किसान नेता राकेश टिकैत ने शनिवार को कहा कि लखीमपुर खीरी में जो घटना हुई थी, हम 21 तारीख से वहां पर 3-4 दिन के लिए जाएंगे। वहां पर पीड़ितों से मुलाक़ात करेंगे। जो किसान जेल में है, हम उनसे भी मिलेंगे।
लखीमपुर-खीरी हिंसा मामले में पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दी है। इस मामले में आशीष मिश्रा को मुख्य आरोपी बनाया गया है।
सबसे पहले नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों ने 26 जनवरी 2021 को लाल किला पर जमकर उत्पात किया। 26 जनवरी 2021 को किसानों के ट्रैक्टर मार्च के दौरान हिंसा में एक किसान की मौत भी हुई। वहीं कुछ युवकों ने लालकिले पर तिरंगे के बराबर निशान साहिब को फहरा दिया गया।
किसानों के परिवारों ने ट्रैक्टरों में आ रहे किसानों को माला पहनाकर; लड्डू, बर्फी और अन्य मिठाइयां खिलाकर उनका स्वागत किया। किसानों के आंदोलन का समर्थन करने वाले गांववासी और अन्य लोग उनका स्वागत करने के लिए राजमार्गों के किनारे एकत्रित हुए और उन्होंने किसानों पर फूल बरसाए।
किसानों को राज्य के आर्थिक ढांचे की रीढ़ बताते हुए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा, ‘‘राज्य सरकार पीड़ित परिवारों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए हमेशा हर संभव कदम उठाएगी।’’
किसान नेता आजाद पालवां का कहना है की उचाना में राष्ट्रीय राजमार्ग पर किसानों की आखरी ट्रॉली नहीं गुजरने तक लंगर की सेवा सुचारू रूप से चलती रहेगी। उन्होंने कहा कि खटकड़ टोल प्लाजा पर चल रहे धरना को भी 11 दिसम्बर को खत्म कर दिया जाएगा।
राहुल गांधी ने अपने ट्वीट के साथ एक वीडियो भी शेयर किया है। राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा- 'अपना देश महान है, यहाँ सत्याग्रही किसान है! सत्य की इस जीत में हम शहीद अन्नदाताओं को भी याद करते हैं।'
सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में शामिल हिम्मत सिंह गुर्जर ने दावा किया कि आगामी 7 दिसंबर की बैठक में आंदोलन की वापसी का ऐलान हो सकता है। हिम्मत सिंह गुर्जर ने कहा कि मुआवजे पर गृह मंत्रालय से बात हो गई है। पंजाब मॉडल पर मृतक किसानों के परिवार को मुआवजा मिलेगा।
सिंघु बॉर्डर पर चल रही संयुक्त किसान मोर्चा की अहम बैठक खत्म हो चुकी है। संयुक्त किसान मोर्चा ने MSP पर सरकार से बातचीत के लिए बनाई जाने वाली कमेटी के लिए 5 लोगों के नाम तय कर दिए हैं। वहीं संयुक्त किसान मोर्चा की अगली बैठक आगामी 7 दिसंबर को होगी।
संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने सोमवार को कहा कि तीनों कृषि कानून रद्द हो चुके हैं, लोग बड़े होते हैं, हुकूमत नहीं। हमने 1 तारीख को SKM की मीटिंग बुलाई है, ये इमरजेंसी मीटिंग है।
आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ मामले वापस लेने के संबंध में तोमर ने कहा कि यह राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में है।
कृषि मंत्री ने कहा, तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद अब आंदोलन का कोई मतलब नहीं रह जाता है। बड़े मन का परिचय देते हुए पीएम मोदी की अपील को मानें और किसान घर वापस लौटें।
सोनिया गांधी की अगुवाई में हुई इस बैठक में इस बात पर जोर दिया कि तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक सत्र के पहले ही दिन लाया जाए।
समाजवादी पार्टी प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने वादा किया कि सत्ता में वापसी होने पर वह किसान आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों को 25 लाख की सम्मान राशि देंगे। यह एक ऐसा चुनावी दांव है जो अगर कामयाब रहा तो उन्हें विधानसभा चुनावों में बड़ा फायदा हो सकता है।
प्रधानमंत्री को लिखे खुले पत्र में एसकेएम ने कहा कि आपके संबोधन में किसानों की प्रमुख मांगों पर ठोस घोषणा की कमी के कारण किसान निराश हैं। कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज मामले तुरंत वापस लिए जाने चाहिए। कृषि कानून विरोधी आंदोलन के दौरान जिन किसानों की मौत हुई, उनके परिवार को पुनर्वास सहायता, मुआवजा मिलना चाहिए।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने ट्वीट कर कहा है कि- 'आंदोलन को यह मुकाम 700 किसानों की शहीदी देकर मिला है। किसान न इस बात को भूलेगा और न ही हुकूमत को भूलने देगा।'
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा है कि उन्होंने किसानों के हित में ये तीनों कृषि कानून परित किये थे लेकिन वह लोगों को इस संबंध में समझा नहीं पाए और इसलिए इन कानूनों को वापस लिया जा रहा है।
शनिवार को कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिजनों से मुलाकात करने के लिए कहा गया है।
बता दें कि कैप्टन अमरिंदर सिंह किसान आंदोलन की शुरुआत से ही इसके समर्थन में खड़े रहे हैं। अमरिंदर सिंह ने तीन कृषि कानूनों को रद्द करवाने के लिए कई बार पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की।
गुरु नानक जयंती के अवसर पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि तीन कृषि कानून किसानों के फायदे के लिए थे लेकिन हमारे सर्वश्रेष्ठ प्रयासों के बावजूद हम किसानों के एक वर्ग को मना नहीं पाए।
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