विदेशी निवेशकों की ओर से डेट मार्केट में बड़ी खरीदारी होने की वजह इस साल जून में जेपी मॉर्गन इमर्जिंग मार्केट बॉन्ड इंडेक्स में भारतीय बॉन्ड को शामिल करना है। जेपी मॉर्गन इमर्जिंग मार्केट्स बॉन्ड इंडेक्स में भारतीय बॉन्ड का वेटेज 10 प्रतिशत होगा।
बजट में शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन टैक्स (एसटीसीजी) को 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है। वहीं, लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स (एलटीसीजी) को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया गया है।
इससे पहले मई में एफपीआई ने चुनावी नतीजों से पहले शेयरों से 25,586 करोड़ रुपये निकाले थे। वहीं मॉरीशस के साथ भारत की कर संधि में बदलाव और अमेरिका में बॉन्ड प्रतिफल में निरंतर वृद्धि की चिंताओं के कारण अप्रैल में उन्होंने 8,700 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की थी।
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने इस महीने (10 मई तक) अबतक शेयरों से 17,083 करोड़ रुपये निकाले हैं। मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि एफपीआई की आक्रामक बिकवाली के कई कारण हैं।
विदेशी निवेशकों की ओर से भारतीय बाजार में लगातार निवेश किया जा रहा है। हालांकि, उनके निवेश के ट्रेंड में बड़ा बदलाव भी आया है। वह कई सेक्टर में पैसा लगा रहे हैं। वहीं, कुछ से पैसा निकाल भी रहे हैं।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि तीन कारणों से एफपीआई भारतीय बाजार में रुचि दिखा रहे हैं। इनमें बाजार की मजबूती और अमेरिकी में बॉन्ड प्रतिफल में गिरावट के अलावा जीडीपी की वृद्धि दर के उम्मीद से बेहतर आंकड़े शामिल हैं।
इंडियन बॉन्ड मार्केट में विदेशी निवेशकों का आकर्षण बढ़ने की वजह जेपी मॉर्गन इंडेक्स में भारत सरकार के बॉन्ड को शामिल किए जाना और व्यापक रूप से देश की अर्थव्यवस्था का मजबूत परिदृश्य है।
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि एफपीआई की बड़े पैमाने पर बिकवाली की वजह एचडीएफसी बैंक के निराशाजनक तिमाही नतीजे हैं। उन्होंने कहा कि एफपीआई ने नए साल की शुरुआत में सतर्क रुख अपनाते हुए ऊंचे मूल्यांकन की वजह से भारतीय शेयर बाजारों में मुनाफावसूली की है।
भारत में एफपीआई प्रवाह में 2023 में बदलाव देखा गया और 28.7 अरब डॉलर का निवेश दर्ज किया गया। इससे पहले 2022 में एफपीआई ने घरेलू बाजार से 17.9 अरब डॉलर निकाले थे। 2023 में निवेश 2017 के बाद सबसे अधिक रहा, जब एफपीआई ने घरेलू बाजार में 30.8 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश किया था।
विदेशी निवेशक करीब 43,000 करोड़ रुपये का निवेश दिसंबर के पहले दो सप्ताह में किया है। माना जा रहा है कि एफपीआई प्रवाह के लिए यह सबसे अच्छा साल हो सकता है। एफपीआई ने 2021 में शेयरों में शुद्ध रूप से 25,752 करोड़ रुपये, 2020 में 1.7 लाख करोड़ रुपये और 2019 में 1.01 लाख करोड़ रुपये डाले थे।
2024 के लिए शेयर बाजार की भावनाएं काफी अधिक आशावादी हैं। पिछले 7 दिनों में बाजार में 4.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, इसका नेतृत्व वित्तीय और सभी क्षेत्रों ने किया है। नए साल में बैंकिंग, आईटी, मैन्यूफैक्चरिंग समेत कई सेक्टर तेजी में अपना योगदान देंगे।
बॉन्ड के अलावा विदेशी निवेशकों ने समीक्षाधीन अवधि में शेयरों में शुद्ध रूप से 378 करोड़ रुपये का निवेश किया। इससे पहले, अक्टूबर और सितंबर महीने में एफपीआई ने निकासी की थी।
आंकड़ों से पता चलता है कि एफपीआई ने अक्टूबर में 24,548 करोड़ रुपये और सितंबर में 14,767 करोड़ रुपये मूल्य की भारतीय इक्विटी की बिकवाली की थी। इसके पहले एफपीआई मार्च से अगस्त तक लगातार छह महीनों तक खरीदार बने हुए थे। उस अवधि में विदेशी निवेशकों ने 1.74 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था।
एक ओर जहां विदेशी निवेशक बाजार से पैसा निकाल रहे हैं, वहीं दूसरी ओर घरेलू निवेशक और म्यूचुअल फंड हाउस पैसा लगा रहे हैं। इस दौरान घरेलू निवेशकों (डीआईआई) द्वारा 13,748 करोड़ रुपये की खरीदारी की गई है।
जुलाई में एफपीआई का निवेश 46,618 करोड़ रुपये, जून में 47,148 करोड़ रुपये और मई में 43,838 करोड़ रुपये रहा था।
21 जुलाई तक विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजारों में शुद्ध रूप से 43,800 करोड़ रुपए का निवेश किया था। हालांकि, अब वो निकासी कर रहे हैं। यह अच्छे संकेत नहीं है।
आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई मार्च से लगातार भारतीय शेयर बाजारों में निवेश कर रहे हैं। उन्होंने इस महीने 21 जुलाई तक शेयरों में शुद्ध रूप से 43,804 करोड़ रुपये डाले हैं।
मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘भारतीय बाजार लगातार ऊपर चढ़ रहे हैं जिसकी वजह से मूल्यांकन को लेकर चिंता पैदा हो सकती है।
इससे पहले अप्रैल में विदेशी निवेशकों ने शेयरों में 11,630 करोड़ रुपये और मार्च में 7,936 करोड़ रुपये डॉले थे।
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 में उनकी निकासी की रफ्तार धीमी होकर 37,632 करोड़ रुपये रही है।
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