वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को बजट पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि सरकार पर साठगांठ वाले पूंजीवाद का आरोप लगाना बेबुनियाद है।
रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी 2021 में ऊर्जा खपत अंतर्राज्यीय व राज्य के भीतर आवागमन यानी परिवहन व्यवस्था, विनिर्माण क्षमता के उपयोग, व्यापार की संभावनाओं और उपभोक्ता के विश्वास जैसे प्रमुख सूचकांकों से अर्थव्यवस्था में रिकवरी जारी रहने के संकेत मिलेंगे।
केयर्न एनर्जी के सूचीबद्ध होने से पहले 2006-07 में भारतीय कारोबार के पुनर्गठन से कंपनी को हुए कथित पूंजीगत लाभ पर करों के रूप में कर विभाग ने 10,247 करोड़ रुपये मांगे थे, और इसके तुरंत बाद विभाग ने केयर्न इंडिया में 10 प्रतिशत हिस्सेदारी जब्त कर ली।
संशोधित अनुमान में चालू वित्त वर्ष 2020-21 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 9.5 प्रतिशत रहने की संभावना जतायी गयी है। सरकार के व्यय और आय के अंतर को दर्शानेवाले राजकोषीय घाटा के अगले वित्त वर्ष 2021-22 में जीडीपी का 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान रखा गया है।
वित्त मंत्री ने कहा कि आज भारत की आकांक्षाओं और विकास जरूरतों के लिए भारतीय स्टेट बैंक के आकार के 20 संस्थानों की जरूरत है।
गेहूं की खरीद पर 2013-14 में किसानों को 33,874 करोड़ रुपये दिये गये थे, जो बढ़कर 2019-20 में 62,802 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। 2020-21 में किसानों को 75 हजार करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गया है।
सरकार ने केंद्रीय उपक्रमों में विनिवेश और शेयरों की पुनर्खरीद के जरिये चालू वित्त वर्ष में अब तक 19,499 करोड़ रुपये जुटाये हैं।
वित्त मंत्री पहली फरवरी को बजट पेश करेंगी। इस साल महामारी के असर को देखते हुए कारोबारी जगत की नजर इस बजट पर है। सरकार पहले ही कह चुकी है कि ये बजट अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने वाला होगा।
74 साल की येलेन इससे पहले अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की गवर्नर रह चुकी हैं। उन्होंने 2014 से 2018 के दौरान फेडरल रिजर्व की अगुवाई की। सोमवार को सीनेट ने 84 बनाम 15 के मत से येनेट को वित्त मंत्री नामित किये जाने पर स्वीकृति दे दी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को 2021-22 का आम बजट पेश करने वाली हैं। कोरोना संकट के बाद आई मंदी से अर्थव्यवस्था निकलने की कोशिश कर रही है। ऐसे में सभी सेक्टर उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार बजट में ऐसे ऐलान करेगी जिससे विकास को गति मिले।
संसद का बजट सत्र 29 जनवरी से शुरू होगा और 2 भागों में 8 अप्रैल तक चलेगा। पहला भाग 29 जनवरी से 15 फरवरी तक चलेगा। वहीं दूसरा भाग आठ मार्च से आठ अप्रैल तक आयोजित होगा।
कोविड-19 के कारण वित्त वर्ष 2021-22 के आम बजट का कागजों पर प्रकाशन नहीं करने का निर्णय लिया गया है। सभी सांसदों को बजट दस्तावेज तथा आर्थिक समीक्षा इलेक्ट्रॉनिक रूप में दी जायेगी।
एनआईपी की शुरूआत 6,835 परियोजनाओं के साथ की गयी थी। इसे अब बढ़ाकर 7,300 परियोजनाएं कर दी गयी हैं। इन परियोजनाओं के लिये 2020 से 2025 के दौरान 111 लाख करोड़ रुपये के निवेश की जरूरत का अनुमान लगाया गया है।
संसदीय मामलों की मंत्रिमंडल समिति की सिफारिश के मुताबिक बजट सत्र 29 जनवरी से 15 फरवरी तक चलेगा। जबकि सत्र का दूसरा हिस्सा 8 मार्च से 8 अप्रैल तक जारी रहेगा।
वित्त वर्ष 2021-22 के लिए बजट-पूर्व बैठकों का आयोजन 14 दिसंबर से 23 दिसंबर के दौरान किया। यह पहला मौका है जबकि कोविड-19 संकट की वजह से बजट-पूर्व बैठकों का आयोजन वर्चुअल तरीके से हुआ है।
सरकार ने चालू वित्त वर्ष में विनिवेश से 2.01 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। हालांकि कोविड-19 महामारी का विनिवेश कार्यक्रम पर असर पड़ा है। इस वित्त वर्ष में सरकार अब तक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में छोटी हिस्सेदारी बेचकर सिर्फ 11,006 करोड़ रुपये ही जुटा पाई है।
कोटक महिंद्रा बैंक के उदय कोटक सहित बायोकॉन की किरण मजूमदार शॉ आदि बड़े उद्योगपतियों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आयोजित बैठक में भाग लिया। वित्तमंत्री के साथ, वित्त सचिव ए.बी. पांडे, सचिव डीईए, तरुण बजाज, मुख्य आर्थिक सलाहकार के. सुब्रमण्यन आदि वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे।
बैंकों ने इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम (ईसीएलजीएस) के तहत 80,93,491 कर्जदारों को 2,05,563 करोड़ रुपये की अतिरिक्त ऋण राशि मंजूर की है। जबकि 1,58,626 करोड़ रुपये 40,49,489 कर्जदारों को दिए जा चुके हैं।
एमएसएमई मंत्रालय ने बयान में कहा कि सबसे अधिक 5,100 करोड़ रुपये की खरीद अक्टूबर में हुई और इस दौरान 4,100 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गया।
23 नवंबर तक कुल 24,227 करोड़ रुपये (39.4 प्रतिशत) का लक्ष्य हासिल किया गया है, जबकि वित्त वर्ष 2020-21 के लिए इन उपक्रमों के पूंजीगत व्यय का लक्ष्य 61,483 करोड़ रुपये है।
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