सरकार पर दबाव बढ़ाने के लिए आज 40 किसान संगठन ट्रैक्टर मार्च निकाल दिल्ली घेरने की तैयारी में हैं। आज हजारों किसान ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे। उनका कहना है कि ये गणतंत्र दिवस की रिहर्सल है।
नए केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने खराब मौसम पूर्वानुमान के कारण 6 जनवरी से 7 जनवरी तक अपने प्रस्तावित ट्रैक्टर मार्च को स्थगित कर दिया, यहां तक कि उन्होंने कहा कि वे आने वाले दिनों में अपनी हलचल तेज करेंगे।
इंडिया टीवी के पत्रकार ने सिंघू सीमा के पास रहने वाले किसानों से बात की जहां कृषि कानून का विरोध वर्तमान में चल रहा है। किसानों ने बिल के पक्ष में बोलते हुए प्रदर्शन के रहे किसानों से आग्रह किया कि वे सरकार की कम से कम एक बार सुनें और फिर फैसला लें।
हाल ही में दिलजीत दोसांझ ने किसानों के लिए एक दान किया। लेकिन उनकी निस्वार्थता के कारण जांच अधिकारियों ने उनके खिलाफ जांच शुरू की है।
किसान आरपार की लड़ाई लड़ने के मूड से दिल्ली के बॉर्डर पर बैठे हैं। दिल्ली बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन का आज 42वां दिन है। टीकरी बॉर्डर पर किसानों ने परमानेंट स्ट्रक्चर बना लिया है। किसानों ने हाईवे पर ईंट जोड़कर परमानेंट स्ट्रक्चर तैयार किया है।
नए कृषि कानूनों पर सातवें राउंड की बातचीत के बाद भी सरकार और किसानों के बीच गतिरोध बना रहा। सरकार और किसानों के बीच सातवें राउंड की बैठक खत्म हो गई है। आज की बैठक में भी बात नहीं बनी।
मंत्री चाहते थे कि हम कानून-वार चर्चा करें। हमने इसे खारिज कर दिया और कहा कि कानूनों पर चर्चा करने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि हम कानूनों का पूरा रोलबैक चाहते हैं। सरकार हमें संशोधनों की ओर ले जाने का इरादा रखती है लेकिन हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे:
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि हम चाहते थे कि किसान यूनियनें तीन कानूनों पर चर्चा करें। किसान यूनियन कानूनों के निरसन पर अड़े रहे | की बात-चीत में शायद कोई समाधान निकले |
केंद्र सरकार और किसान यूनियनों के बीच बुधवार (30 दिसंबर) को छठे दौर की वार्ता सकारात्मक रूप से संपन्न हुई।
किसान प्रतिनिधियों ने कहा कि 26 जनवरी तक हमारे दिल्ली में डेरा डालने के दो महीने पूरे हो जाएंगे। हमने इस निर्णायक कदम के लिए गणतंत्र दिवस को चुना क्योंकि यह दिन हमारे देश में गण यानी बहुसंख्यक किसानों की सर्वोच्च सत्ता का प्रतीक है।
किसान आंदोलन का समन्वय कर रही समिति ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र सरकार से कहा कि अगर किसानों की मांगें नहीं मानी गई तो दिल्ली के चारों ओर लगे मोर्चों से किसान 26 जनवरी को ट्रैक्टर ट्रॉली और अन्य वाहनों के साथ किसान गणतंत्र परेड करेंगे।
राजस्थान, हरियाणा और मध्य प्रदेश के हजारों किसान 13 दिसंबर से जयपुर-दिल्ली राजमार्ग पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं |
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की भारत यात्रा से लेकर किसानों के चल रहे विरोध प्रदर्शन तक, देखिये वर्ष 2020 में हुई सभी बड़ी बातों की एक झलक।
किसान संगठनों के साथ छठे दौर की वार्ता के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि बैठक में किसान नेताओं ने जो 4 विषय रखे, उनमें से दो विषयों पर आपसी रजामंदी हो गई है।
सरकार और किसान संगठनों के बीच आज 4 एजेंडे पर बातचीत हुई.. ये चार एजेंडे किसान संगठनों ने पहले ही सरकार को भेज दिए थे | किसान संगठनों का कहना है कि तीनों कृषि कानून रद्द करने की प्रक्रिया बताएं साथ ही किसान नेता संशोधन के लिए तैयार नहीं हैं | किसान सं
नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों और सरकार के बीच 5 घंटे चली बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिहं तोमर ने कहा कि किसानों की चार में से 2 मांगों पर रजामंदी हो गई है। पराली और बिजली पर सरकार ने किसानों की बात मान ली है।
कृषि कानूनों को लेकर किसानों और सरकार के बीच 5 घंटे चली बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिहं तोमर ने कहा कि किसानों की चार में से 2 मांगों पर रजामंदी हो गई है। पराली और बिजली पर सरकार ने किसानों की बात मान ली है।
खेती और किसानी के एक्सपर्ट और मोदी सरकार के पूर्व मंत्री हुक्मदेव नारायण यादव ने इंडिया टीवी से बातचीत के दौरान कहा- राहुल गाँधी ने उतना दूध नहीं पिया होगा जितना मेरे शरीर से पसीना निकला होगा |
कृषि कानूनों की वापसी की मांग पर अड़े किसान संगठन आज एक बार फिर सरकार के साथ बातचीत की मेज पर आमने सामने हैं। दिल्ली के विज्ञान भवन में किसानों के साथ छठे दौर की वार्ता शुरू हो गई है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल बैठक में मौजूद हैं।
कृषि कानूनों की वापसी की मांग पर अड़े किसान संगठन आज एक बार फिर सरकार के साथ बातचीत की मेज पर आमने सामने होंगे। यह सरकार और किसानों के साथ बातचीत का छठा दौर है। बता दें कि छठे दौर की वार्ता 9 दिसंबर को होनी थी। लेकिन इससे पहले गृह मंत्री शाह और किसान संगठनों के कुछ नेताओं के बीच अनौपचारिक बैठक में कोई सफलता नहीं मिलने पर इसे रद्द कर दिया गया था।
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