1857 की क्रांति की शुरुआत वर्तमान उत्तर प्रदेश के मेरठ से हुई थी। यहीं से अंग्रेज सरकार के खिलाफ पहली बार 10 मई 1857 को स्वतंत्रता का बिगुल फूंका गया था।
8 अप्रैल का दिन भारत के लिए कई मायनों में काफी अहम है। यही वह दिन है जब भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त जैसे क्रांतिकारियों ने दिल्ली असेंबली में बम फेंका था।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने स्वतंत्रता सेनानियों को दी जाने वाली मासिक पेंशन की राशि बढाकर 25,000 रुपये करने की घोषणा बृहस्पतिवार को की।
भारत में धधकती आजादी की आंच पूरी दुनिया तक पहुंचे इसलिए भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने आठ अप्रैल को ही दिल्ली के सेंट्रल एसेंबली हॉल में बम फेंका था...
हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने एक विवादित बयान देते हुए कहा है कि लोकप्रिय हिन्दी गीत ‘साबरमती के संत’ ने देश के स्वतंत्रता संघर्ष की...
चित्तरंजन दास का जन्म 5 नवंबर, 1870 को कोलकाता में हुआ था। उनका ताल्लुक ढाका के बिक्रमपुर के तेलिरबाग के प्रसिद्ध दास परिवार से था। उनके पिता भुबन मोहन दास कोलकाता उच्च न्यायालय में एक जाने माने वकील थे। ब्रह्म समाज के एक कट्टर समर्थक देशबंधु अपनी
गफ्फार खान और महात्मा गाँधी के बीच एक आध्यात्मिक स्तर की मित्रता थी। दोनों को एक दूसरे के प्रति अपार स्नेह और सम्मान था और दोनों ने सन 1947 तक मिल-जुलकर काम किया। गफ्फार खान के खुदाई खिदमतगार और कांग्रेस ने स्वाधीनता के संघर्ष में एक-दूसरे का साथ निभ
भारत के स्वाधीनता आंदोलन में काकोरी कांड की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। लेकिन इसके बारे में बहुत ज्यादा जिक्र सुनने को नहीं मिलता। इसकी वजह यह है कि इतिहासकारों ने काकोरी कांड को बहुत ज्यादा अहमियत नहीं दी। लेकिन यह कहना गलत नहीं होगा कि काकोरी कांड
इनका जन्म पंजाब के लुधियाना जिले में 15 मई, 1907 में रामलाल और रल्ली देवी के घर हुआ था। इनके जन्म से 3 महीने पहले ही इनके पिता का निधन हो गया था। इसलिए इनके लालन पोषण में इनके ताऊ अचिंतराम ने इनकी माता को पूर्ण सहयोग दिया। सुखदेव को इनके ताऊ व ताई ने
1919 में अमृतसर के जलियांवाला बाग कांड ने उन्हें झकझोर कर रख दिया था। चन्द्रशेखर उस समय पढ़ाई कर रहे थे। तभी से उनके मन में एक आग धधक रही थी। महात्मा गांधी द्वारा असहयोग आंदोलन खत्म किये जाने पर सैंकड़ों छात्रों के साथ चन्द्रशेखर भी सड़कों पर उतर
भारत के वीर स्वतंत्रता सेनानी भगत सिह का जन्म पंजाब प्रांत में लायपुर जिले के बंगा में 28 सितंबर, 1947 को पिता किशन सिह और माता विद्यावती के घर हुआ था। 12 साल की उम्र में जलियांवाला बाग हत्याकांड के साक्षी रहे भगत सिंह की सोच पर ऐसा असर पड़ा कि उन्हो
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