भारतीय किसान यूनियन लोक शक्ति के सदस्यों ने केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के समर्थन में राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल से दिल्ली तक मार्च किया।
केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने आज यानी रविवार को किसान आंदोलन को लेकर बड़ा बयान दे दिया है। जी दरअसल गृह राज्य मंत्री ने विपक्ष पर किसानों को भड़काने का आरोप लगाया है। हाल ही में उन्होंने कहा है कि, 'देश के किसान इस कानून के पक्ष में है।'
खालिस्तानी समूह-सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) भारत में किसानों द्वारा जारी विरोध के साथ एकजुटता के साथ 10 दिसंबर को लंदन में 'किसान रैली' की योजना बना रहा है। यूनाइटेड किंगडम में भारतीय उच्चायोग ने ब्रिटेन की मेट्रोपॉलिटन पुलिस के साथ मामला उठाया है।
विज्ञान भवन में दोपहर दो बजे से पांचवें राउंड की बैठक शुरू हुई। करीब ढाई घंटे बाद लंच ब्रेक हुआ। किसानों ने फिर से सरकारी खाना ठुकराते हुए अपना खाना मंगाकर फर्श पर बैठकर खाया।
नए कृषि कानूनों के मुद्दे पर 40 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों और केंद्र सरकार के बीच विज्ञान भवन में पांचवें दौर की लगभग 5 घंटे चली बातचीत के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की।
सरकार की तरफ से साफ किया गया है कि तीनों कानूनों को पूरी तरह वापस नहीं लिया जा सकता। हालांकि सरकार किसानों के सुझावों पर विचार करने, बातचीत करने और संशोधन करने को तैयार है। किसानों और सरकार के बीच बातचीत में केंद्र सरकार ने किसानों की कुछ मांगों पर विाचर करने के संकेत दिए हैं। केंद्र सरकार के साथ पांचवें दौर की बातचीत में मौजूद किसान नेताओं लंगर से आया खाना खाया।
केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज शुक्रवार (4 दिसंबर) को 9वां दिन है। नए कृषि कानूनों पर सरकार के साथ जारी बातचीत के बीच किसान अपनी मांगों को लेकर किसी भी सूरत में झुकने को तैयार होते नजर नहीं आ रहे हैं।
प्रेस कॉन्फेंस के दौरान किसान नेताओं ने कहा कि हम क़ानून हटाना चाहते हैं जबकि सरकार क़ानून में बदलाव करने के लिए तैयार है। MSP पर कानून बनाने के लिए तैयार हैं लेकिन हम क़ानून वापस करवाकर ही दम लेंगे। सर्वसम्मति से कुछ फ़ैसले लिए गए हैं। 8 दिसंबर को भारत बंद होगा।
केंद्र सरकार नए कृषि कानूनों में संशोधन करने की पेशकश कर रही है लेकिन किसान नेता नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग पर अड़े हुए हैं। अधिक जानकारी के लिए देखिए 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ।
नई दिल्ली के विज्ञान भवन में करीब साढ़े 7 घंटे किसान नेताओं के साथ चौथे दौर की बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसान नेताओं ने अपना पक्ष रखा और सरकार ने अपना पक्ष रखा। तोमर ने कहा कि किसानों से अब सिर्फ 2-3 मुद्दों पर बात होनी है। किसानों में मंडी को लेकर चिंता है। सरकार ने भरोसा दिया है कि मंडियो को और मजबूत करेंगे। सिविल कोर्ट जाने की किसानों की मांग पर विचार किया जाएगा। फसल खरीदने वाले व्यापारियों का रजिस्ट्रेशन होगा। तोमर ने कहा कि सरकार नए कृषि कानून में कुछ बदलाव करने को तैयार है।
दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर गाजीपुर के पास आंदोलनरत किसानों ने गुरुवार को बैरिकेड्स तोड़कर राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने की कोशिश की। हालांकि पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित कर लिया और किसान दिल्ली की ओर से कूच करने में असफल रहे।
