19 अक्टूबर को 5 प्रतिशत के शिखर पर पहुंचने के बाद 10-वर्षीय अमेरिकी बांड यील्ड में गिरावट शुरू हुई। पिछले दो दिनों के दौरान इसमें भारी गिरावट आई है, जिससे 3 नवंबर को यील्ड तेजी से घटकर 4.66 फीसदी रह गई। बांड यील्ड में इस उलटफेर का मुख्य कारण अमेरिकी फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पॉवेल की टिप्पणी है।
क्रेविंग अल्फा के प्रबंधक-स्मॉलकेस और प्रमुख भागीदार मयंक मेहरा ने कहा, ‘‘आगे चलकर भारतीय बाजारों में एफपीआई का प्रवाह अनिश्चित रहेगा। काफी हद तक यह भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन, रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा और कंपनियों के सितंबर तिमाही के नतीजों पर निर्भर करेगा।’’
एफपीआई ने पिछले तीन महीनों (मई, जून और जुलाई) में औसतन 40,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया था।
पिछले तीन माह के दौरान एफपीआई शेयर बाजारों में 1.36 लाख करोड़ रुपये का निवेश कर चुके हैं।
21 जुलाई तक विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजारों में शुद्ध रूप से 43,800 करोड़ रुपए का निवेश किया था। हालांकि, अब वो निकासी कर रहे हैं। यह अच्छे संकेत नहीं है।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि एफपीआई आगे चलकर थोड़ा सतर्क हो सकते हैं, क्योंकि देश में मूल्यांकन अल्पकालिक नजरिए से थोड़ा अधिक है।
इससे पहले, जनवरी-फरवरी के दौरान एफपीआई ने 34,000 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की थी।
इससे पहले जनवरी-फरवरी में उन्होंने शेयरों से 34,000 करोड़ रुपये निकाले थे। मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘भारतीय शेयर बाजार लगातार चढ़ रहे हैं।
मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि एफपीआई का ताजा प्रवाह मजबूत वृहद परिदृश्य, शेयरों के उचित मूल्यांकन और बेहतर तिमाही नतीजों की वजह से है।
मई में शेयरों के अलावा एफपीआई ने ऋण या बॉन्ड बाजार में भी 1,057 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक, एफपीआई ने दो से पांच मई के दौरान चार कारोबारी सत्रों में भारतीय शेयरों में शुद्ध रूप से 10,850 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
निवेश सलाहकार कंपनी राइट रिसर्च की संस्थापक सोनम श्रीवास्तव ने कहा कि आगे चलकर अमेरिकी फेडरल रिजर्व की सख्त मौद्रिक नीति के कारण एफपीआई प्रवाह में उतार-चढ़ाव रहेगा।
दिसंबर में एफपीआई ने शेयरों में 11,119 करोड़ रुपये और नवंबर में 36,238 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था।
मॉर्निंगस्टार की एक रिपोर्ट के अनुसार, घरेलू शेयरों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) का निवेश दिसंबर, 2022 के अंत में घटकर 584 अरब डॉलर रह गया, जो सालाना आधार पर 11 प्रतिशत कम है।
चीनी बाजारों के आकर्षण और आम बजट तथा अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की बैठक से पहले एफपीआई ने सतर्कता का रुख अपनाया हुआ है।
Stock Market: जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजय कुमार ने कहा कि भारतीय बाजारों में एफपीआई की लिवाली जारी रहेगी।
FPI: जब भी किसी कंपनी में विदेशी निवेशक अपनी हिस्सेदारी बढ़ाते हैं तो उसमें तेजी आती है।
इस साल सितंबर तक FPI का कुल पूंजी प्रवाह 8.8 अरब डॉलर पर पहुंच गया। यह 2021 में अबतक उभरते बाजारों में सबसे अधिक है। भारत के अलावा सिर्फ ब्राजील में पूंजी निवेश बढ़ा है।
एफपीआई ने अवधि के दौरान शेयरों में शुद्ध रूप से 226 करोड़ रुपये का निवेश किया, वहीं वे बांड बाजार से 1,698 करोड़ रुपये की निकासी कर चुके हैं।
इससे पहले मार्च में एफपीआई ने भारतीय बाजारों में 17,304 करोड़ रुपये, फरवरी में 23,663 करोड़ रुपये और जनवरी में 14,649 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था।
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