वित्त वर्ष 2020-21 के पहले 10 महीनों के दौरान कुल एफडीआई (जिसमें आय को दोबारा निवेश करना शामिल है) 15 प्रतिशत बढ़कर 72.12 अरब डॉलर रहा।
पाकिस्तान में एफडीआई के रूप में सबसे ज्यादा निवेश करने के मामले में चीन शीर्ष स्थान पर है।
कैट ने दोहराया कि जिस तरह से अमेजन और फ्लिपकार्ट द्वारा एफडीआई नीति और फेमा के खुलेआम उल्लंघनों का सिलसिला जारी है, उससे यह आभास मिलता है कि ऐसा करने के लिए इन कंपनियों को सरकार से प्रतिरक्षा (इम्यूनिटी) प्राप्त है।
अप्रैल से दिसंबर 2020 के दौरान देश में कुल 67.54 अरब डॉलर के बराबर एफडीआई आया है। मंत्रालय के मुताबिक किसी भी वित्तीय वर्ष के पहले 9 महीनों के दौरान दर्ज किया गया य़े अब तक का सबसे ज्यादा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश रहा है।
पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक ने बताया कि वित्त वर्ष 2020-21 में जुलाई से जनवरी के दौरान 1.145 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आया है।
वित्तीय वर्ष 2020-21 में जुलाई से दिसंबर तक की पहली छमाही में एफडीआई का प्रवाह पिछले वर्ष की इसी अवधि में 1.36 अरब डॉलर की तुलना में लगभग 29.8 प्रतिशत की तेज गिरावट के साथ 95.26 लाख डॉलर रह गया है।
पीएम मोदी ने देश को FDI यानी फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट की नई परिभाषा बताई, जो किसान आंदोलन के संदर्भ में निकल कर सामने आई है।
सरकार ने रक्षा उत्पादन क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नियमों को उदार बनाया है। एक शीर्ष अधिकारी ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि इससे क्षेत्र में कई परियोजनाएं आने की उम्मीद है।
सरकार के मुताबिक एफडीआई इक्विटी प्रवाह चालू वित्त वर्ष के पहले आठ में 43.85 अरब डॉलर रहा है। यह किसी वित्त वर्ष के पहले आठ माह का सबसे ऊंचा आंकड़ा है। पिछले वित्त 2019-20 के पहले आठ की तुलना में यह 37 प्रतिशत अधिक है।
जिन क्षेत्रों में अधिकतम विदेशी पूंजी प्रवाह आया, उसमें कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर सेवाएं, व्यापार, रसायन और वाहन शामिल हैं। देश में सर्वाधिक निवेश सिंगापुर, अमेरिका, मॉरीशस, नीदरलैंड, ब्रिटेन, फ्रांस और जापान से आया।
2025 तक आईटी और व्यवसाय प्रक्रिया प्रबंधन, डिजिटल संचार सेवाओं और इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण जैसे मुख्य डिजिटल क्षेत्र का आकार दोगुना हो सकता है।
अप्रैल 2000 से सितंबर 2020 के बीच भारत ने चीन से 2.43 अरब डॉलर (15,526 करोड़ रुपये) का विदेशी प्रत्यक्ष निवेश हासिल किया है।
केंद्रीय मंत्री के मुताबिक भारत में विदेशी निवेशकों के लिए कई मौके हैं और भारत में निवेशकों के लिए नीतियां दुनिया भर में सबसे अधिक सुविधाजनक नीतियां है।
यह साल 2002 के बाद किसी कैलेंडर वर्ष के दौरान विदेशी निवेशकों के द्वारा किया गया सबसे ऊंचा निवेश है। यह इतिहास में पांचवां अवसर है जबकि शेयरों में एफपीआई का शुद्ध निवेश किसी साल में एक लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है।
उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से सितंबर के दौरान भारत को अमेरिका से 7.12 अरब डॉलर का और मॉरीशस से दो अरब डॉलर का एफडीआई प्राप्त हुआ। सिंगापुर पहले स्थान पर रहा।
डीपीआईआईटी ने कहा कि विदेशी कंपनियों की आय के पुनर्निवेश को जोड़कर कुल एफडीआई करीब 40 अरब डॉलर रहा।
अप्रैल से अगस्त के बीच भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का कुल प्रवाह बढ़त के साथ 35.7 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। ये किसी भी वित्त वर्ष के पहले 5 महीनों के दौरान आया सबसे बड़ा एफडीआई प्रवाह है।
डिपार्टमेंट ने साफ किया कि डिजिटल मीडिया कंपनी के सीईओ और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में आधे से ज्यादा सदस्य भारतीय नागरिक होने चाहिए। वहीं कंपनी को सभी विदेशी कर्मचारियों के लिए सुरक्षा से जुड़ी आवश्यक अनुमति लेनी होगी।
रिपोर्ट के मुताबिक सर्वेक्षण में शामिल 50 प्रतिशत कंपनियों ने 2025 तक भारत को दुनिया का प्रमुख विनिर्माण केंद्र या तीन शीर्ष अर्थव्यवस्था में से एक बन जाने वाला माना।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए कनाडा में चल रहे इन्वेस्ट इंडिया सम्मेलन को संबोधित करते हुए गुरुवार (8 अक्टूबर) को कहा कि भारत की स्थति आज मजबूत है कल और मजबूत होगी।
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