लोगों ने कहा कि पार्टी को मजबूत करने को लिए जो भी बलिदान करना होगा हम करेंगे। जम्मू के इस कार्यक्रम में गुलाम नबी आजाद, राज बब्बर. मनीष तिवारी, और आनंद शर्मा भी शामिल हुए हैं। कपिल सिब्बल ने गुलाम नबी आजाद की राज्यसभा से विदाई पर भी सवाल उठाया और कहा कि हम आजाद से आजाद नहीं होना चाहते थे पार्टी ने उनके अनुभव का इस्तेमाल क्यों नहीं किया? उन्होंने कहा-सच्चाई ये है कि कांग्रेस पार्टी हमें कमजोर होती दिख रही है। अब इकट्ठा होकर हमें इसे मजबूत करना है।
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