देखिए इंडिया टीवी का एक्सक्लूसिव शो जहां हम वायरल वीडियो के पीछे का सारा सच आपको बताते हैं | 3 दिसंबर, 2020
महाराष्ट्र के नासिक, गुजरात के मेहसाणा और राजस्थान के बारां में रहने वाले किसानों ने इंडिया टीवी को बताया कि आखिर नए कृषि कानूनों से उच्च मूल्यों पर फसल बेचकर फायदा उठा रहे हैं। आज की बात में रजत शर्मा के साथ देखिए पूरी रिपोर्ट
कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के नेताओं और सरकार बीच विज्ञान भवन में बैठक हुई। कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने बैठक खत्म होने के बाद कहा कि किसान नेताओं के साथ तीसरे दौर बातचीत ठीक रही। अब परसों फिर बैठक होगी।
कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के 35 नेताओं और सरकार बीच विज्ञान भवन में बैठक हुई। कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने बैठक खत्म होने के बाद कहा कि किसान नेताओं के साथ तीसरे दौर बातचीत ठीक रही। अब परसों फिर बैठक होगी। सरकार की तरफ से इस बैठक में एक समिति बनाने का प्रस्ताव दिया गया था। सरकार की समिति बनाने के प्रस्ताव को किसानों ने खारिज कर दिया। किसान नेता चंदा सिंह ने बैठक खत्म होने के बाद कहा कि यह कानून वापस नही लिए जाने तक आंदोलन जारी रहेगा। सरकार बस बातचीत करना चाहती है हल नही निकालना चाहती। अब इस मुद्दे पर 3 दिसंबर को फिर से बैठक होगी।
किसान आज भी राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं और दिल्ली के बुराड़ी मैदान में डटे रहे। इनमें से ज्यादातर किसान पंजाब और हरियाणा से हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान से भी किसान उनका साथ देने पहुंचे हैं।
सिंधु बॉर्डर पर किसानों की बैठक के बाद लिए गए फैसलों के बारे में बताते हुए भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) क्रांतिकारी (पंजाब) के प्रदेश अध्यक्ष सरजीत सिंह फूल ने कहा, 'हमने केंद्र के निमंत्रण को स्वीकार नहीं किया है क्योंकि यह इस शर्त के साथ आया है कि सभी किसानों को बुराड़ी पार्क में शिफ्ट कर देना चाहिए और अगले दिन सरकार से बातचीत होगी। हरियाणा सरकार ने हमारा रास्ता रोकने के लिए सड़कों को खोद दिया। अब जब सरकार ने शर्त रखी है तो हम बुराड़ी पार्क नहीं जाएंगे क्योंकि यह एक खुली हुई जेल है।
केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों ने गृहमंत्री अमित शाह की उस अपील को मानने से इनकार कर दिया है, जिसमें उन्होंने किसानों से बुराड़ी में धरना प्रदर्शन स्थल (मैदान) में जाकर अपना विरोध जारी रखने की बात कही थी और कहा था कि किसानों के धरना प्रदर्शन स्थल पर पहुंचते ही सरकार उनसे बातचीत करेगी। गृहमंत्री अमित शाह ने शनिवार देर शाम यह अपील की थी।
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी किसानों से आग्रह किया कि वे केंद्रीय गृह मंत्री की एक निर्धारित स्थान पर शिफ्ट होने की अपील को स्वीकार कर लें, इस प्रकार उनके मुद्दों को हल करने के लिए शुरुआती बातचीत का मार्ग प्रशस्त होगा।
'दिल्ली चलो' मार्च के समर्थन में किसान गाजियाबाद-दिल्ली बॉर्डर पर पहुंच गए हैं। एक किसान ने कहा कि हम एमएसपी की गांरटी चाहते हैं। हम अन्य किसान संगठनों के साथ बैठक करने जा रहे हैं और आगे की योजना बनाएंगे।
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