रूस और यूक्रेन के बेल्ट में पूरी दुनिया का 25 फीसदी अनाज प्रोडक्शन होता है। यदि समझौते से रूस पीछे हटा तो पूरी दुनिया और खासकर अफ्रीका और खाड़ी देशों में अनाज का बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा।
सरकार ने गरीबों के लिए फ्री अनाज योजना को 3 महीने के लिए और बढ़ा दिया है। लेकिन देश में अनाज के घटते उत्पादन और बढ़ती कीमतों के बीच इस योजना पर विशेषज्ञों द्वारा संदेह व्यक्त किया जा रहा था।
हालांकि, इस साल खरीफ सत्र के दौरान मोटा अनाज और तिलहन उत्पादन मामूली रूप से कम रहने का अनुमान है।
कृषि मंत्रालय इस साल खरीफ सत्र में खाद्यान्न उत्पादन 15 करोड़ टन से अधिक होने की उम्मीद कर रहा है, जो फसल वर्ष 2020-21 के इसी सत्र में हासिल किए गए 14 करोड़ 95 लाख टन से अधिक है।
तीसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक इस साल खाद्यान्न, चावल, गेहूं, मक्का, चना, मूंगफली और सरसों में रिकॉर्ड उत्पादन दर्ज होगा।
फसल वर्ष 2020-21 के लिए दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार इस साल रबी सीजन के दौरान देश में रिकॉर्ड अनाज और दलहन पैदा होने का अनुमान है।
2020-21 खरीफ सीजन में खाद्यान्न उत्पादन 1,445.2 लाख टन होने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि गन्ने और कपास जैसी नकदी फसलों का उत्पादन भी अच्छा होने की उम्मीद है।
केंद्र सरकार ने चालू फसल वर्ष 2020-21 यानि जुलाई 2020 से जून 2021 के बीच में 30.1 करोड़ टन खाद्यान्नों का उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है जो कि पिछले साल के मुकाबले करीब 2 फीसदी ज्यादा है।
गेंहूं और कपास का उत्पादन अब तक के सबसे ऊपरी स्तर तक पहुंचने का अनुमान
फसल वर्ष 2020-21 के दौरान खरीफ सत्र में 14.99 करोड़ टन और रबी सत्र में 14.84 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।
इस मानसून सत्र में बारिश सामान्य से कम रहने के बावजूद सरकार ने फसल वर्ष 2018-19 में 28.52 करोड़ टन अनाज उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है।
कृषि मंत्रालय ने अपने दूसरे अग्रिम अनुमान में बताया है कि 2017-18 के दौरान देश में चावल उत्पादन 1110.1 लाख टन होने का अनुमान है जो अबतक का सबसे अधिक उत्पादन होगा
ASSOCHAM के मुताबिक देश में रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन की संभावना और बाजार में कम प्राइस वार की वजह से महंगाई दर में बढ़ोतरी की आशंका नहीं है
2015-16 में दलहनों का उत्पादन 4% घटकर 1.647 करोड़ टन रह गया। वहीं गेहूं की बंपर फसल के चलते देश का कुल खाद्यान्न उत्पादन मामूली बढ़कर 25.222 करोड़ टन रहा।
घरेलू ब्रोकरेज कंपनी जेएम फाइनेंशियल के मुताबिक दो साल कमजोर मानसून रहने के कारण इन किसानों का कर्ज बढ़कर उनकी सम्पत्ति का 22 फीसदी हो गया है।
प्राइवेट एजेंसी स्काईमेट वेदर सर्विसेज ने चार महीने (जून-सितंबर) चलने वाले मानसून के दौरान 109 फीसदी बारिश का अनुमान लगाया है।
देश में लगातार दो साल से सूखे के बावजूद सरकारी अनुमान के मुताबिक देश में 2015-16 (फसल वर्ष) के दौरान अनाज उत्पादन बढ़कर 25.31 करोड़ टन पहुंच सकता है।
रामविलास पासवान ने कहा कि अप्रैल तक लगभग पूरा देश राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के दायरे में आ जाएगा। कानून को लागू करने के लिए तेजी से काम हो रहा है।
विभिन्न राज्यों में सूखे और बेमौसमी बारिश के चलते 2015 किसानों (खेतीबाड़ी) के लिए कठिन साल रहा। इस दौरान अनेक किसानों ने आत्महत्या तक की।
भारत को अपनी बढ़ती मांग पूरी करने के लिए 2050 तक सालाना खाद्य उत्पादन बढ़ाकर 33.3 करोड़ टन करने की जरूरत है जो वर्तमान में 25.2 करोड़ टन के आसपास है।
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