भारत की रेटिंग को इसके मध्यम अवधि के मजबूत वृद्धि परिदृश्य से समर्थन हासिल है। यह वैश्विक अर्थव्यवस्था में जीडीपी के हिस्से के साथ इसकी ठोस बाहरी वित्तीय स्थिति और इसके कर्ज प्रोफाइल के संरचनात्मक पहलुओं में सुधार को आगे बढ़ाएगा।
भूमि और श्रम कानूनों में बड़े सुधार नई सरकार के एजेंडे में बने रहेंगे क्योंकि यह भारत के विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ाने का प्रयास करती है, लेकिन ये लंबे समय से विवादास्पद रहे हैं और एनडीए का कमजोर जनादेश इन कानूनों को पारित करना और जटिल कर देगा।
फिच ने उम्मीद जतायी कि बहुमत कम होने के बावजूद नीतिगत निरंतरता बनी रहेगी। उसने सरकार के पूंजीगत व्यय बढ़ाने, कारोबार सुगमता के उपायों और धीरे-धीरे राजकोषीय समेकन पर अपना ध्यान केंद्रित करने को लेकर भी उम्मीद जाहिर की।
एजेंसी ने कहा है कि वित्त वर्ष 2022-23 में 38 प्रतिशत से बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद का करीब 40 प्रतिशत होने के बावजूद भारत का घरेलू ऋण दुनिया में सबसे कम है।
मुकेश अंबानी की अगुवाई में रिलायंस इंडस्ट्रीज टेलीकॉम से लेकर पेट्रोलियम सेक्टर में अपना परचम लहरा रही है। इससे कंपनी का मुनाफा भी बढ़ा रहा है।
फिच रेटिंग्स ने मजबूत घरेलू मांग और व्यापार और उपभोक्ता विश्वास के लगातार रुख के चलते अपने अनुमान में इजाफा किया है। अपने नवीनतम 'ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक' में कहा कि देश की आर्थिक वृद्धि घरेलू मांग के साथ तिमाही पूर्वानुमानों से बेहतर प्रदर्शन कर रही है।
India's GDP: भारत हर मोर्चे पर विकास कर रहा है। देश में कम हो रही महंगाई के चलते फिच रेटिंग्स ने भी इंडिया की जीडीपी ग्रोथ रेट बढ़ा दी है।
आपको बता दें कि पूरी दुनिया में भारतीय अर्थव्यवस्था ससबे तेज गति से बढ़ रही है। इस बात को अब तमाम रेटिंग मानने लगे हैं। फिच ने भी यह बदलाव भारत की तेज विकास रफ्तार को देखने के बाद ही किया है।
वर्ल्ड ऑफ स्टैटिस्टिक्स के आंकड़ों के मुताबिक भारत में मंदी की संभावना 0% है। वहीं, अमेरिका, चीन और फ्रांस जैसे विकसित देशों पर भी मंदी का खतरा मंडरा रहा है। सबसे अधिक खतरा ब्रिटेन को लेकर बताई गई है।
Fitch ने कहा, ‘‘हमारा अनुमान है कि रिजर्व बैंक ब्याज दरों में वृद्धि जारी रखेगा और साल खत्म होने तक रेपो दर 5.9 प्रतिशत पर होगी।
फिच ने कहा, भारत के लिए वित्त वर्ष 2022-23 में अपने वृद्धि दर के अनुमान को 1.8 प्रतिशत घटाकर 8.5 प्रतिशत कर दिया है।
एजेंसी कहा कि सुधार के एजेंडा पर सरकार के आगे बढ़ने और महामारी से पैदा हुआ नकारात्मक असर खत्म होने से भारतीय अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।
फिच ने कहा कि हमारे विचार में, कोरोना की दूसरी लहर ने भारत की आर्थिक रिकवरी को पटरी से नहीं उतारा है बल्कि उसमें देरी पैदा कर दी है।
चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। सरकार का 2025-26 तक इसे कम कर जीडीपी के 4.5 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य है।
लगातार चार दिन कोरोना वायरस संक्रमण के चार लाख से अधिक नए मामले सामने आने के बाद भारत में सोमवार को एक दिन में कोविड-19 के ताजा मामलों में कमी देखने को मिली है और वो 3.66 लाख के स्तर पर रहे हैं।
वर्ष के दौरान सरकार का खर्च 34.8 लाख करोड़ रुपये के अनुमानित स्तर के आसपास रहने की उम्मीद है। वहीं राजस्व प्राप्ति 17.8 लाख करोड़ रुपये से कम रहने का अनुमान है।
एजेंसी ने कहा है कि उसके ताजा अनुमान में गिरावट का जोखिम बना हुआ है, क्योंकि कोविड-19 मामलों से लॉकडाउन का और विसतार होगा।
हाल में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों तेजी से 2021-22 के परिदृश्य के कमजोर होने का जोखिम है।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि 2020 की दूसरी छमाही में पुनरुद्धार से सकल घरेलू उत्पाद (GDP) अपने महामारी पूर्व के स्तर पर पहुंच गया है।
सरकार अगले वित्त वर्ष 2021-22 में करीब 12 लाख करोड़ रुपये का कर्ज जुटाएगी। अगले वित्त वर्ष में सरकार का व्यय 34.83 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। इनमें 5.54 लाख करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय है।
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