मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि एफपीआई की बड़े पैमाने पर बिकवाली की वजह एचडीएफसी बैंक के निराशाजनक तिमाही नतीजे हैं। उन्होंने कहा कि एफपीआई ने नए साल की शुरुआत में सतर्क रुख अपनाते हुए ऊंचे मूल्यांकन की वजह से भारतीय शेयर बाजारों में मुनाफावसूली की है।
मार्केट एक्सपर्ट का कहना है कि विदेशी निवेशकों का सबसे बड़ा निवेश बैंकिंग स्टॉक्स में है। इसलिए अगर वो बिकवाली करते हैं तो बैंकिंग काउंटर में तेज गिरावट देखने को मिल सकती है। इसलिए छोटे निवेशक बैंकिंग स्टॉक्स में संभलकर निवेश करें। अगर संभव हो तो अभी इस काउंटर से दूरी बनाकर ही रहें।
भारत में एफपीआई प्रवाह में 2023 में बदलाव देखा गया और 28.7 अरब डॉलर का निवेश दर्ज किया गया। इससे पहले 2022 में एफपीआई ने घरेलू बाजार से 17.9 अरब डॉलर निकाले थे। 2023 में निवेश 2017 के बाद सबसे अधिक रहा, जब एफपीआई ने घरेलू बाजार में 30.8 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश किया था।
नए साल में भी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों यानी एफपीआई की खरीदारी लगातार जारी है। एफपीआई ने जनवरी के पहले सप्ताह में शेयर बाजारों में करीब 4,800 करोड़ रुपये डाले हैं। बीते साल यानी 2023 में एफपीआई ने भारतीय बाजारों में 2.4 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है।
दिसंबर में एफपीआई ने सबसे अधिक 66,134 करोड़ रुपये की खरीदारी की है। इस तरह साल 2023 में एफपीआई ने कुल 1.65 लाख करोड़ रुपये भारतीय शेयर बाजार में निवेश किये हैं।
एफपीआई ने इस महीने अब तक भारतीय बाजार में 57,300 करोड़ रुपये का निवेश किया है। नए साल में अमेरिकी ब्याज दरों में कमी आने की उम्मीद है। ऐसे में एफपीआई वर्ष 2024 में भारतीय बाजार में अपनी खरीदारी बढ़ा सकते हैं।
विदेशी निवेशक करीब 43,000 करोड़ रुपये का निवेश दिसंबर के पहले दो सप्ताह में किया है। माना जा रहा है कि एफपीआई प्रवाह के लिए यह सबसे अच्छा साल हो सकता है। एफपीआई ने 2021 में शेयरों में शुद्ध रूप से 25,752 करोड़ रुपये, 2020 में 1.7 लाख करोड़ रुपये और 2019 में 1.01 लाख करोड़ रुपये डाले थे।
इसके पहले अक्टूबर में एफपीआई ने 9,000 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था। डिपॉजिटरी के आंकड़ों से पता चलता है कि अगस्त और सितंबर में विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजारों से 39,300 करोड़ रुपये की निकासी की थी।
2024 के लिए शेयर बाजार की भावनाएं काफी अधिक आशावादी हैं। पिछले 7 दिनों में बाजार में 4.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, इसका नेतृत्व वित्तीय और सभी क्षेत्रों ने किया है। नए साल में बैंकिंग, आईटी, मैन्यूफैक्चरिंग समेत कई सेक्टर तेजी में अपना योगदान देंगे।
आंकड़ों से पता चलता है कि बॉन्ड को लेकर नवंबर में ऋण बाजार ने 14,860 करोड़ रुपये आकर्षित किए। यह अक्टूबर, 2017 के बाद से यह सबसे अधिक निवेश था, जब 16,063 करोड़ रुपये आए थे। जेपी मॉर्गन के बाजार सरकारी बॉन्ड सूचकांक में भारतीय प्रतिभूतियों को शामिल करने से घरेलू बॉन्ड बाजारों में विदेशी कोषों की भागीदारी बढ़ी है।
बॉन्ड के अलावा विदेशी निवेशकों ने समीक्षाधीन अवधि में शेयरों में शुद्ध रूप से 378 करोड़ रुपये का निवेश किया। इससे पहले, अक्टूबर और सितंबर महीने में एफपीआई ने निकासी की थी।
अमेरिका में मुद्रास्फीति में उम्मीद से बेहतर गिरावट ने बाजार को यह मानने का विश्वास दिला दिया है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने दरों में बढ़ोतरी कर दी है। इसके परिणाम स्वरूप अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में तेजी से गिरावट आई है और 10-वर्षीय बेंचमार्क बॉन्ड प्रतिफल अक्टूबर मध्य में पांच प्रतिशत से घटकर अब 4.40 प्रतिशत हो गया।
आंकड़ों से पता चलता है कि एफपीआई ने अक्टूबर में 24,548 करोड़ रुपये और सितंबर में 14,767 करोड़ रुपये मूल्य की भारतीय इक्विटी की बिकवाली की थी। इसके पहले एफपीआई मार्च से अगस्त तक लगातार छह महीनों तक खरीदार बने हुए थे। उस अवधि में विदेशी निवेशकों ने 1.74 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था।
19 अक्टूबर को 5 प्रतिशत के शिखर पर पहुंचने के बाद 10-वर्षीय अमेरिकी बांड यील्ड में गिरावट शुरू हुई। पिछले दो दिनों के दौरान इसमें भारी गिरावट आई है, जिससे 3 नवंबर को यील्ड तेजी से घटकर 4.66 फीसदी रह गई। बांड यील्ड में इस उलटफेर का मुख्य कारण अमेरिकी फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पॉवेल की टिप्पणी है।
क्रेविंग अल्फा के प्रबंधक-स्मॉलकेस और प्रमुख भागीदार मयंक मेहरा ने कहा, ‘‘आगे चलकर भारतीय बाजारों में एफपीआई का प्रवाह अनिश्चित रहेगा। काफी हद तक यह भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन, रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा और कंपनियों के सितंबर तिमाही के नतीजों पर निर्भर करेगा।’’
एक ओर जहां विदेशी निवेशक बाजार से पैसा निकाल रहे हैं, वहीं दूसरी ओर घरेलू निवेशक और म्यूचुअल फंड हाउस पैसा लगा रहे हैं। इस दौरान घरेलू निवेशकों (डीआईआई) द्वारा 13,748 करोड़ रुपये की खरीदारी की गई है।
जुलाई में एफपीआई का निवेश 46,618 करोड़ रुपये, जून में 47,148 करोड़ रुपये और मई में 43,838 करोड़ रुपये रहा था।
एफपीआई ने पिछले तीन महीनों (मई, जून और जुलाई) में औसतन 40,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया था।
पिछले तीन माह के दौरान एफपीआई शेयर बाजारों में 1.36 लाख करोड़ रुपये का निवेश कर चुके हैं।
21 जुलाई तक विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजारों में शुद्ध रूप से 43,800 करोड़ रुपए का निवेश किया था। हालांकि, अब वो निकासी कर रहे हैं। यह अच्छे संकेत नहीं है।
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