जानकारों का मानना है कि आने वाले महीनों में भी एफपीआई की गतिविधियों में उतार-चढ़ाव का सिलसिला कायम रहने की संभावना है। उन्होंने इसके लिए वैश्विक कारकों के अलावा घरेलू कारणों को भी जिम्मेदार माना है।
अगस्त में विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार में 51,000 करोड़ रुपये और जुलाई में करीब 5,000 करोड़ रुपये मूल्य की शुद्ध खरीदारी की थी।
Stock Market में गिरावट के बावजूद विदेशी निवेशक पॉजिटिव, सितंबर में अब तक बाजारों में 12,000 करोड़ रुपये लगाए stock market falling Despite foreign investors are positive, in September invested Rs 12,000 crore
Stock Market: जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजय कुमार ने कहा कि भारतीय बाजारों में एफपीआई की लिवाली जारी रहेगी।
FPI: अक्टूबर 2021 से जून 2022 के बीच भारतीय इक्विटी बाजारों से विदेशी निवेशकों ने 2.46 लाख करोड़ रुपये निकाले।
FPI: कंपनियों के तिमाही नतीजे बेहतर रहे हैं। यह एक मुख्य वजह है कि एफपीआई ने भारतीय बाजार में जमकर लिवाली की है।
FPI: जब भी किसी कंपनी में विदेशी निवेशक अपनी हिस्सेदारी बढ़ाते हैं तो उसमें तेजी आती है।
इससे पहले अक्टूबर 2021 से जून 2022 के बीच उन्होंने भारतीय इक्विटी बाजारों में 2.46 लाख करोड़ रुपये की भारी बिक्री की थी।
विदेशी निवेशकों की Stock Market में हिस्सेदारी 14 फीसदी घटी, जुलाई में नौ माह बाद फिर से लौटे निवेशक foreign investors share decreased in stock market by 14 percent investors returned again after nine months in July
FPI Back: लगातार नौ माह तक निकासी के बाद जुलाई में एफपीआई पहली बार शुद्ध खरीदार बने थे। पिछले साल अक्टूबर से वे लगातार बिकवाल बने हुए थे।
FPI: 9 महीने बाद विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजार पर लौटा भरोसा, इतने हजार करोड़ का किया निवेश FPI: After 9 months, foreign investors returned confidence in the Indian market, invested so many thousand crores FPI: लगातार नौ माह तक बिकवाली करने के बाद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) भारतीय शेयर बाजारों में लौट आए है
विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका में मंदी की आशंका और डॉलर के लगातार मजबूत होने से एफपीआई बिकवाल बने हुए हैं।
यह मार्च, 2020 के बाद उनकी निकासी का सबसे ऊंचा आंकड़ा है। उस समय एफपीआई ने भारतीय शेयरों से 61,973 करोड़ रुपये निकाले थे।
आंकड़ों के मुताबिक विदेशी निवेशकों ने जून में (24 तारीख तक) इक्विटी से 45,841 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की।
विशेषज्ञों का कहना है कि शेयर बाजार वर्तमान समय में मूल्य के हिसाब से आकर्षक हो गया है। सप्लाई चेन और महंगाई आने वाले महीनों में कम होगी।
फेडरल रिजर्व, बैंक ऑफ इंग्लैंड और स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरें बढ़ाई हैं। इसके चलते एफपीआई शेयरों से बांड की ओर रुख कर रहे हैं।
घरेलू और वैश्विक मोर्चे पर घटनाक्रमों से चिंतित विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) का भारतीय शेयर बाजारों में बिकवाली का सिलसिला जारी है।
अक्टूबर, 2021 से मई, 2022 तक आठ माह में एफपीआई भारतीय शेयर बाजारों से 2.07 लाख करोड़ रुपये निकाल चुके हैं।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा शेयरों से शुद्ध धन निकासी वर्ष 2022 में अब तक 1.63 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गयी है।
कैलेंडर वर्ष 2021 में भारत-केंद्रित विदेशी कोष एवं ईटीएफ श्रेणी के तहत 2.45 अरब डॉलर की निकासी की गई, जो 2020 में हुई 9.26 अरब डॉलर की निकासी से काफी कम है।
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