लाठी-डंडे, राष्ट्रीय ध्वज एवं किसान यूनियनों के झंडे लिये हजारों किसान मंगलवार को गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टरों पर सवार हो बैरियरों को तोड़ व पुलिस से भिड़ते हुए लालकिले की घेराबंदी के लिए विभिन्न सीमा बिंदुओें से राष्ट्रीय राजधानी में दाखिल हुए।
किसानों ने आज गणतंत्र दिवस के मौके पर कई जगह पर पुलिसकर्मियों पर हमला किया और जमकर उत्पात मचाया। प्रदर्शनकारी हाथ में डंडे लेकर पुलिसकर्मियों को दौड़ाते हुए भी दिखे। इस हिंसा के बाद कुछ जगहों पर ट्रैफिक बंद और कुछ जगहों पर रूट डायवर्ट किया गया है।
गणतंत्र दिवस के मौके पर दंगाईयों ने कई जगह पर पुलिसकर्मियों पर हमला किया और जमकर तांडव किया। प्रदर्शनकारी हाथ में डंडे लेकर पुलिसकर्मियों को दौड़ाते हुए भी दिखे। इस हिंसा के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से किसानों की मांगों को स्वीकार करने की अपील की।
Kisan Tractor March Live Videos: आज गणतंत्र के सबसे बड़े जश्न के मौके पर दंगाईयों ने देश को राष्ट्रीय शर्म की तस्वीर दी है। जिस देश की आन-बान-शान को बचाने के लिए वीर जवानों ने अपने प्राणों की आहुति दी, उस शहादत का, राष्ट्रीय पर्व के उस पावन धर्म का किसानों के भेष में दिल्ली में घुसे दंगाइयों ने अपमान किया।
केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आज राजधानी दिल्ली में जमकर उत्पात मचाया। आईटीओ पर ट्रैक्टर से पुलिसकर्मियों के कुचलने की कोशिश हुई।
26 जनवरी को होने वाली किसान ट्रेक्टर रैली के कारण मार्ग हीं नहीं कुछ ट्रेन भी प्रभावित होने वाली हैं। इस रैली के चलते कल सुबह 8 बजे से रात 8 बजे के बीच आनंद विहार रेलवे स्टेशन से ट्रेनों का परिचालन भी बंद रहेगा।
दिल्ली पुलिस ने 26 जनवरी को होने वाली किसान ट्रेक्टर रैली को लेकर कमर कस ली है। कल होने वाले ट्रैक्टर रैली के लिए दिल्ली पुलिस ने सशर्त NOC जारी कर दी है। किसानें को 37 शर्तों के साथ ट्रैक्टर रैली की परमिशन मिली है।
26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर निकाली जाने वाली किसान ट्रैक्टर रैली पर पाकिस्तान की गंदी नजर है। दिल्ली पुलिस ने पाकिस्तान के नापाक इरादों का खुलासा किया है।
26 जनवरी (गणतंत्र दिवस) पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर रैली को लेकर स्थिति साफ हो गई है। दिल्ली पुलिस और किसानों के बीच 26 जनवरी पर परेड निकालने को लेकर सहमति बन गई है।
किसान संघर्ष समिति के संयोजक एवं वयोवृद्ध किसान नेता कमल सिंह मांढी का शुक्रवार रात को ह्रदय गति रुकने से निधन हो गया। मांढी पिछले चार दशक से किसान हितों के लिए संघर्ष कर रहे थे।
कृषि कानून पर किसानों का 59वें दिन भी प्रदर्शन जारी है वहीं आज केंद्र सरकार के साथ हुई किसानों की बैठक में फिर से गतिरोध पैदा हुआ। उधर 26 जनवरी को किसानों ने ट्रैक्टर मार्च निकालने का ऐलान किया है, जिसपर किसानों और पुलिस के बीच भी गतिरोध बना हुआ है।
नए कृषि कानूनों को लेकर जारी किसान आंदोलन के बीच सरकार और किसान संगठनों के साथ 11वें दौर की वार्ता के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसानों के कंधे का इस्तेमाल राजनीतिक फायदे के लिए किया गया।
किसानों और सरकार के बीच आज 11वें राउंड की बातचीत खत्म हो चुकी है। आज 11वें राउंड की बातचीत भी बेनतीजा रही है। मीटिंग से बाहर निकल कर किसानों ने कहा कि आज बैठक में सिर्फ 30 मिनट की ही बातचीत हुई।
लोकतंत्र में रास्ता बातचीत से ही निकलता है इसलिए बातचीत का रास्ता बंद न हो ये सुनिश्चित करना चाहिए। किसान संगठनों को सरकार के प्रस्ताव पर एक बार फिर से सोचना चाहिए।
नए कृषि कानूनों को लेकर जारी गतिरोध के बीच किसान संगठनों और सरकार के बीच 11वें दौर की वार्ता शुक्रवार (22 जनवरी) को होगी।
किसान आंदोलन पर अगले 24 घंटे में बड़ा फैसला हो सकता है। जानकारों की मानें तो पिछले 57 दिन से दिल्ली बॉर्डर पर चला आ रहा चक्काजाम 22 जनवरी को खत्म हो सकता है।
बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कुछ समय के लिए कृषि सुधार कानूनों को स्थगित किया है। सरकार 1 से 1.5 साल तक भी कानून के क्रियान्वयन को स्थगित करने के लिए तैयार है।
घंटों चली बैठक में किसान अपनी मांगों को लेकर अड़े रहे, हालांकि सरकार की ओर से आंदोलन समाप्त करने के लिए कई प्रस्ताव दिये गए लेकिन किसान नेता उस पर राजी नहीं हुए।
नए कृषि कानूनों को लेकर जारी किसान आंदोलन के बीच बड़ी खबर आई है। 10वें दौर की वार्ता के बीच सरकार और किसानों के बीच बातचीत में सरकार ने कृषि कानूनों को लेकर बड़ा बयान देते हुए उसे ढ़ेड साल तक रोकने का प्रस्ताव दे दिया है।
केंद्र सरकार ने बुधवार को किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से 10वें दौर की वार्ता में तीनों कृषि कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव रखा लेकिन प्रदर्शनकारी किसान इन कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े रहे।
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