जो दस्तावेज सामने आ रहे हैं वे इस बात का सबूत हैं कि फारूक अब्दुल्ला को कश्मीर में पंडितों के खिलाफ हो रही साजिश का अंदेशा था।
फारूक़ अब्दुल्ला ने कहा कि जानबूझकर बवाल पैदा किया जा रहा है। अगर कश्मीरी पंडितों पर हुए जुल्म का सच जानना है, कश्मीरी पंडितों का असली गुनहगार कौन है ये जानना है तो इन्क्वायरी कमीशन बना दिया जाए, दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा।
फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ने हमेशा कहा कि एक दिन आएगा जब कश्मीर के हर गली और कोने में एक नेता होगा।
उमर अब्दुल्ला ने अपने पिता फारूक अब्दुल्ला को क्लीन चिट दे दी, जो राज्यपाल शासन लागू होने से ठीक पहले मुख्यमंत्री थे।
फारूक अब्दुल्ला 7 नवंबर 1986 से 18 जनवरी 1990 तक मुख्यमंत्री थे। यह वह समय था, जिसमें कश्मीर धीरे-धीरे नीचे गिर रहा था और खुफिया एजेंसियों द्वारा चेतावनी के बावजूद उदासीनता दुर्गम लग रही थी।
अमित मालवीय ने आगे लिखा-'18 जनवरी 1990 को फारूक अब्दुल्ला के पद छोड़ने के बाद उन्हें 20 जनवरी 1990 को फिर से राज्यपाल नियुक्त किया गया था।
फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि अगर यह मुल्क एक होता तो ताकत भी रहती, मुश्किलें भी नहीं पैदा होती और देश में भाईचारा भी रहता। उन्होंने कहा कि भारत का विभाजन एक बहुत बड़ी ऐतिहासिक गलती थी।
अब्दुल्ला ने जवाब दिया, ‘‘आपको बात करनी होगी। कोई रास्ता नहीं है (आतंकवाद को खत्म करने के लिए)।”
अब्दुल्ला ने हाल में कहा था कि अपने अधिकार वापस पाने के लिये जम्मू कश्मीर के लोगों को प्रदर्शनकारी किसानों की तरह ‘बलिदान’ करना पड़ सकता है।
आरएसएस नेता ने केंद्रशासित प्रदेश के लोगों के कथित दमन के खिलाफ राष्ट्रीय राजधानी में विरोध प्रदर्शन करने पर पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती की भी आलोचना की और कहा कि "झूठ बोलना उनके लिए एक फैशन बन गया है।"
अगस्त 2019 में, सरकार ने अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द कर दिया और राज्य को दो केंद्र शासित क्षेत्रों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया। रैली को संबोधित करते हुए, अब्दुल्ला ने भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत के लिए उनके द्वारा की जा रही वकालत का भी बचाव किया।
फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की गलत नीतियों के कारण जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद नहीं रुक सकता।
पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू में पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा, हमें हिंदुओं और मुसलमानों के बीच खड़ी की जा रही नफरत की दीवार को गिराना है।
जम्मू-कश्मीर में बीते कुछ दिनों के दौरान आतंकियों द्वारा कई आम नागरिकों की हत्या किए जाने के मामले सामने आए हैं। ऐसे में अब हत्याओं को लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने दुख जताया है। इसके साथ ही उन्होंने इन हत्याओं के पीछे कश्मीर को बदनाम करने की साजिश की बात भी कही है।
कौर की हत्या पर दुख जताते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि 1990 के दशक में जब कई लोग डर की वजह से घाटी छोड़कर चले गये थे तब सिख समुदाय ने कश्मीर को नहीं छोड़ा।
अब्दुल्ला ने कहा कि उनकी पार्टी जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा और विशेष दर्जा बहाल करने के लिए संघर्ष की खातिर प्रतिबद्ध है।
फारुक अब्दुल्ला ने उम्मीद जताई है कि अफगानिस्तान में तालिबान एक अच्छी हुकूमत चलाएंगे और लोगों से इंसाफ करेंगे।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, "ये पंचायत सदस्य उग्रवादियों के निशाने पर हैं और उन्हें पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने की आवश्यकता है। अवास्तविक दुनिया में मत रहिए और ऐसा मत सोचिए कि सब ठीक-ठाक है।
पीआरआई मजबूत करने के लिए संसदीय सम्पर्क कार्यक्रम में फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि भारत विविधतओं वाला देश है, केवल एक धर्म राष्ट्र का निर्माण नहीं कर सकता।
जम्मू-कश्मीर के मुख्यधारा के नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात के एक महीने बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारुख अब्दुल्ला ने रविवार को कहा कि जमीनी स्तर पर “उसके बाद कोई परिणाम” नहीं दिखे हैं।
संपादक की पसंद