विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक अप्रैल, 2022 तक लगातार सात माह बिकवाल रहे और उन्होंने भारतीय शेयरों से 1.65 लाख करोड़ रुपये निकाले।
घरेलू निवेशकों ने एसआईपी के जरिये अप्रैल महीने में म्यूचुअल फंड में 72,800 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया।
बीते सप्ताह भारतीय रिजर्व बैंक और अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी की, जिसका असर एफपीआई के रुख पर पड़ा है।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक सात महीनों यानी अप्रैल तक शुद्ध बिकवाल रहे हैं और उन्होंने शेयरों से 1.65 लाख करोड़ रुपये की भारी राशि निकाली है।
एफपीआई ने मार्च, 2022 तक भारतीय शेयर बाजारों में लगातार छह महीने तक बिकवाली की थी। इस दौरान उन्होंने भारतीय शेयर बाजारों से 1.48 लाख करोड़ रुपये निकाले थे।
इससे पहले, 2018-19 में 88 करोड़ रुपये, 2015-16 में 14,171 करोड़ रुपये और 2008-09 में 47,706 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर एफपीआई ने बेचे थे।
रिजर्व द्वारा नीतिगत ब्याज दर में बढ़ोतरी किए जाने से एफपीआई प्रवाह अस्थिर रहने की आशंका है।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, ‘‘अत्यधिक मूल्यांकन की वजह से एफपीआई सतत आधार पर भारत से निकासी कर रहे हैं। हालांकि, बैंकों और वाहन कंपनियों वे लिवाली कर रहे हैं।’’
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, ‘‘अक्टूबर के पहले पखवाड़े में एफपीआई ने सॉफ्टवेयर कंपनियों के 5,406 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं।
भारत के लिए आज फिर अच्छी आई खबर है। यह खबर भारत की मजबूत स्थिती और देश की अर्थव्यवस्था के सही दिशा में जाने की ओर इशारा करती है।
इससे पहले एफपीआई ने जुलाई में भारतीय बाजारों से शुद्ध रूप से 7,273 करोड़ रुपये की निकासी की थी। वहीं सितंबर के पहले तीन कारोबारी सत्रों में बाजार में कुल मिलाकर 7,768.32 करोड़ रुपये निवेश किये हैं।
दो से छह अगस्त के दौरान एफपीआई ने शेयरों में 975 करोड़ रुपये का निवेश किया है। ऋण या बांड बाजार में उनका निवेश 235 करोड़ रुपये रहा है।
चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीने में एफपीआई ने शेयरों से शुद्ध रूप से 6,707 करोड़ रुपये की निकासी की। इस दौरान उन्होंने ऋण या बांड बाजार में शुद्ध रूप से 602 करोड़ रुपये निवेश किया।
एक महीने तक लगातार निवेश के बाद विदेशी पोर्टफालियो निवेशकों (एफपीआई) ने जुलाई में पहले सात कारोबारी सत्रों में भारतीय शेयर बाजारों से 2,249 करोड़ रुपये की निकासी की है।
एफपीआई ने एक जून से 30 जून के बीच शेयरों में 17,215 करोड़ रुपए के कुल खरीदारी की वहीं दूसरी तरफ उन्होने बांड बाजार से 3,946 करोड़ रुपए की निकासी की।
कोविड-19 संक्रमण के मामलों में कमी के बीच अर्थव्यवस्था के जल्द खुलने की उम्मीद से भारतीय बाजारों के प्रति विदेशी निवेशकों का भरोसा बढ़ा है।
तीन से सात मई के दौरान एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजारों से कुल मिलाकर 5,936 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की है।
एफपीआई ने मार्च में भारतीय बाजारों में 17,304 करोड़ रुपये, फरवरी में 23,663 करोड़ रुपये और जनवरी में 14,649 करोड़ रुपये का निवेश किया था।
अवधि के दौरान घरेलू संस्थागत निवेशकों का निवेश 203 अरब डालर था, जो एफपीआई के मुकाबले आधे से भी कम है।
एक से 12 मार्च के दौरान एफपीआई ने शेयरों से 531 करोड़ रुपये और ऋण या बांड बाजार से 6,482 करोड़ रुपये निकाले हैं। इस तरह उनकी शुद्ध निकासी 7,013 करोड़ रुपये रही है।
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