इससे पहले मई में एफपीआई ने चुनावी नतीजों से पहले शेयरों से 25,586 करोड़ रुपये निकाले थे। वहीं मॉरीशस के साथ भारत की कर संधि में बदलाव और अमेरिका में बॉन्ड प्रतिफल में निरंतर वृद्धि की चिंताओं के कारण अप्रैल में उन्होंने 8,700 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की थी।
रिटेल निवेशक बाजार में एक स्मार्ट निवेशक की तरह काम कर रहे हैं और विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) और अन्य बड़े निवेशकों से कहीं आगे दिखाई देते हैं।
मार्केट एक्सपर्ट का कहना है कि भारत के आम चुनाव के नतीजों और चीन के शेयरों के आकर्षक मूल्यांकन से प्रभावित होकर विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से पैसा निकाल रहे हैं।
आनंद राठी शेयर्स एंड स्टॉक ब्रोकर्स की यूएई बिजनेस एंड स्ट्रेटेजी की प्रमुख तनवी कंचन ने कहा कि भारत में विदेशी निवेशकों की बिक्री के मुकाबले 24 मई तक घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) द्वारा 40,986 करोड़ का निवेश किया गया है।
FPI investment in may : विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने इस महीने 17 मई तक शेयरों से शुद्ध रूप से 28,242 करोड़ रुपये निकाले हैं।
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने इस महीने (10 मई तक) अबतक शेयरों से 17,083 करोड़ रुपये निकाले हैं। मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि एफपीआई की आक्रामक बिकवाली के कई कारण हैं।
ताजा आंकड़ों के मुताबिक, फरवरी तक पी-नोट्स रूट से डाले गए कुल 1.5 लाख करोड़ रुपये में से 1.27 लाख करोड़ रुपये शेयरों में, 21,303 करोड़ रुपये ऋण प्रतिभूतियों में और 541 करोड़ रुपये हाइब्रिड प्रतिभूतियों में निवेश किए गए।
एफपीआई की बिक्री के प्रभाव को घरेलू संस्थागत निवेशक, धनाढ्य व्यक्तिगत निवेशक और खुदरा निवेशक कम कर रहे हैं। इससे छोटे निवेशकों को नुकसान होने की संभावना कम होगी। भारतीय स्टॉक मार्केट अपने दायरे में कारोबार करेगा। वह विदेशी निवेशकों के भरोसे नहीं चलेगा।
भारत-मॉरीशस कर संधि में बदलाव की आशंका के चलते शुक्रवार को एफपीआई ने 8,027 करोड़ रुपये की बिकवाली की थी।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि अमेरिका में 10-वर्षीय बॉन्ड का प्रतिफल बढ़कर 4.4 प्रतिशत हो गया है, जिससे निकट अवधि में भारत में एफपीआई निवेश प्रभावित होगा।
विदेशी निवेशकों की ओर से चालू वित्त वर्ष में भारतीय बाजारों में 2.08 लाख करोड़ का निवेश किया गया है। यह निवेश दो वर्ष तक लगातार निकासी के बाद हुआ है।
शेयरों के अलावा एफपीआई ने इस महीने में 22 मार्च तक ऋण या बॉन्ड बाजार में 13,223 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
एफपीआई अमेरिका में बॉन्ड यील्ड में बदलाव की वजह से अपनी रणनीति बदल रहे हैं। चूंकि अमेरिका में बॉन्ड पर यील्ड फिर बढ़ गया है, ऐसे में आगामी दिनों में एफपीआई फिर बिकवाली कर सकते हैं।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि तीन कारणों से एफपीआई भारतीय बाजार में रुचि दिखा रहे हैं। इनमें बाजार की मजबूती और अमेरिकी में बॉन्ड प्रतिफल में गिरावट के अलावा जीडीपी की वृद्धि दर के उम्मीद से बेहतर आंकड़े शामिल हैं।
एफपीआई की बिकवाली का रुझान तब तक जारी रहने की संभावना है जब तक अमेरिकी बांड पर ब्याज ऊंची बनी रहेगी। इस साल की शुरुआत में शुरू हुई डेट में एफपीआई की निरंतर खरीदारी भी जारी है।
इंडियन बॉन्ड मार्केट में विदेशी निवेशकों का आकर्षण बढ़ने की वजह जेपी मॉर्गन इंडेक्स में भारत सरकार के बॉन्ड को शामिल किए जाना और व्यापक रूप से देश की अर्थव्यवस्था का मजबूत परिदृश्य है।
अमेरिका में बढ़ती बांड पैदावार चिंता का विषय है और इससे नकदी बाजार में बिकवाली का हालिया दौर शुरू हो गया है। वैश्विक शेयर बाजारों में तेजी फेड की धुरी से शुरू हुई, जिसमें 10 साल की बॉन्ड यील्ड 5 प्रतिशत से गिरकर लगभग 3.8 प्रतिशत हो गई।
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि एफपीआई की बड़े पैमाने पर बिकवाली की वजह एचडीएफसी बैंक के निराशाजनक तिमाही नतीजे हैं। उन्होंने कहा कि एफपीआई ने नए साल की शुरुआत में सतर्क रुख अपनाते हुए ऊंचे मूल्यांकन की वजह से भारतीय शेयर बाजारों में मुनाफावसूली की है।
मार्केट एक्सपर्ट का कहना है कि विदेशी निवेशकों का सबसे बड़ा निवेश बैंकिंग स्टॉक्स में है। इसलिए अगर वो बिकवाली करते हैं तो बैंकिंग काउंटर में तेज गिरावट देखने को मिल सकती है। इसलिए छोटे निवेशक बैंकिंग स्टॉक्स में संभलकर निवेश करें। अगर संभव हो तो अभी इस काउंटर से दूरी बनाकर ही रहें।
भारत में एफपीआई प्रवाह में 2023 में बदलाव देखा गया और 28.7 अरब डॉलर का निवेश दर्ज किया गया। इससे पहले 2022 में एफपीआई ने घरेलू बाजार से 17.9 अरब डॉलर निकाले थे। 2023 में निवेश 2017 के बाद सबसे अधिक रहा, जब एफपीआई ने घरेलू बाजार में 30.8 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश किया था।
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