दिल्ली की सीमाओं पर केंद्र के तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान बुधवार को छह महीने के आंदोलन को चिह्नित करने के लिए 'ब्लैक डे' के रूप में मनाया।
इस आरोप को खारिज करते हुए कि सरकार राज्य में कोविड महामारी से प्रभावी ढंग से निपटने में विफल रही है, सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भारतीय किसान यूनियन से अपने प्रस्तावित धरने को आगे नहीं बढ़ाने का आग्रह किया, जो उन्होंने कहा कि संक्रमण के सुपरस्प्रेडर में बदल सकता है।
केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों ने भी होली मनाई। गाज़ीपुर बॉर्डर पर राकेश टिकैत की अगुवाई में सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने होली खेली।
कड़कड़ाती ठंड के बाद अब चिलचिलाती धूप का मौसम दस्तक दे चुका है...इससे बचाव के लिए ना तो किसानों के उत्साह में कोई कमी दिख रही, ना ही तैयारी में. बल्कि पक्के ढांचों के साथ किसानों की तैयारी है दिल्ली के बॉर्डर्स पर और लंबा टिके रहने की.
बसपा प्रमुख मायावती सोमवार को किसानों के समर्थन में सामने आईं। उन्होंने कहा कि कृषि कानून किसानों के लिए फायदेमंद नहीं हैं और सरकार से इसे वापस लेने का आग्रह किया।
दिल्ली पुलिस की तरह से कहा गया, "गाजीपुर सीमा पर मौजूदा कानून और व्यवस्था की स्थिति और जनता की सुविधा को देखते हुए, उत्तर प्रदेस के गाजियाबाद जिले के पुलिस अधिकारियों के साथ परामर्श के बाद, दिल्ली से गाजियाबाद की ओर जाने वाले NH-24 के मार्ग को खोल दिया गया है।"
पिछले करीब साढे 3 महीनों से नए कृषि कानून का विरोध कर रहे किसान अब भी दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं। सर्दी और बारिश के दिनों में ये किसान तिरपाल और टीन के शेड बना कर रह रहे थे, लेकिन गर्मी के दिनों में इसमें रह पाना मुश्किल है। लिहाजा यहां पर अब बड़ी तादाद में परमानेंट स्ट्रक्चर बनाने का काम किया जा रहा है।
दिल्ली के टीकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसान अब वहां पर पक्का निर्माण कर रहे हैं। किसानों ने ईंट जोड़कर पक्का कंस्ट्रशन शुरू कर दिया है। किसानों का कहना है कि अब गर्मी का मौसम आ रहा है, ऐसे में किसानों के पास और कोई विकल्प नहीं बचा है कि वो पक्का निर्माण कर लें। अभी तक करीब 25 से 30 पक्के मकान बनाए जा चुके हैं।
इंडिया टीवी के साथ एक खास बात-चीत में कांग्रेस के नेता दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने किसानों के प्रति असंवेदनशील होने के लिए मोदी सरकार की आलोचना की। कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार के एक भी नेता ने उन लोगों के लिए एक शब्द भी नहीं बोला, जिनकी मौत कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करते हुई है।
प्रदर्शनकारी किसान यूनियनों ने 6 मार्च को 'काला दिवस' के रूप में मनाने का फैसला किया है और कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) एक्सप्रेसवे को रोक दिया है क्योंकि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन अपने 100वें दिन में प्रवेश चुका है। अन्य प्रमुख खबरें देखें |
हमारा अगला आह्वान संसद मार्च के लिए होगा। अगर कृषि कानून वापस नहीं लिए जाएंगे तो इस बार 4 लाख ट्रैक्टर नहीं बल्कि 40 लाख ट्रैक्टर वहां जाएंगे : कल राजस्थान के सीकर में एक किसान रैली में भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत
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दिल्ली पुलिस ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय राजधानी के विभिन्न क्षेत्रों, विशेष रूप से ट्रेन की पटरियों के आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी है। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, ट्रेन की पटरियों के पास कई जगहों पर अतिरिक्त कर्मियों को तैनात किया गया है और गश्त भी बढ़ा दी गई है।
कृषि कानूनों के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के दौरान हापुड़ में भारतीय किसान यूनियन के सदस्य 'रेल रोको' अभियान के तहत रेलवे ट्रैक पर बैठ गए।
पहले ट्रैक्टर परेड फिर चक्का जाम और आज रेल रोको आंदोलन। कृषि कानून के ख़िलाफ़ किसान एक बार फिर फुल एक्शन में हैं और इस बार उनके प्रदर्शन का अड्डा है रेलवे ट्रैक। 4 घंटे के रेल रोको आंदोलन का ऐलान किया गया है लेकिन पटना में समय से पहले ही ये आंदोलन शुरू कर दिया गया था। प्रदर्शनकारी रेलवे ट्रैक पर पहुंचे गए, पटरियों पर लेट गए और ट्रेन भी रोक दी। इसके बाद मौके पर मौजूद पुलिस ने सभी को ट्रैक से हटाया।
किसान संगठनों के मुताबिक, गुरुवार को देशभर में हजारों किसान रेल की पटरियों पर बैठेंगे. किसानों की योजना पूरे देश के रेल नेटवर्क को चार घंटों के लिए ठप करने की है
टूलकिट साजिश की जांच में ऐसे ऐसे चेहरे सामने आ रहे हैं...जो हैरान करने वाले हैं...कोई बीस-पच्चीस साल का एक्टिविस्ट है...तो कोई खालिस्तानी और आईएसआई से जुड़ा एजेंट...किसान आंदोलन की शुरुआत के साथ ही विदेश में बैठे खालिस्तानी आकाओं ने साजिश रचनी शुरू कर दी थी और उनका साथ भारत में निकिता जैकब...दिशा रवि और शांतनु मुलुक जैसे लोग दे रहे थे
प्रवासी भारतीयों ने कनाडा में तिरंगा यात्रा निकाली। ये तिरंगा रैली सरे शहर के स्ट्रोबैरी हिल से वैंकूवर में भारतीय वाणिज्य दूतावास तक निकाली गई थी।
पुलिस ने दावा किया है कि उन्होंने टेलीग्राम ऐप के जरिए जलवायु परिवर्तन कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग को यह टूलकिट भेजी थी और इस पर कार्रवाई के लिए उन्हे मनाया था। दिल्ली पुलिस के प्रमुख ने कहा, ‘‘दिशा रवि की गरिफ्तारी कानून के अनुरूप की गई है, जो 22 से 50 वर्षीय की आयु के लोगों के बीच कोई भेदभाव नहीं करता।’’
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