प्लेयर ने कहा कि पाकिस्तान की कार्रवाई योजना को लेकर एफएटीएफ चाहता है कि पाकिस्तान की तरफ से आतंक वित्त पोषण के खिलाफ की जाने वाली जांच प्रदर्शित हो और संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकी नेताओं और उनके सहयोगियों के खिलाफ कर्रवाई की जाए।
पाकिस्तान अप्रैल 2022 में होने वाली बैठक तक ग्रे लिस्ट में ही बना रहेगा क्योंकि वह आतंकी फंडिंग को रोकने में विफल रहा है। एफएटीएफ की यह बैठक डॉ. मार्कस प्लेयर की जर्मन प्रेसीडेंसी के तहत हुई।
2020-21 में भारत में मॉरिशस के जरिये आया प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कुल निवेश का 9 प्रतिशत रहा है। हालांकि साल 2018-19 में ये हिस्सा 32 प्रतिशत था। बीते 2 साल से इसमें गिरावट है।
कुरैशी की यह टिप्पणी फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की 21-25 जून को हुई पूर्ण बैठक के एक दिन बाद आई है, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने में विफल रहने के कारण पाकिस्तान को अपनी 'ग्रे लिस्ट' में रखा गया था, जिससे आतंकी वित्तपोषण हुआ था।
पाकिस्तान को शुक्रवार को बड़ा झटका लगा है। FATF की बैठक में फैसला किया गया है कि पाकिस्तान अभी ग्रे लिस्ट में रहेगा। पाक को लेकर कहा गया है कि उसे FATF की 17 अक्टूबर से 22 अक्टूबर के बीच होने वाली अगली बैठक से पहले एक्शन प्लान में बताए सभी पॉइंट्स को पूरा करने के लिए काम करना पड़ेगा।
पाकिस्तान फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट में रहेगा या फिर इससे बाहर होगा इस बात पर फैसला जल्द ही हो जाएगा।
पाकिस्तान मनी लांड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण पर रोक के ठोस प्रबंध करने के मामले में अपनी कमियों के कारण एशिया प्रशांत समूह (एपीजी) की ‘उच्च निगरानी व्यवस्था’ में बना हुआ है।
फाइनेंशिल ऐक्शन टॉस्क फोर्स ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में ही रखे जाने पर फिर से मुहर लगा दी है। फ्रांस की राजधानी पेरिस में गुरुवार को हुई वर्चुअल मीटिंग में इसका फैसला हुआ।
पाकिस्तान संगठन की पूर्ण बैठक से पहले सदस्य देशों से समर्थन जुटाने के प्रयासों में जुटा हुआ था, लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ।
पाकिस्तान 3 साल से वॉच लिस्ट यानि ग्रे लिस्ट में बना हुआ है। वॉच लिस्ट में आने वाले देशों को FATF कुछ शर्तों के साथ निगरानी में रखता है। FATF ने पाकिस्तान के लिए 27 शर्तें जारी की थीं। इसमें से 21 शर्तें ही पूरी की गई हैं।
पाकिस्तान ने आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने के लिए वैश्विक निगरानी दल फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ब्लैक लिस्ट से बचने और ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने के लिए आक्रामक कूटनीतिक प्रयास शुरू कर दिए हैं।
आर्थिक और राजनीतिक मोर्चे पर दिक्कतों का सामना कर रहे पाकिस्तान के लिए आने वाले वक्त में वैश्विक स्तर पर भी मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं।
पाकिस्तान फरवरी 2021 तक वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) की ‘ग्रे’ लिस्ट में बना रहेगा क्योंकि वह ग्लोबल मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद की फंडिंग को रोकने के लिए 6 कार्ययोजनाओं को पूरा करने में विफल रहा है।
अगर पाकिस्तान ग्रे सूची में बना रहता है तो उसके लिए विश्व मुद्रा कोष (आईएमएफ), विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक और यूरोपीय संघ जैसे अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से वित्तीय मदद हासिल करना और मुश्किल हो जाएगा।
मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी वित्तपोषण की निगरानी करने वाला फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की डिजिटल पूर्ण सत्र की बैठक आज से शुरू हो गई है। तीन दिनों की इस बैठक में पाकिस्तान के आतंक के खिलाफ प्रदर्शनों की समीक्षा की जाएगी।
एफएटीएफ ने पाकिस्तान को जून 2018 में ग्रे सूची में डाला था और इस्लामाबाद को धन शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने की 27 बिंदुओं की कार्य योजना को वर्ष 2019 के अंत तक लागू करने को कहा था
वैश्विक आतंकी-वित्तपोषण पहरेदार एफएटीएफ की ओर से ब्लैकलिस्ट होने की आशंका लंबे समय से पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की नींद हराम कर रही है।
जम्मू-कश्मीर में आतंक फैलाने वाली पाकिस्तान की एजेंसियों और आतंकवादियों के बीच साठगांठ का बड़ा सबूत हाथ लगा है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने एक नया दस्तावेज हासिल किया है, जो पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) के साथ आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन की करीबी की पुष्टि करता है।
1993 मुंबई विस्फोट का मुख्य साजिशकर्ता दाउद इब्राहिम को लेकर पाकिस्तान ने पहली कबूला है कि दाऊद कराची में है। पाकिस्तान सरकार ने दाऊद इब्राहिम के खाते सीज करने का आदेश दिया है।
व्यवस्था की समीक्षा 10 साल बाद एक नियमित प्रक्रिया के तहत की जानी थी
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